नई दिल्ली : भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेड्डी स्वाने ने पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात की थी. फ्रेड्डी स्वाने अपनी मुलाकात के दौरान बीजेपी और संघ के बारे में जानने की दिलचस्पी दिखाई. इसके अलावा उन्होंने वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की. ईटीवा भारत के साथ खास बातचीत में डेनमार्क के राजदूत ने बीजेपी नेताओं से मुलाकात के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने देश के स्टैंड के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि डेनमार्क जल्द ही रूस से एनर्जी इंपोर्ट करने पर बैन लगाएगा. भारत के साथ रिश्तों को लेकर उन्होंने कबूल किया कि पहले दोनों देशों के बीच संबंध ठंडे थे, अब उसमें काफी बदलाव आया है.
सवाल : भाजपा के नेताओं और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ आपकी बातचीत कैसी रही?
फ्रेड्डी स्वाने : मैं वहां कई बार गया हूं. यह वास्तव में एक अच्छी बातचीत थी. कई भ्रांतियां दूर हुईं. हमने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में कई मुद्दों पर चर्चा की और मैंने पूछा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कैसे बदला जाए? दूसरे, मैंने आरएसएस के बारे में भी पूछा. मेरे देश सहित यूरोप के लोगों में आरएसएस को लेकर कई विचार हैं. क्या यह एक सुपर राष्ट्रवादी पार्टी है और देश में इसकी क्या भूमिका है?
सवाल : आप भाजपा की राजनीतिक विचारधारा और आरएसएस के साथ उसके संबंधों को कैसे देखते हैं?
फ्रेड्डी स्वाने : इसमें कोई शक नहीं है कि भाजपा एक बहुत ही स्ट्रक्चर्ड और ऑर्गनाइज्ड पार्टी है. भारत के आकार और 108 मिलियन से अधिक की सदस्यता को देखते हुए, भाजपा वास्तव में एक सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. भाजपा मुख्यालय में हमारी बैठक के दौरान हमें इस बारे में अच्छी जानकारी दी गई. राज्यों के पिछले चुनाव से पता चलता है कि पार्टी कितनी अच्छी तरह से स्ट्रक्टचर्ड है. मैंने पूछा कि आरएसएस पर कई अलग-अलग विचार हैं जैसे मुस्लिम विरोधी, हिंदू राष्ट्रवादी समूह और इस पर जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि यह एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है जो भारतीय मूल्यों की बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर नड्डा जी ने बताया कि उनकी स्थिति क्या है. मैंने बैठक के बाद सैयद जफर इस्लाम से भी बात की, जो एक राज्यसभा सदस्य हैं. उन्होंने मुझे अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर पार्टी के रुख पर बहुत अच्छी जानकारी दी.
सवाल : अपने तीन दिवसीय यूरोप यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अपने डेनमार्क के समकक्ष से मुलाकात की. उन्होंने यूक्रेन, इंडो-पैसिफिक में चल रहे युद्ध पर चर्चा की और विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर करके द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया.आप भारत-डेनमार्क के भविष्य के संबंधों को कैसे देखते हैं?
फ्रेड्डी स्वाने : भारत के साथ हमारे संबंध पहले काफी ठंडे थे, लेकिन अब हमने अपने रिश्ते मजबूत कर लिए हैं. पिछले 3 वर्षों में, हमारे प्रधानमंत्री और पीएम मोदी के बीच 3 शिखर सम्मेलन हुए हैं, जो दर्शाता है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध कैसे मजबूत हो रहे हैं. और निश्चित रूप से, हमारे बीच ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप है. भारत को क्या करना चाहिए, हम इसकी शिक्षा और उपदेश नहीं दे रहे हैं. भारत और डेनमार्क के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. दोनों पक्षों ने यूक्रेन के मुद्दे पर भी बहुत खुली चर्चा की. हमने इस पर डेनमार्क की स्थिति को दोहराया और पीएम मोदी ने बताया कि भारत ने खुद को इस स्थिति में क्यों रखा है.
सवाल : पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत की है, हमने यूक्रेन को मानवीय सहायता की आपूर्ति की है. इस समस्या पर भारत की प्रतिक्रिया कैसी है?
