पटना: राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2022) में प्रत्याशियों के ऐलान को लेकर जारी सस्पेंस खत्म हो गया है. जेडीयू ने खीरू महतो को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बीजेपी ने अपने दो प्रत्याशियों के नामों की घोषणा (BJP Rajya Sabha candidate announced) कर दी है. बीजेपी से सतीश चंद्र दुबे (Satish Chandra Dubey) और शंभू शरण पटेल (Shambhu Sharan Patel) को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने फैसले से सबको चौंका दिया है. तो वहीं नीतीश कुमार ने भी केंद्रीय मंत्री को टिकट ना देकर आरसीपी समर्थकों को बड़ा झटका दिया है.
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कौन हैं शंभू शरण पटेल: भाजपा ने इस बार एक नये उम्मीदवार को भी राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है. शंभू शरण पटेल को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. शंभू शरण पटेल युवा चेहरा हैं. टिकट की घोषणा होने के बाद शंभू शरण पटेल ने कहा कि राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने फिर एक बार यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आम कार्यकर्ताओं को भी बीजेपी संसद पहुंचाती है. शंभू शरण पटेल का नाम सबसे चौंकाने वाला है. वे पुराने कार्यकर्ता हैं. इससे पहले वह पिछड़ा मोर्चा में सहसंयोजक थे. संजय जयसवाल की टीम में इनको प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी. भाजपा आलाकमान ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है.
सतीश चंद्र दुबे पर दोबारा भरोसा: बीजेपी ने सतीश चंद्र दुबे को रीपिट किया है. विधायक रहे सतीश चंद्र दुबे को बीजेपी ने 2014 में बाल्मीकि नगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ब्राह्मण समाज से आने वाले सतीश चंद दूबे की मोतिहारी और आसपास के इलाकों में अच्छी पैठ है. 2019 में इनकी सीट JDU के खाते में चली गई. इसके चलते इनका टिकट लोकसभा से कट गया था. सतीश चंद दुबे ने भाजपा में बगावत कर दी थी. डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने आनन-फानन में उन्हें राज्यसभा भेजा था. उनका कार्यकाल मात्र 3 साल का ही था. अब एक बार फिर से भाजपा ने सतीश चंद्र दुबे को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.
कौन हैं जेडीयू के खीरू महतो? जेडीयू के राज्यसभा प्रत्याशी खीरू महतो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के काफी खास हैं. बीते साल उन्हें झारखंड जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. खीरू महतो झारखंड के प्रभारी श्रवण कुमार के भी चहेते हैं. दूसरी ओर आरसीपी सिंह का टिकट काटकर खीरू महतो को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अब जेडीयू में भीतरघात की आशंका जतायी जा रही है.
अब क्या करेंगे आरसीपी: राज्यसभा टिकट नहीं मिलने से अब आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बने रहने को संदेह उत्पन्न हो गया है. बताया जाता है कि जेडीयू ने उन्हें राज्य की राजनीति में स्थापित करने का ऑफर दिया है. सूत्रों के मुताबिक आरसीपी सिंह केद्रीय मंत्रिमंडल से हटने के बाद उन्हें विधान परिषद के रास्ते राज्य में मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि अभी तक इस बारे में पार्टी की ओर औपचारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है.
बीजेपी ने साधा जातिगत समीकरण: बीजेपी ने टिकट वितरण में जातिगत समीकरण को साध लिया है. भाजपा ने शंभू शरण पटेल के जरिए कुर्मी कार्ड खेला है. शंभू शरण पटेल अवधिया कुर्मी हैं और वह अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. इनको राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जेडीयू के सामने चुनौती खड़ी की है. दूसरी ओर ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी ने सतीश चंद्र दुबे को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.
10 जून को चुनाव: आपको बता दें कि बिहार समेत पंद्रह राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों (5 सीट बिहार की) के लिए 10 जून को चुनाव होंगे. जून और अगस्त महीने के बीच इन सीटों का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. चुनाव के लिए नोमिनेशन की आखिरी तारीख 31 मई है. बिहार की 5 सीटों में दो बीजेपी, दो आरजेडी और 1 जेडीयू के पास है. जिसमें आरजेडी ने अपने दोनों उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, यहां मीसा भारती और फैयाज अहमद का नाम पर मुहर लगी है. वहीं बीजेपी और जेडीयू में उम्मीदवारी के लेकर अभी बैठकें ही चल रही हैं. सबसे ज्यादा उहापोह की स्थिति जेडीयू में है. जेडीयू में नाम की घोषणा के लिए सब ने नीतीश कुमार को ही अधिकृत किया है. अब तो वक्त ही बताएगा की नीतीश अपनी पार्टी में किस पर भरोसा जताते हैं.
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