नई दिल्ली : हैदराबाद की दवा कंपनी बायोलॉजिकल ई (Biological E) ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन के सभी टीके ले चुके लोगों को बूस्टर खुराक के तौर पर अपने कोविड-19 रोधी टीके कॉर्बेवैक्स देने के संबंध में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए औषधि नियामक से अनुमति मांगी है.
देश में विकसित आरबीडी प्रोटीन आधारित कॉर्बेवैक्स के दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षण में टीके की खुराक 18 साल से 80 साल के लोगों को दी जा रही है और नतीजे इसी महीने घोषित होने की संभावना है. कंपनी ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन टीका ले चुके लोगों को एकल बूस्टर खुराक के तौर पर कॉर्बेवैक्स देने के संबंध में तीसरे चरण के परीक्षण के वास्ते भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से अनुमति के लिए आवेदन दिया है.
कंपनी ने कहा, ऐसे कई अध्ययन आए हैं जिसमें टीका ले चुके लोगों में एंटीबॉडी घटने का संकेत मिला है और कई देश टीका ले चुके लोगों को बूस्टर खुराक देने की प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं या कर चुके हैं.
डीसीजीआई को पिछले सप्ताह दिए गए आवेदन में कहा गया है, इसके मद्देनजर हम तीसरे चरण का क्लीनिकल अध्ययन आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन दे रहे हैं. इसके जरिए कोविशील्ड या कोवैक्सीन टीका ले चुके वयस्कों में कॉर्बेवैक्स के प्रतिरक्षण और सुरक्षा का विश्लेषण होगा.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की अगली बैठक में इस पर विचार करने की संभावना है. डीसीजीआई ने सितंबर में बायोलॉजिकल ई को कुछ शर्तों के साथ पांच साल से 18 साल के बच्चों में टीके के दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी थी.
सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि कोविड-19 के खिलाफ बूस्टर खुराक दिए जाने के संबंध में अभी नयी-नयी जानकारियां सामने आ रही हैं और तमाम घटनाक्रम पर करीबी नजर रखी जा रही है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बूस्टर खुराक के संबंध में कई अध्ययन आए हैं.
उन्होंने कहा था, नयी-नयी सूचनाएं आ रही हैं...इस पर डेटा भी आ रहे हैं. हम बहुत सावधानी से इसका विश्लेषण कर रहे हैं.
बायोलॉजिकल ई दिसंबर तक केंद्र सरकार को कॉर्बेवैक्स की 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगी जैसा कि जून में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की थी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 टीके की 30 करोड़ खुराक आरक्षित करने के लिए हैदराबाद की वैक्सीन निर्माता के साथ व्यवस्था को अंतिम रूप दिया.
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बायोलॉजिकल-ई के कोविड-19 रोधी टीके को विकसित करने में जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इसके अंतर्गत आने वाले उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) ने प्रीक्लिनिकल स्टेज से लेकर तीसरे चरण के अध्ययन तक मदद की है.
(पीटीआई-भाषा)