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सुप्रिया सुले पर बयान को लेकर पाटिल बोले- अपमान का इरादा न था

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Published : May 26, 2022, 8:38 PM IST

सांसद सुप्रिया सुले को लेकर भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल के विवादित बयान पर स्पष्टीकरण सामने आया है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सफाई दी कि उनका इरादा सुप्रिया सुले का अपमान करना नहीं था. उन्होंने आगे क्या कहा, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

चंद्रकांत पाटिल
चंद्रकांत पाटिल

मुंबई : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के सांसद सुप्रिया सुले को लेकर दिए गए बयान पर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि उनका बयान सरल था. उनका इरादा सुप्रिया सुले का अपमान करना नहीं था. चंद्रकांत पाटिल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया है. चंद्रकांत पाटिल के इस बयान पर सोशल मीडिया और राजनीतिक स्तर पर ट्रोल किया जा रहा है. सुप्रिया सुले और उनके पति सदानंद सुले ने भी ट्वीट कर इस पर नाराजगी जताई है. इस बारे में चंद्रकांत पाटिल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि अगर उन्हें आरक्षण नहीं मिला, तो उन्हें सांसद के रूप में दौड़ने के बजाय घर जाना चाहिए. यदि आप ग्रामीण भाषा में पारंगत नहीं हैं, तो घर जाकर खाना बनाओ.'

गौरतलब है कि चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले पर निशाना साधते हुए बेहद विवादास्पद टिप्पणी की. उन्होंने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सांसद के लिए कहा, 'अगर आपको राजनीति की समझ नहीं है तो घर जाकर खाना बनाओ.' इससे पहले महाराष्ट्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण को लेकर दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौरान उन्होंने 'सेक्सिस्ट टिप्पणी' की थी.

भाजपा नेता स्पष्ट रूप से सुप्रिया सुले द्वारा ओबीसी कोटा के लिए महाराष्ट्र की लड़ाई की तुलना मध्य प्रदेश के साथ करने पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. सुले ने सवाल किया था कि भाजपा शासित राज्य को स्थानीय चुनावों में कोटा के लिए सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी कैसे मिली?. सुप्रिया सुले की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सत्ता साझा करती है. सुप्रिया सुले ने कहा था कि 'उन्होंने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने राहत पाने के लिए क्या किया?'

उधर, पाटिल की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राकांपा की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष विद्या चव्हाण ने पाटिल का नाम लिए बिना कहा कि एक व्यक्ति जिसने एक महिला विधायक का टिकट काट कर उनकी सीट से खुद चुनाव लड़ा, वह एक ऐसी सांसद का अपमान कर रहे हैं, जिन्हें दो बार (अच्छे प्रदर्शन के लिए) संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि आप मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, लेकिन हम अब चुप नहीं रहेंगे. उन्हें (पाटिल को) रोटी बनाना सीखना चाहिए, ताकि वह घर पर अपनी पत्नी की मदद कर सकें.'

पढ़ें : पाटिल का सुप्रिया सुले पर विवादित बयान-'राजनीति की समझ नहीं तो घर जाकर खाना पकाओ.'

बता दें कि कोल्हापुर के रहने वाले पाटिल ने पुणे की कोथरूड सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, जहां भाजपा की उस समय की विधायक मेधा कुलकर्णी का टिकट काट दिया गया था. सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने भी पाटिल की टिप्पणी की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'यह भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं जो सुप्रिया के बारे में बोल रहे हैं. मैंने हमेशा कहा है कि वे (भाजपा) नारी द्वेषी हैं और जब भी मौका लगता है कि महिलाओं को नीचा दिखाते हैं.' उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है जो एक गृहिणी, मां और एक सफल नेता हैं, जो भारत की कई अन्य मेहनती और प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक हैं. यह सभी महिलाओं का अपमान है.'

मुंबई : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के सांसद सुप्रिया सुले को लेकर दिए गए बयान पर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि उनका बयान सरल था. उनका इरादा सुप्रिया सुले का अपमान करना नहीं था. चंद्रकांत पाटिल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया है. चंद्रकांत पाटिल के इस बयान पर सोशल मीडिया और राजनीतिक स्तर पर ट्रोल किया जा रहा है. सुप्रिया सुले और उनके पति सदानंद सुले ने भी ट्वीट कर इस पर नाराजगी जताई है. इस बारे में चंद्रकांत पाटिल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि अगर उन्हें आरक्षण नहीं मिला, तो उन्हें सांसद के रूप में दौड़ने के बजाय घर जाना चाहिए. यदि आप ग्रामीण भाषा में पारंगत नहीं हैं, तो घर जाकर खाना बनाओ.'

गौरतलब है कि चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले पर निशाना साधते हुए बेहद विवादास्पद टिप्पणी की. उन्होंने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सांसद के लिए कहा, 'अगर आपको राजनीति की समझ नहीं है तो घर जाकर खाना बनाओ.' इससे पहले महाराष्ट्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण को लेकर दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौरान उन्होंने 'सेक्सिस्ट टिप्पणी' की थी.

भाजपा नेता स्पष्ट रूप से सुप्रिया सुले द्वारा ओबीसी कोटा के लिए महाराष्ट्र की लड़ाई की तुलना मध्य प्रदेश के साथ करने पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. सुले ने सवाल किया था कि भाजपा शासित राज्य को स्थानीय चुनावों में कोटा के लिए सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी कैसे मिली?. सुप्रिया सुले की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सत्ता साझा करती है. सुप्रिया सुले ने कहा था कि 'उन्होंने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने राहत पाने के लिए क्या किया?'

उधर, पाटिल की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राकांपा की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष विद्या चव्हाण ने पाटिल का नाम लिए बिना कहा कि एक व्यक्ति जिसने एक महिला विधायक का टिकट काट कर उनकी सीट से खुद चुनाव लड़ा, वह एक ऐसी सांसद का अपमान कर रहे हैं, जिन्हें दो बार (अच्छे प्रदर्शन के लिए) संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि आप मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, लेकिन हम अब चुप नहीं रहेंगे. उन्हें (पाटिल को) रोटी बनाना सीखना चाहिए, ताकि वह घर पर अपनी पत्नी की मदद कर सकें.'

पढ़ें : पाटिल का सुप्रिया सुले पर विवादित बयान-'राजनीति की समझ नहीं तो घर जाकर खाना पकाओ.'

बता दें कि कोल्हापुर के रहने वाले पाटिल ने पुणे की कोथरूड सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, जहां भाजपा की उस समय की विधायक मेधा कुलकर्णी का टिकट काट दिया गया था. सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने भी पाटिल की टिप्पणी की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'यह भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं जो सुप्रिया के बारे में बोल रहे हैं. मैंने हमेशा कहा है कि वे (भाजपा) नारी द्वेषी हैं और जब भी मौका लगता है कि महिलाओं को नीचा दिखाते हैं.' उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है जो एक गृहिणी, मां और एक सफल नेता हैं, जो भारत की कई अन्य मेहनती और प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक हैं. यह सभी महिलाओं का अपमान है.'

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