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यूपी पंचायत चुनावों को विधानसभा-2022 का सेमीफाइनल मान रही भाजपा

उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव को बीजेपी प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है. हालांकि कोरोना काल में भी पश्चिम बंगाल में चल रही भाजपा की बड़ी रैलियों को लेकर की जा रही आलोचना की वजह से पार्टी ने उत्तर प्रदेश में बड़े नेताओं के कार्यक्रम को फिलहाल रद कर दिया है.

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Published : Apr 16, 2021, 9:05 PM IST

नई दिल्ली : देश में बेतहाशा बढ़ते कोरोना के मरीजों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने यूपी पंचायत चुनाव के लिए तय किए गए बड़े नेताओं के कार्यक्रम को रद कर दिया है. दरअसल, वार्ड स्तर पर केंद्रीय नेताओं की जनसभाएं की जानी थी जिन्हें फिलहाल टाल दिया गया है. उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की शुरुआत हो चुकी है और यह 29 अप्रैल तक चलेंगे. चार चरण में हो रहे चुनाव के रिजल्ट भी 2 मई को ही आएंगे.

उत्तर प्रदेश में इस बार कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना से जूझ रहे हैं. ऐसे में हर वार्ड के लिए पार्टी द्वारा तैयार की गई जनसभा का आयोजन रद किया गया है.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में भाजपा के स्थानीय विधायकों सांसद मंत्रियों और वरिष्ठ भाजपा के नेताओं को जनसभाओं में जाना था. पार्टी के मुताबिक हर वार्ड में एक जनसभा का आयोजन किया जाना था लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों व पश्चिम बंगाल की रैलियों पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से किए जा रहे सवाल की वजह से पार्टी ने फिलहाल यह योजना रद कर दी है.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल

यह प्रचार अब स्थानीय नेताओं द्वारा डोर-टू-डोर किए जा रहे हैं. पार्टी मुख्यालय की तरफ से जारी आदेश में यह साफ तौर पर कहा गया है कि भाजपा के स्थानीय नेता जो डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं, वे सोशल डिस्टेंसिंग मापदंडों का पालन करें. छोटी-छोटी बैठकों का आयोजन करें जिनमें 5 से अधिक लोग मौजूद न हों.

वहीं पंचायत चुनाव को टालने के लिए भी भाजपा के कई सांसदों ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी अपील की थी. पार्टी के सांसद कौशल किशोर ने तो ट्वीट कर इस चुनाव को एक महीना आगे बढ़ा देने की मांग की थी. बावजूद इसके चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया और न ही पार्टी की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई मांग की गई.

उत्तर प्रदेश में भले ही पंचायत चुनाव चल रहे हों मगर भारतीय जनता पार्टी इसे 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा मान रही है और इसे सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है. क्योंकि कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच काफी असंतोष है.

यह भी पढ़ें-बंगाल चुनाव को लेकर EC की नई गाइडलाइन, अब 72 घंटे पहले थमेगा प्रचार

खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नाराज हैं और पार्टी को यह लगता है कि यह चुनाव अगर भाजपा जीतती है तो कहीं ना कहीं यह उनके लिए आगे का रास्ता प्रशस्त कर सकता है.

नई दिल्ली : देश में बेतहाशा बढ़ते कोरोना के मरीजों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने यूपी पंचायत चुनाव के लिए तय किए गए बड़े नेताओं के कार्यक्रम को रद कर दिया है. दरअसल, वार्ड स्तर पर केंद्रीय नेताओं की जनसभाएं की जानी थी जिन्हें फिलहाल टाल दिया गया है. उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की शुरुआत हो चुकी है और यह 29 अप्रैल तक चलेंगे. चार चरण में हो रहे चुनाव के रिजल्ट भी 2 मई को ही आएंगे.

उत्तर प्रदेश में इस बार कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना से जूझ रहे हैं. ऐसे में हर वार्ड के लिए पार्टी द्वारा तैयार की गई जनसभा का आयोजन रद किया गया है.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में भाजपा के स्थानीय विधायकों सांसद मंत्रियों और वरिष्ठ भाजपा के नेताओं को जनसभाओं में जाना था. पार्टी के मुताबिक हर वार्ड में एक जनसभा का आयोजन किया जाना था लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों व पश्चिम बंगाल की रैलियों पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से किए जा रहे सवाल की वजह से पार्टी ने फिलहाल यह योजना रद कर दी है.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल

यह प्रचार अब स्थानीय नेताओं द्वारा डोर-टू-डोर किए जा रहे हैं. पार्टी मुख्यालय की तरफ से जारी आदेश में यह साफ तौर पर कहा गया है कि भाजपा के स्थानीय नेता जो डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं, वे सोशल डिस्टेंसिंग मापदंडों का पालन करें. छोटी-छोटी बैठकों का आयोजन करें जिनमें 5 से अधिक लोग मौजूद न हों.

वहीं पंचायत चुनाव को टालने के लिए भी भाजपा के कई सांसदों ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी अपील की थी. पार्टी के सांसद कौशल किशोर ने तो ट्वीट कर इस चुनाव को एक महीना आगे बढ़ा देने की मांग की थी. बावजूद इसके चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया और न ही पार्टी की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई मांग की गई.

उत्तर प्रदेश में भले ही पंचायत चुनाव चल रहे हों मगर भारतीय जनता पार्टी इसे 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा मान रही है और इसे सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है. क्योंकि कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच काफी असंतोष है.

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खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नाराज हैं और पार्टी को यह लगता है कि यह चुनाव अगर भाजपा जीतती है तो कहीं ना कहीं यह उनके लिए आगे का रास्ता प्रशस्त कर सकता है.

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