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International Lawyers Conference : सीजेआई ने की महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने में द्विदलीय प्रयास की तारीफ

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की ओर से दो दिवसीय 'अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023' का आयोजन किया जा रहा है. उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान का मसौदा तैयार करना पक्षपात से परे संलग्न होने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

CJI with PM Modi
पीएम मोदी के साथ सीजेआई
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 6:41 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कहा कि विविध पृष्ठभूमि और यहां तक ​​कि परस्पर विरोधी विचारधारा वाले लोग संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक साथ आए थे और संसद में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने में भी यही द्विदलीय प्रयास किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थागत सहयोग न्यायिक प्रश्नों पर निर्णय करते समय समाधान खोजने का अग्रदूत है और यह न्याय तक पहुंच बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

  • #WATCH | Delhi: At the inaugural event of the ‘International Lawyers’ Conference 2023, CJI DY Chandrachud says, "Each one of us have volumes to learn from different jurisdictions, perspectives, and most importantly each other... Over the next two days, we will witness some of the… pic.twitter.com/FtVvKlmlFN

    — ANI (@ANI) September 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

राष्ट्रीय राजधानी में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के दो दिवसीय 'अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023' (International Lawyers Conference 2023) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान का मसौदा तैयार करना पक्षपात से परे संलग्न होने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि 'भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विविध पृष्ठभूमियों और यहां तक ​​कि परस्पर विरोधी विचारधाराओं के लोग एक स्वर में संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक साथ आए…'

  • #WATCH | Delhi: At the inaugural event of the ‘International Lawyers’ Conference 2023, CJI DY Chandrachud says, "...India has a relatively infant law for IBC and we have drawn extensively from jurisdictions such as UK, US, Australia, Singapore... knowledge sharing is a two-way… pic.twitter.com/GFKdbL1zf3

    — ANI (@ANI) September 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि 'संसद में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने में हम वही द्विदलीय प्रयास देखते हैं - और यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें भारत के नागरिकों के रूप में गर्व होना चाहिए.'

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह सोचना काल्पनिक है कि एक दिन ऐसा आएगा, 'हम न्याय वितरण में बिना किसी चुनौती के सही समाधान ढूंढते हैं.' उन्होंने कहा कि जहां संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण का प्रावधान करता है, वहीं यह संस्थानों को एक-दूसरे से सीखने और न्याय प्रदान करने के लिए जगह भी बनाता है.

कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जबकि मुख्य अतिथि सीजेआई थे. सीजेआई ने कहा कि 'संस्थागत सहयोग न केवल न्यायिक प्रश्नों पर निर्णय करते समय समाधान खोजने का अग्रदूत है, बल्कि यह न्याय तक पहुंच बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.'

चीफ जस्टिस ने कहा कि 'हम न्याय के हित को आगे बढ़ाने के लिए संस्थानों के बीच सहयोग के प्रचुर उदाहरणों को अक्सर भूल जाते हैं. यह न केवल ऊंची संवैधानिक चुनौतियों में बल्कि अदालतों और सरकार के बीच रोजमर्रा की बातचीत में भी सच साबित होता है.'

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की एक संवैधानिक पीठ वर्तमान में इस चुनौती पर सुनवाई कर रही है कि क्या हल्के मोटर वाहनों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाणिज्यिक वाहन चला सकता है. उन्होंने कहा कि मामले को एक प्रतिकूल चुनौती के रूप में देखने के बजाय, अदालत और सरकार देश भर में लाखों ड्राइवरों की आजीविका की रक्षा के लिए सहयोग कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न संस्थानों का अंतिम उद्देश्य एक ही है और वह है राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई थी.

उन्होंने हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के श्लोगन 'वसुधैव कुटुंबकम' - दुनिया एक परिवार है, का भी हवाला दिया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, लॉर्ड चांसलर और यूनाइटेड किंगडम के न्याय राज्य सचिव एलेक्स चॉक केसी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कई न्यायाधीश कार्यक्रम में शामिल थे.

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नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कहा कि विविध पृष्ठभूमि और यहां तक ​​कि परस्पर विरोधी विचारधारा वाले लोग संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक साथ आए थे और संसद में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने में भी यही द्विदलीय प्रयास किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थागत सहयोग न्यायिक प्रश्नों पर निर्णय करते समय समाधान खोजने का अग्रदूत है और यह न्याय तक पहुंच बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

  • #WATCH | Delhi: At the inaugural event of the ‘International Lawyers’ Conference 2023, CJI DY Chandrachud says, "Each one of us have volumes to learn from different jurisdictions, perspectives, and most importantly each other... Over the next two days, we will witness some of the… pic.twitter.com/FtVvKlmlFN

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राष्ट्रीय राजधानी में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के दो दिवसीय 'अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023' (International Lawyers Conference 2023) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान का मसौदा तैयार करना पक्षपात से परे संलग्न होने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि 'भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विविध पृष्ठभूमियों और यहां तक ​​कि परस्पर विरोधी विचारधाराओं के लोग एक स्वर में संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक साथ आए…'

  • #WATCH | Delhi: At the inaugural event of the ‘International Lawyers’ Conference 2023, CJI DY Chandrachud says, "...India has a relatively infant law for IBC and we have drawn extensively from jurisdictions such as UK, US, Australia, Singapore... knowledge sharing is a two-way… pic.twitter.com/GFKdbL1zf3

    — ANI (@ANI) September 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि 'संसद में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने में हम वही द्विदलीय प्रयास देखते हैं - और यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें भारत के नागरिकों के रूप में गर्व होना चाहिए.'

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह सोचना काल्पनिक है कि एक दिन ऐसा आएगा, 'हम न्याय वितरण में बिना किसी चुनौती के सही समाधान ढूंढते हैं.' उन्होंने कहा कि जहां संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण का प्रावधान करता है, वहीं यह संस्थानों को एक-दूसरे से सीखने और न्याय प्रदान करने के लिए जगह भी बनाता है.

कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जबकि मुख्य अतिथि सीजेआई थे. सीजेआई ने कहा कि 'संस्थागत सहयोग न केवल न्यायिक प्रश्नों पर निर्णय करते समय समाधान खोजने का अग्रदूत है, बल्कि यह न्याय तक पहुंच बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.'

चीफ जस्टिस ने कहा कि 'हम न्याय के हित को आगे बढ़ाने के लिए संस्थानों के बीच सहयोग के प्रचुर उदाहरणों को अक्सर भूल जाते हैं. यह न केवल ऊंची संवैधानिक चुनौतियों में बल्कि अदालतों और सरकार के बीच रोजमर्रा की बातचीत में भी सच साबित होता है.'

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की एक संवैधानिक पीठ वर्तमान में इस चुनौती पर सुनवाई कर रही है कि क्या हल्के मोटर वाहनों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाणिज्यिक वाहन चला सकता है. उन्होंने कहा कि मामले को एक प्रतिकूल चुनौती के रूप में देखने के बजाय, अदालत और सरकार देश भर में लाखों ड्राइवरों की आजीविका की रक्षा के लिए सहयोग कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न संस्थानों का अंतिम उद्देश्य एक ही है और वह है राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई थी.

उन्होंने हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के श्लोगन 'वसुधैव कुटुंबकम' - दुनिया एक परिवार है, का भी हवाला दिया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, लॉर्ड चांसलर और यूनाइटेड किंगडम के न्याय राज्य सचिव एलेक्स चॉक केसी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कई न्यायाधीश कार्यक्रम में शामिल थे.

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