शिमला: सियासत में बागी दमदार हों तो वक्त के अनुसार उन्हें अपनाने में होड़ मचना लाजिमी है. हिमाचल में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के लिए 8 दिसंबर का इंतजार भारी हो रहा है. सत्ता का ताज किसके हिस्से आ रहा है, इसे लेकर भाजपा व कांग्रेस में चिंतन जारी है.अब भाजपा और कांग्रेस की अपने बागियों पर नजर है, ताकि रिवाज या राज बदलने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. भाजपा से 21 तो कांग्रेस से 5 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. भाजपा रविवार को धर्मशाला में फिर से एक-एक सीट का फीडबैक डिस्कस करेगी और फिर सरकार बनने की संभावना पर मंथन होगा. कांग्रेस मान कर चल रही है कि इस बार उसकी बारी है, लेकिन ये चुनाव इतना टफ रहा है कि कोई भी दल भीतर ही भीतर पूर्ण बहुमत के प्रति आश्वस्त नहीं है.( BJP and Congress like rebels in Himachal)
भाजपा के सामने ज्यादा मुसीबत: ऐसे में चुनाव मैदान में बगावत करके उतरे नेताओं पर दोनों दलों ने निगाहें टिका दी हैं. बागियों के लिहाज से देखें तो भाजपा को सबसे अधिक मुसीबत का सामना करना पड़ा है. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया अपने ही गृह प्रदेश में और अपनी ही सीट पर बागी को चुनाव मैदान में उतरने से नहीं रोक पाए. कांग्रेस भी अपने निष्ठावान नेताओं यथा गंगूराम मुसाफिर, डॉ. सुभाष मंगलेट, राजेंद्र ठाकुर, परसराम आदि को चुनाव लड़ने से नहीं मना पाई. अब स्थिति ये है कि 35 के जादुई आंकड़े को छूने के लिए कठिनाई दिख रही है. (BJP Congress soft on rebels)
बागियों पर भाजपा-कांग्रेस नरम: यही कारण है कि बागियों को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने अपना कोना नरम कर लिया है. भाजपा ने अनुशासन के नाम पर बेशक निष्कासन किया है, लेकिन सरकार बनाने के लिए सारे निष्कासन रद्दी की टोकरी में फेंक दिए जाएंगे. यदि दोनों दलों को सरकार बनाने के लिए तीन से चार विधायकों की कमी पड़ी और इतनी ही संख्या में बागी जीत कर आ गए तो उन्हें अपने पाले में खींचने में कोई पीछे नहीं रहेगा. इसी कारण भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों को बागी पसंद हैं.
भाजपा का धर्मशाला में मंथन: भाजपा के धर्मशाला के मंथन में तो बागियों की परफार्मेंस पर खास फोकस है. ऐसे बागियों को लेकर चर्चा हो रही है, जो चुनाव जीत सकते हैं. किन्नौर से तेजवंत नेगी, नालागढ़ से केएल ठाकुर ऐसे ही नाम हैं. कांग्रेस में राजेंद्र ठाकुर अर्की से उलटफेर कर सकते हैं. पच्छाद से गंगूराम मुसाफिर को जनता की सहानुभूति मिल सकती है. भाजपा की नजर कांग्रेस से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे दमदार बागियों पर भी है. (BJP meeting in Dharamshala)
भाजपा रिवाज बदलने के लिए आतुर: भाजपा हर हाल में रिवाज बदलने के लिए आतुर है. वहीं, कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए रिवाज जारी रहने की आशा है. लेकिन दोनों ही दलों को ये आशंका है कि एब्सोल्यूट मेजोरिटी आएगी या नहीं. ऐसे में बागी ही दोनों का सहारा होंगे. यही कारण है कि बागियों को लेकर दोनों दल अभी से आने वाली स्थितियों के अनुसार गोटियां फिट कर रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप तो पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस बार रिवाज बदलेगा तो वहीं, कांग्रेस के सभी नेता दावा कर रहे हैं कि 8 दिसंबर को सत्ता का ताज उनकी पार्टी को ही मिलेगा. अब देखना है कि ईवीएम से क्या संदेश निकलता है और बागियों की कितनी पूछ होने वाली है. (himachal assembly election 2022)
भाजपा की 21 तो कांग्रेस की 5 बागियों पर नजर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा -कांग्रेस से कुल 26 बागियों ने दोनों पार्टियों को परेशान कर वापस उनकी पार्टी में वापसी के लिए मजबूर कर दिया है. सत्ताधारी भाजपा से 21 तो वहीं, कांग्रेस से 5 आजाद प्रत्याशियों ने पूरा गणित बिगाड़ दिया है. 8 दिसंबर को परिणाम आने से पहले भाजपा-कांग्रेस ने फीडबैक लिया और अब वापस अपनों को साधने में लग गए हैं, ताकि रिवाज को बरकरार रखा जा सके या फिर राज बदला जा सके.
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