नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार, राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई आठ लोगों की हत्या के संबंध में नोटिस जारी किया और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाली रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर पेश करने के निर्देश दिए. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि मीडिया में आ रही खबरों को देखते हुए लगता है कि घृणा हिंसा की घटना संकेत देती है कि क्षेत्र में कानून व्यवस्था सही नहीं है.
बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत पदाधिकारी की हत्या के बाद मंगलवार तड़के करीब एक दर्जन झोपड़ियों में आग लगा दी गई थी, जिसमें दो बच्चों सहित आठ लोगों की जलकर मौत हो गई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई आठ लोगों की हत्या के संबंध में मुख्य सचिव के माध्यम से पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है. उन्होंने बताया कि आयोग ने चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
उन्होंने बताया कि इसमें दर्ज प्राथमिकियों की स्थिति, गांव के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम और सरकार द्वारा क्या उन्हें कोई राहत दी गयी अथवा पुनर्वास किया गया, आदि के बारे में विस्तार से बताने के निर्देश दिए गए हैं. आयोग ने कहा कि उसने मीडिया में आ रही खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग ने बयान में कहा, मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार रामपुरहाट सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जाने पर कहा कि शवों की जो हालत है, उसने उनका काम बेहद मुश्किल कर दिया है.'
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एसडीपीओ निलंबित: वहीं, रामपुरहाट के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) शायान अहमद को बोगतुई गांव में हुई आगज़नी की घटना के सिलसिले में गुरुवार को निलंबित कर दिया गया और उन्हें 'अनिवार्य प्रतीक्षा' सूची में रखा गया है. इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामपुरहाट में कुछ पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि ड्यूटी में लापरवाही के कारण शायद यह घटना हुई है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, एसडीपीओ को तत्काल प्रभाव से अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेज दिया गया है. इससे पहले, रामपुरहाट थाने के निरीक्षक एवं प्रभारी त्रिदीप प्रमाणिक को निलंबित कर दिया गया था. बंगाल की मुख्यमंत्री ने बोगतुई के दौरे पर कहा था, एसडीपीओ ने किसी भी तरह के एहतियाती उपाय नहीं किए. निरीक्षक प्रभारी और जिला खुफिया ब्यूरो ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई. अगर एसडीपीओ ने एहतियाती उपाय किए होते, तो घटना को टाला जा सकता था.
(पीटीआई-भाषा)