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पांच राज्यों के चुनावों में भाजपा को हमारे वेलफेयर एजेंडे पर चलने को होना पड़ा मजबूर : कांग्रेस - एआईसीसी सचिव

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से बयान सामने आया है. कांग्रेस का कहना है कि पांचों राज्यों में भाजपा को उसके एजेंडे का पालन करने पर मजबूर होना पड़ा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट. Congress of five state polls, BJP following our welfare agenda.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 21, 2023, 5:00 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने मंगलवार को कहा, भाजपा पांच राज्यों के चुनावों में ध्रुवीकरण करने में असमर्थ रही है और पहली बार भगवा पार्टी को जन-केंद्रित नीतियों और सामाजिक कल्याण गारंटी पर आधारित कांग्रेस के एजेंडे का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव काजी निज़ामुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया, 'भाजपा ने उदयपुर में एक दर्जी की हत्या को उजागर करके राजस्थान में आतंकवाद का मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन राज्य पुलिस की त्वरित कार्रवाई को नजरअंदाज कर दिया. दरअसल, कुछ बीजेपी नेताओं के नाम इस अपराध से जुड़े पाए गए थे. उन्होंने अन्य राज्यों में भी मतदाताओं को विभाजित करने की कोशिश की लेकिन पहली बार उन्हें हमारे एजेंडे का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा जो जन-केंद्रित नीतियों और सामाजिक कल्याण गारंटी पर आधारित है. उन्होंने हमारी शैली की नकल की है और राज्यों में भी इसी तरह के वादे किए हैं.'

उन्होंने कहा कि 'सभी पांच राज्यों में कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी सरकारों द्वारा किए गए कार्यों और मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में हम सत्ता में आये तो वादों के संदर्भ में नौकरियों, गरीबी उन्मूलन, महिला और युवा सशक्तिकरण और कृषि के लिए एक मजबूत योजना की बात की है. पार्टी शासित राज्यों में हमारे सत्ता में लौटने पर कुछ प्रशंसनीय विषय जारी रहेंगे.'

एआईसीसी सचिव के अनुसार, दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ अन्य चुनावी राज्यों में पार्टी द्वारा जारी किए गए गारंटी को आलाकमान के निर्देशों के साथ-साथ मतदाताओं से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. काजी ने कहा कि 'उदाहरण के लिए राजस्थान घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी ने लोगों से 3 करोड़ से अधिक सुझाव प्राप्त किए और फिर दस्तावेज़ तैयार करने के लिए उनका विश्लेषण किया.'

उन्होंने कहा कि 'चाहे वह राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ हो, हर जगह भाजपा इसी तरह के या उससे भी बड़े वादे करने की कोशिश कर रही है, लेकिन पिछले वर्षों में लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान देने की कभी जहमत नहीं उठाई गई. अब उसे एहसास हो गया है कि विभाजनकारी एजेंडा काम नहीं करेगा क्योंकि मतदाता समझदार हो गए हैं और राजनीतिक दलों के काम और आश्वासनों का मूल्यांकन करते हैं.'

तेलंगाना के प्रभारी एआईसीसी सचिव रोहित चौधरी ने कहा कि 'पार्टी ने पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी को आमंत्रित किया था, जिन्होंने मतदाताओं को एक संदेश भेजने के लिए छह गारंटियों की घोषणा करने के निर्माण में भूमिका निभाई थी, लेकिन वास्तव में उन्होंने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में पहले के अभियानों से गारंटी जारी करने का विचार किया था.'

चौधरी ने बताया, 'केवल वादों के बजाय गारंटियों की प्रस्तुति ने पार्टी को गंभीरता की तस्वीर पेश करने में मदद की और यह भी दिखाया कि हम वादे करने से पहले अपना होमवर्क करते हैं और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता का मूल्यांकन करते हैं. हमने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे पार्टी के पास भाजपा के विपरीत चुनावी वादों को पूरा करने का ट्रैक रिकॉर्ड है जो उन्हें आसानी से भूल जाती है. उन्होंने तेलंगाना में समान नागरिक संहिता का वादा किया है, जहां उनके पास सरकार बनाने का मुश्किल ही मौका है.'

