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राजनीति के धुर-विरोधियों का बर्थडे एक ही दिन, दोनों हैं सत्ता के धुरंधर

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को राजनीति में कट्टर दुश्मन माना जाता है. इन दोनों नफरत करने वालों का आज जन्मदिन है.

Aghadi
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Published : Jul 22, 2021, 5:00 PM IST

मुंबई : उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपनी बेबाक बातों के लिए जाने जाते हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भारत में सबसे कम उम्र के मेयर के रूप में एक अलग पहचान है. देवेंद्र ने 1992 में नागपुर के रामनगर से नगर निगम का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें सबसे कम उम्र का पार्षद चुना गया था.

अपने अगले चुनाव में भी देवेंद्र को भारी बहुमत से चुना गया. इस बार उन्होंने भारत में सबसे कम उम्र के मेयर के रूप में इतिहास रच दिया. देवेंद्र फडणवीस 1999 में विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद उन्होंने भाजपा के युवा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. 31 अगस्त 2014 को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला और राज्य के पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने.

बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच विवाद छिड़ गया. बीजेपी के 105 विधायक चुने गए तो शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग की. भाजपा ने स्पष्ट किया कि गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर वोट मांगा था. इससे शिवसेना-भाजपा गठबंधन टूट गया. फिर 23 नवंबर को राजनीति में कट्टर विरोधी अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने एक साथ आकर पद की शपथ ली.

हालांकि अजीत पवार का विद्रोह ज्यादा दिन नहीं चला और महज 80 घंटे में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की सरकार गिर गई. 22 जुलाई को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का जन्मदिन है. अजित पवार राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं.

चाचा-भतीजे की यह जोड़ी सूबे की सियासत में काफी मशहूर है. 2019 के चुनावों के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की भूमिका ने पूरी राजनीति को बदल कर रख दिया. इसमें उपमुख्यमंत्री का पद अजित पवार को मिला. अजीत पवार उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के अलावा वित्त मंत्री भी हैं.

अजित पवार बारामती लोकसभा क्षेत्र से चुने गए. हालांकि उन्होंने यह जगह अपने चाचा शरद पवार के लिए छोड़ दी थी. अपने चाचा शरद पवार के लिए लोकसभा सीट छोड़ने के बाद अजित पवार ने बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधायक सीट जीती. अजीत पवार 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए.

वे सुधाकर राव नाइक की सरकार में कृषि और ऊर्जा मंत्री भी थे. उसके बाद शरद पवार के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई. बाद में अजीत पवार ने दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे की सरकारों में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया.

यह भी पढ़ें-योगी पर प्रियंका गांधी ने साधा निशाना, कहा- याद रखें कि जनता भी एक दिन 'प्रॉपर्टी' जब्त कर सकती है

2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ अजीत दादा ने पूरी राजनीति को झकझोर कर रख दिया. महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली जबकि अजीत पवार उप मुख्यमंत्री बने. लेकिन तीन दिनों के भीतर ही राकांपा अजित पवार के विद्रोह को कुचलने में सफल रही और फडणवीस की सरकार महज 80 घंटे में गिर गई.

मुंबई : उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपनी बेबाक बातों के लिए जाने जाते हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भारत में सबसे कम उम्र के मेयर के रूप में एक अलग पहचान है. देवेंद्र ने 1992 में नागपुर के रामनगर से नगर निगम का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें सबसे कम उम्र का पार्षद चुना गया था.

अपने अगले चुनाव में भी देवेंद्र को भारी बहुमत से चुना गया. इस बार उन्होंने भारत में सबसे कम उम्र के मेयर के रूप में इतिहास रच दिया. देवेंद्र फडणवीस 1999 में विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद उन्होंने भाजपा के युवा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. 31 अगस्त 2014 को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला और राज्य के पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने.

बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच विवाद छिड़ गया. बीजेपी के 105 विधायक चुने गए तो शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग की. भाजपा ने स्पष्ट किया कि गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर वोट मांगा था. इससे शिवसेना-भाजपा गठबंधन टूट गया. फिर 23 नवंबर को राजनीति में कट्टर विरोधी अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने एक साथ आकर पद की शपथ ली.

हालांकि अजीत पवार का विद्रोह ज्यादा दिन नहीं चला और महज 80 घंटे में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की सरकार गिर गई. 22 जुलाई को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का जन्मदिन है. अजित पवार राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं.

चाचा-भतीजे की यह जोड़ी सूबे की सियासत में काफी मशहूर है. 2019 के चुनावों के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की भूमिका ने पूरी राजनीति को बदल कर रख दिया. इसमें उपमुख्यमंत्री का पद अजित पवार को मिला. अजीत पवार उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के अलावा वित्त मंत्री भी हैं.

अजित पवार बारामती लोकसभा क्षेत्र से चुने गए. हालांकि उन्होंने यह जगह अपने चाचा शरद पवार के लिए छोड़ दी थी. अपने चाचा शरद पवार के लिए लोकसभा सीट छोड़ने के बाद अजित पवार ने बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधायक सीट जीती. अजीत पवार 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए.

वे सुधाकर राव नाइक की सरकार में कृषि और ऊर्जा मंत्री भी थे. उसके बाद शरद पवार के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई. बाद में अजीत पवार ने दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे की सरकारों में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया.

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2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ अजीत दादा ने पूरी राजनीति को झकझोर कर रख दिया. महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली जबकि अजीत पवार उप मुख्यमंत्री बने. लेकिन तीन दिनों के भीतर ही राकांपा अजित पवार के विद्रोह को कुचलने में सफल रही और फडणवीस की सरकार महज 80 घंटे में गिर गई.

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