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मंत्रिमंडल विस्तार में देरी, जानें किस फॉर्मूले ने जेडीयू-बीजेपी में फंसाया पेंच?

बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद नेता वापस लौट चुके हैं. पार्टी ने अपने कोटे के एमएलसी और मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन मंत्रिमंडल विधान परिषद और बोर्ड निगम कारपोरेशन में हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है.

जेडीयू-बीजेपी में फंसाया पेंच
जेडीयू-बीजेपी में फंसाया पेंच
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Published : Feb 2, 2021, 10:05 PM IST

पटना : बिहार में तमाम कयासों के बीच अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बने दो महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घटक दलों में बात नहीं बन पाई है.

पहले कहा जा रहा था कि खरमास गुजरने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा, लेकिन खरमास गए भी करीब 15 दिन से अधिक गुजर गए लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार रास्ता साफ नहीं हो पाया है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. लेकिन दोनों दलों के बीच हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है. बीजेपी विधायकों की संख्या के हिसाब से बटवारा चाहती है, तो नीतीश कुमार का फार्मूला अलग है.

मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का कारण क्या

हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार!
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद नेता वापस लौट चुके हैं. पार्टी ने अपने कोटे के एमएलसी और मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन मंत्रिमंडल विधान परिषद और बोर्ड निगम कारपोरेशन में हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है.

फॉर्मूले पर सहमत नहीं

जानें किसे क्या चाहिए?
जानें किसे क्या चाहिए?
बीजेपी विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल विधान पार्षद और बोर्ड निगम कारपोरेशन का बंटवारा चाहती है. 60% सीटों पर बीजेपी अपना वाजिब हक समझती है. लेकिन जेडीयू बराबरी के फार्मूले पर समझौता चाहती है.

राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के लिए 12 सीटों पर मनोनयन होना है. भाजपा 7 सीटों पर दावा कर रही है और जदयू के लिए 5 सीटें छोड़ना चाहती है. लेकिन जदयू नेताओं का तर्क है कि भाजपा के वजह से 1 साल से मनोनयन का मामला लटका है और उस समय के हिसाब से 7 सीटें हमारे पक्ष में आनी चाहिए, जहां तक मंत्रिमंडल का सवाल है तो मंत्रिमंडल में भी भाजपा और जदयू बराबरी के फॉर्मूले पर सहमत नहीं है.

भाजपा विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल का बंटवारा चाहती है, तो जदयू 50-50 के फॉर्मूले पर कायम है. बिहार विधानसभा में अगर अंकगणित की बात कर ली जाए, तो 3.5 एमएलए पर एक मंत्री की जगह बनती है और इस हिसाब से भाजपा के 21 मंत्री होते हैं और जदयू कोटे में 13 मंत्री पद जाते हैं.

एक सीट मुकेश साहनी की पार्टी और एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी के हिस्से जाता है. इसके अलावा भाजपा ने बोर्ड निगम कारपोरेशन के लिए भी मार्च तक की मियाद तय कर रखी है और 60% पर अपना दावा पेश किया है. लेकिन यहां भी जदयू आधी हिस्सेदारी चाहती है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जदयू की हिस्सेदारी को लेकर बिहार से बाहर भी पेंच फंसा है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि जिस अनुपात में केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार भाजपा के नेताओं को शामिल किया गया है. उसी अनुपात में जदयू के नेताओं को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, क्योंकि दोनों की सीटें लगभग बराबर है. जदयू नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की मांग भी करने लगे हैं.

पढ़ें- विधानसभा चुनाव वाले राज्यों पर खूब बरसी सरकार की 'बजटीय' कृपा

क्या कहते हैं बीजेपी नेता
भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का मानना है कि पूरे मसले पर भाजपा और जदयू के नेता मंथन कर रहे हैं. इसके बाद बाद अंतिम फैसला ले लिया जाएगा. हिस्सेदारी को लेकर भी कोई विवाद नहीं है. तमाम मुद्दों को शीघ्र सुलझा लिया जाएगा. पूरे मसले पर जदयू नेता बोलने से लगातार बच रहे हैं.

पटना : बिहार में तमाम कयासों के बीच अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बने दो महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घटक दलों में बात नहीं बन पाई है.

पहले कहा जा रहा था कि खरमास गुजरने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा, लेकिन खरमास गए भी करीब 15 दिन से अधिक गुजर गए लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार रास्ता साफ नहीं हो पाया है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. लेकिन दोनों दलों के बीच हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है. बीजेपी विधायकों की संख्या के हिसाब से बटवारा चाहती है, तो नीतीश कुमार का फार्मूला अलग है.

मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का कारण क्या

हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार!
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद नेता वापस लौट चुके हैं. पार्टी ने अपने कोटे के एमएलसी और मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन मंत्रिमंडल विधान परिषद और बोर्ड निगम कारपोरेशन में हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है.

फॉर्मूले पर सहमत नहीं

जानें किसे क्या चाहिए?
जानें किसे क्या चाहिए?
बीजेपी विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल विधान पार्षद और बोर्ड निगम कारपोरेशन का बंटवारा चाहती है. 60% सीटों पर बीजेपी अपना वाजिब हक समझती है. लेकिन जेडीयू बराबरी के फार्मूले पर समझौता चाहती है.

राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के लिए 12 सीटों पर मनोनयन होना है. भाजपा 7 सीटों पर दावा कर रही है और जदयू के लिए 5 सीटें छोड़ना चाहती है. लेकिन जदयू नेताओं का तर्क है कि भाजपा के वजह से 1 साल से मनोनयन का मामला लटका है और उस समय के हिसाब से 7 सीटें हमारे पक्ष में आनी चाहिए, जहां तक मंत्रिमंडल का सवाल है तो मंत्रिमंडल में भी भाजपा और जदयू बराबरी के फॉर्मूले पर सहमत नहीं है.

भाजपा विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल का बंटवारा चाहती है, तो जदयू 50-50 के फॉर्मूले पर कायम है. बिहार विधानसभा में अगर अंकगणित की बात कर ली जाए, तो 3.5 एमएलए पर एक मंत्री की जगह बनती है और इस हिसाब से भाजपा के 21 मंत्री होते हैं और जदयू कोटे में 13 मंत्री पद जाते हैं.

एक सीट मुकेश साहनी की पार्टी और एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी के हिस्से जाता है. इसके अलावा भाजपा ने बोर्ड निगम कारपोरेशन के लिए भी मार्च तक की मियाद तय कर रखी है और 60% पर अपना दावा पेश किया है. लेकिन यहां भी जदयू आधी हिस्सेदारी चाहती है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जदयू की हिस्सेदारी को लेकर बिहार से बाहर भी पेंच फंसा है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि जिस अनुपात में केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार भाजपा के नेताओं को शामिल किया गया है. उसी अनुपात में जदयू के नेताओं को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, क्योंकि दोनों की सीटें लगभग बराबर है. जदयू नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की मांग भी करने लगे हैं.

पढ़ें- विधानसभा चुनाव वाले राज्यों पर खूब बरसी सरकार की 'बजटीय' कृपा

क्या कहते हैं बीजेपी नेता
भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का मानना है कि पूरे मसले पर भाजपा और जदयू के नेता मंथन कर रहे हैं. इसके बाद बाद अंतिम फैसला ले लिया जाएगा. हिस्सेदारी को लेकर भी कोई विवाद नहीं है. तमाम मुद्दों को शीघ्र सुलझा लिया जाएगा. पूरे मसले पर जदयू नेता बोलने से लगातार बच रहे हैं.

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