निज़ामुद्दीन और चौधरी दोनों के अनुसार, जाति जनगणना का पार्टी का वादा भी मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है क्योंकि यह कांग्रेस के सामाजिक कल्याण एजेंडे के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. इसके अलावा मतदाताओं को अलर्ट किया गया है कि यदि भगवा पार्टी को चुना तो मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी जैसी समस्याएं वापस आ जाएंगी.

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नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने मंगलवार को कहा, भाजपा पांच राज्यों के चुनावों में ध्रुवीकरण करने में असमर्थ रही है और पहली बार भगवा पार्टी को जन-केंद्रित नीतियों और सामाजिक कल्याण गारंटी पर आधारित कांग्रेस के एजेंडे का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव काजी निज़ामुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया, 'भाजपा ने उदयपुर में एक दर्जी की हत्या को उजागर करके राजस्थान में आतंकवाद का मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन राज्य पुलिस की त्वरित कार्रवाई को नजरअंदाज कर दिया. दरअसल, कुछ बीजेपी नेताओं के नाम इस अपराध से जुड़े पाए गए थे. उन्होंने अन्य राज्यों में भी मतदाताओं को विभाजित करने की कोशिश की लेकिन पहली बार उन्हें हमारे एजेंडे का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा जो जन-केंद्रित नीतियों और सामाजिक कल्याण गारंटी पर आधारित है. उन्होंने हमारी शैली की नकल की है और राज्यों में भी इसी तरह के वादे किए हैं.'

उन्होंने कहा कि 'सभी पांच राज्यों में कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी सरकारों द्वारा किए गए कार्यों और मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में हम सत्ता में आये तो वादों के संदर्भ में नौकरियों, गरीबी उन्मूलन, महिला और युवा सशक्तिकरण और कृषि के लिए एक मजबूत योजना की बात की है. पार्टी शासित राज्यों में हमारे सत्ता में लौटने पर कुछ प्रशंसनीय विषय जारी रहेंगे.'

एआईसीसी सचिव के अनुसार, दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ अन्य चुनावी राज्यों में पार्टी द्वारा जारी किए गए गारंटी को आलाकमान के निर्देशों के साथ-साथ मतदाताओं से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. काजी ने कहा कि 'उदाहरण के लिए राजस्थान घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी ने लोगों से 3 करोड़ से अधिक सुझाव प्राप्त किए और फिर दस्तावेज़ तैयार करने के लिए उनका विश्लेषण किया.'

उन्होंने कहा कि 'चाहे वह राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ हो, हर जगह भाजपा इसी तरह के या उससे भी बड़े वादे करने की कोशिश कर रही है, लेकिन पिछले वर्षों में लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान देने की कभी जहमत नहीं उठाई गई. अब उसे एहसास हो गया है कि विभाजनकारी एजेंडा काम नहीं करेगा क्योंकि मतदाता समझदार हो गए हैं और राजनीतिक दलों के काम और आश्वासनों का मूल्यांकन करते हैं.'

तेलंगाना के प्रभारी एआईसीसी सचिव रोहित चौधरी ने कहा कि 'पार्टी ने पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी को आमंत्रित किया था, जिन्होंने मतदाताओं को एक संदेश भेजने के लिए छह गारंटियों की घोषणा करने के निर्माण में भूमिका निभाई थी, लेकिन वास्तव में उन्होंने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में पहले के अभियानों से गारंटी जारी करने का विचार किया था.'

चौधरी ने बताया, 'केवल वादों के बजाय गारंटियों की प्रस्तुति ने पार्टी को गंभीरता की तस्वीर पेश करने में मदद की और यह भी दिखाया कि हम वादे करने से पहले अपना होमवर्क करते हैं और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता का मूल्यांकन करते हैं. हमने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे पार्टी के पास भाजपा के विपरीत चुनावी वादों को पूरा करने का ट्रैक रिकॉर्ड है जो उन्हें आसानी से भूल जाती है. उन्होंने तेलंगाना में समान नागरिक संहिता का वादा किया है, जहां उनके पास सरकार बनाने का मुश्किल ही मौका है.'

निज़ामुद्दीन और चौधरी दोनों के अनुसार, जाति जनगणना का पार्टी का वादा भी मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है क्योंकि यह कांग्रेस के सामाजिक कल्याण एजेंडे के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. इसके अलावा मतदाताओं को अलर्ट किया गया है कि यदि भगवा पार्टी को चुना तो मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी जैसी समस्याएं वापस आ जाएंगी.

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