पटना : कहते हैं किसी चीज को यदि शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में जुट जाती है. शायद चिराग पासवान के साथ अभी यही कुछ हुआ है. चिराग पासवान भले पिछले कुछ सालों से एनडीए के हिस्सा नहीं रहे हों, लेकिन उन्होंने अक्सर अपने आप को एनडीए का हिस्सा माना है. यहां तक की अपने आपको चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान तक बता दिया था. इसका फायदा लोकसभा चुनाव आते-आते चिराग पासवान को दिखने लगा. बीजेपी की तरफ से उन्हें बुलावा आया और एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया गया. जिसे चिराग ने स्वीकार कर लिया.
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चिराग पासवान की शर्तें : पिछले दिनों चिराग पासवान की एनडीए के प्रमुख नेताओं से मुलाकात हुई. चिराग पासवान ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने अपनी बातों को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दिया है. जिसका सकारात्मक जवाब मिला है. हालांकि चिराग पासवान ने उसे शर्तों का नाम नहीं दिया लेकिन, जो बातें सामने आ रही है उसके मुताबिक चिराग पासवान ने बीजेपी आलाकमान के सामने 6 लोकसभा सीट और एक राज्यसभा सीट की मांग की है. जैसा कि 2019 में जब रामविलास पासवान थे, उस समय जो फार्मूला बीजेपी ने एलजेपी के लिए लागू किया था, उसी फार्मूले की बात चिराग पासवान अभी कर रहे हैं. चिराग पासवान के मुताबिक इन बातों पर बीजेपी ने सकारात्मक संकेत दिए हैं.
हाजीपुर बनी चाचा-भतीजा के लिए हॉट सीट : इन शर्तों के बीच में हाजीपुर लोकसभा सीट 'हॉट सीट' बनी हुआ है. भतीजा चिराग पासवान अब हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनका मानना है कि इस सीट से उनके पिता रामविलास पासवान व्यक्तिगत और इमोशनल रूप से जुड़े हुए थे. जिसका उत्तराधिकारी चिराग पासवान अपने आप को मानते हैं. तो वहीं, चाचा पशुपति पारस का यह कहना है कि जब उनके बड़े भाई रामविलास पासवान जीवित थे तो उन्होंने हाजीपुर का उत्तराधिकारी उन्हें बनाया था, ऐसे में हाजीपुर पर उनका अधिकार है. लेकिन चिराग पासवान ने बीजेपी आलाकमान के सामने हाजीपुर को लेकर अपनी एक शर्त रखी है. एलजेपी सूत्रों की माने तो चिराग पासवान हाजीपुर भी चाहते हैं और जमुई को छोड़ना भी नहीं चाहते.
6 सीटों में 3 सीटें पासवान परिवार के पास : बिहार में 6 सीटें आरक्षित है. जिसमें हाजीपुर, समस्तीपुर, जमुई, गया, सासाराम और गोपालगंज शामिल है. इन 6 सीटों में 3 सीटें पासवान परिवार के पास हैं. हाजीपुर से पशुपति पारस सांसद हैं, जमुई से चिराग पासवान और समस्तीपुर से प्रिंस राज सांसद है. अब इन 3 सीटों के अलावा चिराग पासवान यदि हाजीपुर और जमुई पर दावा ठोकते हैं तो, पशुपति पारस के लिए बीजेपी को चौथी सीट देनी होगी. जो बिहार की सामाजिक समीकरण के मुताबिक बीजेपी कभी ऐसा नहीं करेगी.
बीजेपी को चिराग और पारस दोनों चाहिए : फिलहाल, भारतीय जनता पार्टी ने चिराग पासवान को अपने पाले में लाने के लिए सकारात्मक संकेत जरूर दिए हैं. लेकिन, भारतीय जनता पार्टी कभी भी पशुपति पारस को अपने खेमे से दूर नहीं करेगी. वजह साफ है कि पशुपति पारस का पुराने लोक जनशक्ति पार्टी में अच्छी पकड़ थी. भले उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान हुआ करते थे. लेकिन, संगठन के काम को पशुपति पारस देखते थे और उनका जुड़ाव हर कार्यकर्ता और उससे जुड़े हर क्षेत्र से रहता था. ऐसे में बीजेपी को यह पता है कि बिहार में पासवान परिवार के पास 6 से 7% वोट है और उसे अपने हाथ से बीजेपी नहीं जाने देना चाहेगी. यही वजह है कि बीजेपी चाचा और भतीजा दोनों को अपने साथ मिलाकर रखेगी और दोनों के लिए एक अलग अलग फार्मूला बनाकर सेट करेगी.
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार : कई सालों से लोक जनशक्ति पार्टी को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय बताते हैं कि "बीजेपी के लिए चाचा पशुपति पारस जितने महत्वपूर्ण हैं उतने ही महत्वपूर्ण चिराग पासवान हैं. दोनों की अहमियत गठबंधन में काफी है. अभी के परिदृश्य में भले चाचा भतीजा अलग-अलग हों लेकिन, आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी किसी भी हाल में चाचा-भतीजे को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगी. चिराग पासवान यूथ आइकन हैं, डायनेमिक हैं, उनके राजनीति करने का तरीका अलग है तो, बीजेपी दलित युवा चेहरे के तौर पर उन पर भरोसा जता रही है. ऐसे में कुछ शर्तों को मान कर, कुछ शर्तों को मैनेज करके, बीजेपी अपने गठबंधन में चाचा-भतीजा दोनों को रखेगी."