फ्रेड्डी स्वाने : आपको वापस जाना होगा और सोचना होगा कि वास्तव में आधुनिक भारत को किसने आकार दिया है. मुझे लगता है कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत ने शुरू में अन्य देशों के साथ अपने नागरिकों को निकालने पर ध्यान केंद्रित किया औरअपने सभी छात्रों को निकाला, सिवाय एक के जो दुर्भाग्य से इस युद्ध में मारा गया. यहां तक कि डेनमार्क के पीएम ने भी पीएम मोदी से कहा कि इस युद्ध को रोकने के लिए अपने मजबूत प्रभाव का इस्तेमाल करें. यह युद्ध एनर्जी सप्लाई प्रॉब्लम, महंगाई, भोजन की कमी और अन्य चीजें का कारण बन रहा है. यह एक अकारण अग्रेशन है, यह रूस की ओर से यूक्रेन में पैदा किया युद्ध है. मैंने इसे उस हद तक आते नहीं देखा लेकिन जानता था कि इसके परिणाम न केवल मारे गए लोगों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी विनाशकारी हैं. अब, पीएम मोदी जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन में जा रहे हैं और उम्मीद है कि इस पर कुछ चर्चा होगी. अगले हफ्ते, क्वाड शिखर सम्मेलन होगा और हमें पूरा यकीन है कि वैश्विक स्तर पर स्थिरता लाने के लिए इन संकटों पर चर्चा की जाएगी. यह विश्व युद्ध 2 के बाद से हम सबसे खराब संकट देख रहे हैं। रूस ने सभी स्थापित प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था और इसके नतीजे पूरी दुनिया में भारी रूप से महसूस किए जा रहे हैं.
सवाल : यूरोपीय संघ में रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कैसे कम किया जाए, इस पर बातचीत चल रही है. डेनमार्क रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता को कम करने की क्या प्लानिंग की है.
फ्रेड्डी स्वाने : हम जलवायु के लिए सभी जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने जा रहे हैं. लेकिन हम जानते हैं कि हम रूस से गैस और तेल सहित ऊर्जा आपूर्ति का भारी आयात कर रहे हैं. हमारी सरकार ने जल्द से जल्द रूस के आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है.
सवाल : तुर्की अब स्वीडन और फ़िनलैंड को नाटो में शामिल करने का विरोध कर रहा है, आप इसे कैसे देखते हैं?
फ्रेड्डी स्वाने : युद्ध ने कभी कोई सकारात्मक ठोस परिणाम नहीं दिया है. हमने हजारों को मारे जाते, सैकड़ों को प्रताड़ित होते देखा है. युद्ध को जितनी जल्दी हो खत्म करना ही बेतहर है. नाटो पर मैं नज़र नहीं रखता. नाटो प्रमुख ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी जारी किया जाएगा उसका ध्यान रखा जाएगा.
सवाल : क्या यूक्रेन युद्ध ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति को भारी कर दिया है?
फ्रेड्डी स्वाने :- हां, वास्तव में ऐसा हो रहा है. यह हमारा दुर्भाग्य है कि तालिबान अब अपने सभी वादों से मुकर रहा है.
सवाल : इंडो पैसेफिक, साउथ चाइना सी और दुनिया के अन्य हिस्सों में चीन के एक्शन के बारे में क्या राय है?
फ्रेड्डी स्वाने : हम देखते हैं कि चीन एक विस्तारवादी नीति डिवेलप कर रहा है. साउथ चाइना सी और अन्य हिस्सों में उनकी हरकतें दिखाई दे रही हैं. आगामी क्वॉड शिखर सम्मेलन में निश्चित रूप से इस पर चर्चा होगी और एक बयान आएगा. यह विस्तारवादी एजेंडा स्पष्ट रूप से विश्व व्यवस्था को अस्थिर करता है और असुरक्षा-अस्थिरता लाता है. यूरोपीय संघ हो या डेनमार्क, सभी चीन की हरकतों को देख रहे हैं. हर देश की अपनी चिंता है. एलएसी पर भारत की अपनी चिंता है और हमारी अपनी है.
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