भोपाल। पिछले 19 साल से बीजेपी सत्ता में है, चुनावी साल में बीजेपी की यात्राओं का मेन चेहरा सीएम शिवराज सिंह रहते थे, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपनी स्ट्रैटर्जी बदल दी है, इस बार विजय संकल्प यात्रा तो निकलेगी लेकिन चेहरा एक नहीं बल्कि क्षेत्र के हिसाब से वहां के नेता को ही तवज्जो मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक 2018 में शिवराज सिंह की जनआशीर्वाद यात्रा निकाली थी भीड़ तो बहुत जुटी लेकिन भीड़ के लिहाज से वोट नहीं मिले और अब बीजेपी में कई सेंटर पावर हो चुके, लिहाजा आपसी समन्वय बना रहे, इसलिए पार्टी ने तय किया है कि जितनी भी यात्राएं निकलेंगी उनमें कोई अकेला चेहरा नहीं होगा.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर फिर केंद्र ने जताया भरोसा: चुनाव प्रबंधन की कमान एक बार फिर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हाथ होगी, सूत्रों की माने तो तोमर की संगठन से लेकर नेताओं में अच्छी पकड़ है. वे प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और पार्टी को जीत भी मिली, इस बार कहीं 2018 का रिपिटिशन न हो जाए लिहाजा केंद्र ने फिर तोमर पर भरोसा जताया है. हालांकि अभी तक चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी किसी दी जाएगी, य़े अधिकारिक एलान नहीं हुआ है लेकिन अमित शाह के दौरे के बाद माना जा रहा है कि चुनाव प्रबंधन की कमान तोमर के हाथों में होगी.
अमित शाह का प्लान: अमित शाह ने भोपाल में बैठक ली. जिसमें पूरा ब्यौरा और फीडबैक लिया. शाह ने फैसला लिया कि विजय संकल्प यात्रा तो निकलेगी लेकिन इसमें एक चेहरा नहीं होगा, बल्कि यात्रा को चार जोनो में बांटा जाएगा. पूरे प्रदेश को चार जोनो में बांटकर ये संदेश दिया जाएगा कि अब प्रदेश में कोई बड़ा नहीं सब एक बराबर हैं. जहां जिस जोन में यात्रा निकलेगी वहां के स्थानीय और बड़े लीडर ही सर्वेसर्वा होंगे.
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जनआशीर्वाद यात्रा में देरी का कारण: प्रदेश में सीएम शिवराज जनआशीर्वाद यात्रा निकालने वाले थे, तैयारी पूरी हो चुकी थी लेकिन अभी केंद्रीय हाईकमान की तरफ से हरी झंडी नहीं मिल पाई है पार्टी सूत्रो के मुताबिक फिलहाल केंद्र नहीं चाहता कि चुनाव एक ही चेहरे पर लड़ा जाए, यही वजह है कि अभी जनआशीर्वाद यात्रा को केंद्र की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है. सीएम शिवराज यात्रा को लीड करना चाह रहे हैं लेकिन एक चेहरा होगा या फिर अलग अलग इस पर भी चिंतन मंथन चल रहा है.
विकास यात्रा फेल: सीएम शिवराज सिंह के निर्देश पर मंत्रियों और विधायकों को विकास यात्रा निकालने के निर्देश दिए गए थे. सरकार की उपलब्धि औऱ विकास को बताने के लिए विधायक और मंत्री क्षेत्रों में रथ लेकर निकले लेकिन हाल ये रहा कि जनप्रतिनिधियों को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था , बढ़ते विरोध के बीच कई क्षेत्रों में विकास यात्रा को बंद करना पड़ा.