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भाजपा और टीआरएस : दोस्त से प्रतिद्वंद्वी बनने तक का सफर

तेलंगाना में सत्तासीन टीआरएस (TRS) पार्टी और बीजेपी (BJP) के बीच पांच साल पहले मित्रवत संबंध थे, इसी वजह से उस समय टीआरएस ने राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार का समर्थन किया था, लेकिन वर्तमान में पार्टी ने विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन किया है. पढ़िए पूरी खबर...

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भाजपा और टीआरएस
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Published : Jul 2, 2022, 12:29 PM IST

Updated : Jul 2, 2022, 5:21 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तकरीबन पांच साल पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का जोरशोर से समर्थन किया था और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) को भी संसद में अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की पैरवी करते हुए अक्सर देखा जाता था. लेकिन अब उनके और भाजपा के बीच सूरत-ए-हाल इस कदर बदल गया है कि राव शनिवार को शहर में विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भव्य स्वागत करने की योजना बना रहे हैं जबकि मोदी समेत भाजपा नेता अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रहे हैं, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सत्ता से बाहर करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की योजना है.

टीआरएस ने इस बैठक को 'सर्कस' बताया है जहां देश से राजनीतिक 'पर्यटक' एकत्रित होंगे. राव ने विपक्ष के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर जंग छेड़ दी है जबकि भाजपा ने राज्य में उनकी सत्ता खत्म करने की कोशिशों को दोगुना कर दिया है. राव 2014 से तेलंगाना में सत्ता में हैं. दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए हैदराबाद पहुंचे भाजपा के कुछ नेताओं ने राव की तुलना शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री का महाराष्ट्र के नेता जैसा हश्र होगा.

यह बैठक ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी सरकार के सत्ता से बाहर होने और भाजपा तथा शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई वाले गठबंधन के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद हो रही है. कभी टीआरएस के भाजपा से मधुर संबंध हुआ करते थे लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2019 में फिर से सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में धीरे-धीरे खटास आने लगी. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में पार्टी की संभावित वृद्धि को भांपने के बाद राव 'हताश और क्रुद्ध' हैं.

तेलंगाना में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरत में डालने के बाद भाजपा ने राज्य में विपक्ष की जगह भरने की कोशिश की. साथ ही, उसने विधानसभा उपचुनाव की दो अहम सीटों पर जीत दर्ज की और हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी के उत्कर्ष ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया है. भाजपा का बैठक के लिए हैदराबाद को चुनने का फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत समझा जा रहा है कि पार्टी उन राज्यों में विस्तार करना चाहती है जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है और तेलंगाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है.

केंद्र में 2014 में सत्ता में आने से बाद से यह चौथी बार है जब पार्टी दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक कर रही है. उसने इससे पहले 2017 में ओडिशा, 2016 में केरल और 2015 में बेंगलुरु में बैठक की थी.

ये भी पढ़ें - हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक : नड्डा ने किया उद्घाटन, पीएम मोदी को रिसीव नहीं करेंगे सीएम केसीआर

(पीटीआई-भाषा)

हैदराबाद : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तकरीबन पांच साल पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का जोरशोर से समर्थन किया था और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) को भी संसद में अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की पैरवी करते हुए अक्सर देखा जाता था. लेकिन अब उनके और भाजपा के बीच सूरत-ए-हाल इस कदर बदल गया है कि राव शनिवार को शहर में विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भव्य स्वागत करने की योजना बना रहे हैं जबकि मोदी समेत भाजपा नेता अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रहे हैं, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सत्ता से बाहर करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की योजना है.

टीआरएस ने इस बैठक को 'सर्कस' बताया है जहां देश से राजनीतिक 'पर्यटक' एकत्रित होंगे. राव ने विपक्ष के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर जंग छेड़ दी है जबकि भाजपा ने राज्य में उनकी सत्ता खत्म करने की कोशिशों को दोगुना कर दिया है. राव 2014 से तेलंगाना में सत्ता में हैं. दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए हैदराबाद पहुंचे भाजपा के कुछ नेताओं ने राव की तुलना शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री का महाराष्ट्र के नेता जैसा हश्र होगा.

यह बैठक ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी सरकार के सत्ता से बाहर होने और भाजपा तथा शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई वाले गठबंधन के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद हो रही है. कभी टीआरएस के भाजपा से मधुर संबंध हुआ करते थे लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2019 में फिर से सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में धीरे-धीरे खटास आने लगी. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में पार्टी की संभावित वृद्धि को भांपने के बाद राव 'हताश और क्रुद्ध' हैं.

तेलंगाना में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरत में डालने के बाद भाजपा ने राज्य में विपक्ष की जगह भरने की कोशिश की. साथ ही, उसने विधानसभा उपचुनाव की दो अहम सीटों पर जीत दर्ज की और हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी के उत्कर्ष ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया है. भाजपा का बैठक के लिए हैदराबाद को चुनने का फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत समझा जा रहा है कि पार्टी उन राज्यों में विस्तार करना चाहती है जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है और तेलंगाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है.

केंद्र में 2014 में सत्ता में आने से बाद से यह चौथी बार है जब पार्टी दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक कर रही है. उसने इससे पहले 2017 में ओडिशा, 2016 में केरल और 2015 में बेंगलुरु में बैठक की थी.

ये भी पढ़ें - हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक : नड्डा ने किया उद्घाटन, पीएम मोदी को रिसीव नहीं करेंगे सीएम केसीआर

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 2, 2022, 5:21 PM IST
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