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परिसीमन प्रक्रिया के जरिए बीजेपी असम में कर रही ध्रुवीकरण की राजनीति: अब्दुल खालिक

कांग्रेस पार्टी मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर लगातार सत्ताधारी पार्टी को घेर रही है. सड़क से लेकर संसद तक कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन नरेंद्र मोदी को संसद में बयान देने की मांग कर रहा है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी असम में भी परिसीमन प्रक्रिया से ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रही है. इसे लेकर कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय से बात की...

Special conversation with Congress MP Abdul Khaliq
कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक
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Published : Jul 27, 2023, 8:36 PM IST

कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक से खास बातचीत

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर परिसीमन प्रक्रिया की मदद से असम में ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. पार्टी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त करने की भी मांग की. कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि हम परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं. सच कहूं तो परिसीमन प्रक्रिया का मौजूदा मसौदा चुनाव आयोग का मसौदा नहीं है, यह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा तैयार किया गया मसौदा है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मसौदा है जो मोहम्मद अली जिन्ना जैसे लोगों को खुश कर सकता है. खलीक ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत नाटक है. मैंने मसौदे के विरोध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार, असम सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग से परिसीमन कदम का विरोध करने वाले असम के 11 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर जवाब देने को कहा है. खलीक ने कहा कि यह मसौदा असम के लिए अच्छा नहीं है. जब 2026 में भारत में परिसीमन प्रक्रिया होगी, तो असम को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए था.

विपक्षी दलों का दावा है कि यह मसौदा दो दशक पुरानी (2001) जनसंख्या जनगणना के आधार पर तैयार किया गया है. खलीक ने कहा कि फिलहाल परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है और मामला अदालत में भी है. उन्होंने दावा किया कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति खेलने की कोशिश कर रही है. ख़लीक़ ने पूछा कि सरकार विकास कार्यों के आधार पर जनता के पास नहीं जा सकती. विडम्बना यह है कि भारतीय संविधान में मूल निवासियों की सुरक्षा का कोई जिक्र नहीं है लेकिन परिसीमन के प्रारूप पत्र में चुनाव आयोग ने मूल निवासियों की सुरक्षा का उल्लेख किया है. ऐसा कैसे हो सकता है?

खलीक ने मणिपुर के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है. ख़लीक़ ने कहा कि हमने पिछले सत्र में देखा है कि सत्ता पक्ष के सदस्य किस तरह सदन में चिल्ला रहे थे और ये भी वे कर रहे हैं. हम सदन में चर्चा चाहते हैं, क्योंकि मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर है. उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया, तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की स्थिति पर कुछ सेकंड के लिए बात की.

मोदी की आलोचना करते हुए खलीक ने कहा कि आप मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से नहीं कर सकते. मणिपुर की स्थिति बिल्कुल अलग है. मोदी ने हाल ही में एक संक्षिप्त भाषण में राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल का नाम लेते हुए राज्य सरकार से महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा. खलीक ने कहा कि मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रही है.

खलीक ने कहा कि बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए. गौरतलब है कि गुरुवार को संसद में विपक्षी सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करते हुए मणिपुर का मुद्दा उठाते रहे. विपक्षी सांसदों ने सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा संबंधित राज्यसभा की व्यापार सलाहकार समिति की बैठक का भी बहिष्कार किया.

कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक से खास बातचीत

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर परिसीमन प्रक्रिया की मदद से असम में ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. पार्टी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त करने की भी मांग की. कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि हम परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं. सच कहूं तो परिसीमन प्रक्रिया का मौजूदा मसौदा चुनाव आयोग का मसौदा नहीं है, यह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा तैयार किया गया मसौदा है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मसौदा है जो मोहम्मद अली जिन्ना जैसे लोगों को खुश कर सकता है. खलीक ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत नाटक है. मैंने मसौदे के विरोध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार, असम सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग से परिसीमन कदम का विरोध करने वाले असम के 11 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर जवाब देने को कहा है. खलीक ने कहा कि यह मसौदा असम के लिए अच्छा नहीं है. जब 2026 में भारत में परिसीमन प्रक्रिया होगी, तो असम को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए था.

विपक्षी दलों का दावा है कि यह मसौदा दो दशक पुरानी (2001) जनसंख्या जनगणना के आधार पर तैयार किया गया है. खलीक ने कहा कि फिलहाल परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है और मामला अदालत में भी है. उन्होंने दावा किया कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति खेलने की कोशिश कर रही है. ख़लीक़ ने पूछा कि सरकार विकास कार्यों के आधार पर जनता के पास नहीं जा सकती. विडम्बना यह है कि भारतीय संविधान में मूल निवासियों की सुरक्षा का कोई जिक्र नहीं है लेकिन परिसीमन के प्रारूप पत्र में चुनाव आयोग ने मूल निवासियों की सुरक्षा का उल्लेख किया है. ऐसा कैसे हो सकता है?

खलीक ने मणिपुर के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है. ख़लीक़ ने कहा कि हमने पिछले सत्र में देखा है कि सत्ता पक्ष के सदस्य किस तरह सदन में चिल्ला रहे थे और ये भी वे कर रहे हैं. हम सदन में चर्चा चाहते हैं, क्योंकि मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर है. उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया, तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की स्थिति पर कुछ सेकंड के लिए बात की.

मोदी की आलोचना करते हुए खलीक ने कहा कि आप मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से नहीं कर सकते. मणिपुर की स्थिति बिल्कुल अलग है. मोदी ने हाल ही में एक संक्षिप्त भाषण में राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल का नाम लेते हुए राज्य सरकार से महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा. खलीक ने कहा कि मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रही है.

खलीक ने कहा कि बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए. गौरतलब है कि गुरुवार को संसद में विपक्षी सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करते हुए मणिपुर का मुद्दा उठाते रहे. विपक्षी सांसदों ने सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा संबंधित राज्यसभा की व्यापार सलाहकार समिति की बैठक का भी बहिष्कार किया.

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