रायपुर: बस्तर पर बीजेपी के फोकस की बात इसी से पता चलती है कि यहां, कांग्रेस से पहले बीजेपी के बड़े नेता यहां का दौरा कर चुके हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मार्च महीने में बस्तर आ चुके हैं. यहां उन्होंने सीआरपीएफ स्थापना दिवस में हिस्सा लिया. वह नक्सलगढ़ कहे जाने वाले पोटकपल्ली गए. फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस कैंप का दौरा किया. इसके बाद बस्तर के रहवासियों और बच्चों से मुलाकात की. शाह ने बस्तर की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद पर भी लगातार प्रहार करने की बात कर लोगों का ध्यान खींचा. पोटकपल्ली में अमित शाह ने पीडीएस स्कीम की राशन दुकान का लोकार्पण किया. इससे उन्होंने मैसेज दिया कि सरकार बस्तर के अंतिम गांव की सुध ले रही है.
बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की बस्तर पर नजर: बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की निगाहें भी बस्तर पर टिकी है. वह लगातार बस्तर के बीजेपी पदाधिकारियों से मुलाकात करते रहते हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर अब बस्तर में बीजेपी ने फिर से सियासी कवायद तेज कर दी है. हालांकि ओम माथुर का सोमवार का दौरा रद्द हो गया. लेकिन इससे पहले भाजपा सह प्रभारी नितिन नबीन बस्तर का दौरा कर चुके हैं.
बस्तर में बूथ स्तर पर बीजेपी की तैयारी: वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता के मुताबिक" बस्तर में बीजेपी का फोकस बूथ को मजबूत करना है. वह इस दिशा में लगातार काम कर रही है. अपना बूथ मजबूत का फंडा बीजेपी यहां चालू कर फिर से कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर रही है."
धर्मांतरण का मुद्दा उठाकर कांग्रेस को घेर रही बीजेपी: बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता कहते हैं कि "भाजपा सह प्रभारी नितिन नबीन का लगातर बस्तर दौरा हुआ है. यहां उन्होंने कार्यकताओं को चार्ज किया है. साथ ही नारायणपुर में हुए हिंसा को लेकर भी भाजपा ने आक्रामक रूप दिखाया है. धर्मांतरण करने और कराने वालों के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं दी है. यह दावा भी किया गया कि आदिवासियों का जबरिया बस्तर में धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. इस मुद्दे पर बीजेपी लगातार कांग्रेस को घेर रही है"
छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बस्तर संभाग क्यों है महत्वपूर्ण: छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. बस्तर संभाग में कुल 12 सीटें हैं, जिनमें 11 सीटें आदिवासी आरक्षित हैं. कहा जाता है कि बस्तर संभाग के आदिवासी मतदाता एकजुट होकर किसी भी पार्टी को समर्थन देते हैं. फिर पूरे राज्य में इसका असर दिखाई देता है. बांकी बचे 17 आदिवासी सीटों पर भी इसका असर देखा जाता है. यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए बस्तर बेहद अहम है. बस्तर संभाग की सीटें पर गौर करें तो सिर्फ जगदलपुर ही सामान्य श्रेणी की सीट है. उसके बाद दंतेवाड़ा, चित्रकोट, बीजापुर, बस्तर, कोंटा, कांकेर, कोंडागांव, केशकाल, नारायणपुर, अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर शामिल हैं.