नई दिल्ली : पिछले चार दिनों संसद के अंदर और बाहर हंगामा बरकरार है. मुद्दा जो सबसे बड़ा है वह है राहुल गांधी देश से माफी मांगें, वहीं विपक्ष का मुद्दा अडाणी मामले पर जेपीसी की मांग है. जहां विपक्षी पार्टियां सरकार पर वार कर रही हैं और देश में बड़ा घोटाला होने की बात करते हुए जेपीसी की मांग कर रही हैं, वहीं इस बार सत्ताधारी पार्टी भी पीछे नहीं है. पिछले 4 दिनों से सरकार के तमाम बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री, राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं.
राहुल गांधी के ब्रिटेन में दिए गए बयान को लेकर बीजेपी पूरी तरह से हमलावर है. भारतीय जनता पार्टी ने एलान कर दिया है कि जब तक राहुल गांधी देश की जनता से माफी नहीं मांगेंगे तब तक वह संसद के अंदर और बाहर भी पूरे देश में श्रृंखलाबद्ध प्रदर्शन करेगी.
गुरुवार को जब संसद की शुरुआत हुई उससे पहले ही केंद्र के कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की. इसी मांग पर बीजेपी सांसद, संसद के अंदर हंगामा करते रहे. वहीं, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी अवतरित होते ही झूठ बोलने लगे.
उन्होंने कहा कि आज भारत के लोगों को कोई विदेश में अपमानित कर रहा है तो वो हैं राहुल गांधी. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर राहुल गांधी को चीन से इतना लगाव क्यों है. राहुल के लोकतंत्र खतरे वाले बयान पर बोलते हुए रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया कि राहुल गांधी आप कैसे वायनाड से एमपी कैसे हुए,लोकतंत्र ने ही जिताया है. आप हिमाचल में लोकतंत्र के भरोसे ही जीते और जब नॉर्थ ईस्ट में हार गए तो भारत से बाहर जाकर विलाप कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बेबुनियाद बातें करना राहुल गांधी की आदत हो गई है. बीजेपी ने ये भी सवाल उठाया कि चीन से आखिर राहुल गांधी को क्या लगाव है,जबकि चीन को लेकर पूरी दुनिया में सेंस ऑफ इनसिक्योरिटी है और उनकी कूटनीति को राहुल गांधी सद्भावना बताते हैं.
यही नहीं बीजेपी ने ये भी एलान किया है की राहुल गांधी देश की विदेश नीति को कितना जानते हैं इसपर बहस और चर्चा होनी चाहिए. साथ ही ये भी कहा है कि जबतक राहुल माफी नहीं मांगते, बीजेपी मांग करेगी कि राहुल गांधी देश से माफी मांगे और इसके लिए भाजपा सीरीज ऑफ प्रोटेस्ट पूरे देशभर में जारी रखेगी.
कुल मिलाकर कांग्रेस माफी मांगने के मूड में नहीं और बीजेपी इससे कुछ कम में मानने को राजी नहीं. ऐसे में क्या 2018 की तरह एकबार फिर बजट बगैर चर्चा के ही पास करवा दिया जाएगा, क्योंकि यदि देखा जाए तो सदन की स्थिति इसी ओर इशारा कर रही है. 2018 में भी विपक्षी पार्टियों की मांग नही माने जाने और लगातार हंगामे की वजह से सरकार का कामकाज ठप रहा. 2018 में भीं दो बड़े सरकारी बैंकों में हुए घोटाले के आरोपियों को देश से बाहर जाने देने की अनुमति पर विपक्षी पार्टियां लामबद्ध होकर सरकार से जवाब मांग रही थीं और 2019 में लोकसभा चुनाव थे. बजट पर संसद की मुहर लगना संवैधानिक दायित्व है, जिसके बगैर सरकार अपने कामकाज में एक भी पैसा खर्च नहीं कर सकती, और यही वजह है कि इसपर संसद में चर्चा होती है और आमराय से इसे पास किया जाता है.
वहीं, बजट मनी बिल होता है और राज्यसभा भी इसे अपने पास 14 दिन से ज्यादा नहीं रख सकती. फिलहाल इसपर लोकसभा में ही चर्चा की शुरुआत नहीं हो पाई है. जहां एक ओर अलग अलग राजनीतिक पार्टियां कोई जेपीसी तो कोई जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का सरकार पर आरोप लगा रहीं हैं, वहीं दूसरी ओर एनडीए के नेता राहुल के बयान पर माफी की मांग पर अड़े हैं. ऐसे में देखना है कि अब सरकार क्या निर्णय लेती है.
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