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Rajya Sabha Suspension : वाम दलों के सांसद बोले, माफी का सवाल ही नहीं, हम सावरकर के फॉलोअर नहीं

संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबन (Rajya Sabha Suspension) के बाद सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) ने कहा है कि वे राज्य सभा की बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन वे माफी नहीं मांगेंगे. उन्होंने बताया कि 12 निलंबित सांसद संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना देंगे. सीपीएम सांसद इलामारम करीम (CPM MP Elamaram Kareem) ने कहा है कि निलंबन से पहले हमारा पक्ष नहीं पूछा गया. यह कार्रवाई अवैध है.

Elamaram Kareem binoy vishwam etvbharat
इलामारम करीम और बिनॉय विश्वम
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Published : Nov 30, 2021, 5:27 PM IST

नई दिल्ली : राज्य सभा से निलंबित (Rajya Sabha Suspension) किए गए 12 सांसदों में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) का नाम भी शामिल है. निलंबन की कार्यवाही को चुनौती देने के संबंध में विश्वम ने कहा कि वे राज्य सभा से निलंबन फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता नियामिका सिंह से बात करते हुए बिनॉय विश्वम ने कहा कि कोर्ट जाने के अलावा वे जनता की अदालत में भी इस मामले को लेकर जाएंगे.

राज्य सभा से निलंबन रद्द करने की मांग (rajya sabha suspension revocation) के बीच केंद्र सरकार की ओर से माफी मांगने के प्रस्ताव पर विश्वम ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही पैदा नहीं होता. विश्वम ने कहा कि वे सावरकर का अनुसरण नहीं करते. उन्होंने कहा कि सावरकर और उनके फॉलोअर्स माफी मांग सकते हैं. हम उस विचारधारा से नहीं आते. हम मांफी मांगे इसका सवाल ही पैदा नहीं होता.

सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम से खास बातचीत

ईटीवी भारत ने निलंबन की कार्रवाई को लेकर सीपीएम सांसद इलामारम करीम से भी बात की. उन्होंने कहा कि निलंबन की कार्रवाई के बारे में कहा जा रहा है कि क्लॉज 256 के तहत कार्रवाई की गई है, लेकिन हमारा मानना है कि यह नियम के तहत नहीं है.

निलंबन के बाद संसद में विपक्षी दलों की भावी रणनीति पर करीम ने कहा कि विपक्षी दल पूरे शीतकालीन सत्र में संसद का बहिष्कार नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि भाजपा तमाम विधेयकों को तत्काल पारित कराने की ताक में है.

करीम ने कहा कि राज्य सभा का एक सत्र समाप्त होने के बाद दूसरे सत्र में की गई कार्रवाई कानून के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि शिकायत किसी के भी खिलाफ की गई हो, आरोपी को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए.

सीपीएम सांसद इलामारम करीम से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि समिति बनाने की बात कही जा रही है. हमें ऐसी किसी भी समिति के बारे में नहीं पता. हमें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. एकपक्षीय फैसला लिया गया है. यह कानून के नैचुरल जस्टिस के सिद्धांत के भी खिलाफ है. ऐसे में वे सरकार से निलंबन रद्द करने की मांग करते हैं.

नई दिल्ली : राज्य सभा से निलंबित (Rajya Sabha Suspension) किए गए 12 सांसदों में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) का नाम भी शामिल है. निलंबन की कार्यवाही को चुनौती देने के संबंध में विश्वम ने कहा कि वे राज्य सभा से निलंबन फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता नियामिका सिंह से बात करते हुए बिनॉय विश्वम ने कहा कि कोर्ट जाने के अलावा वे जनता की अदालत में भी इस मामले को लेकर जाएंगे.

राज्य सभा से निलंबन रद्द करने की मांग (rajya sabha suspension revocation) के बीच केंद्र सरकार की ओर से माफी मांगने के प्रस्ताव पर विश्वम ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही पैदा नहीं होता. विश्वम ने कहा कि वे सावरकर का अनुसरण नहीं करते. उन्होंने कहा कि सावरकर और उनके फॉलोअर्स माफी मांग सकते हैं. हम उस विचारधारा से नहीं आते. हम मांफी मांगे इसका सवाल ही पैदा नहीं होता.

सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम से खास बातचीत

ईटीवी भारत ने निलंबन की कार्रवाई को लेकर सीपीएम सांसद इलामारम करीम से भी बात की. उन्होंने कहा कि निलंबन की कार्रवाई के बारे में कहा जा रहा है कि क्लॉज 256 के तहत कार्रवाई की गई है, लेकिन हमारा मानना है कि यह नियम के तहत नहीं है.

निलंबन के बाद संसद में विपक्षी दलों की भावी रणनीति पर करीम ने कहा कि विपक्षी दल पूरे शीतकालीन सत्र में संसद का बहिष्कार नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि भाजपा तमाम विधेयकों को तत्काल पारित कराने की ताक में है.

करीम ने कहा कि राज्य सभा का एक सत्र समाप्त होने के बाद दूसरे सत्र में की गई कार्रवाई कानून के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि शिकायत किसी के भी खिलाफ की गई हो, आरोपी को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए.

सीपीएम सांसद इलामारम करीम से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि समिति बनाने की बात कही जा रही है. हमें ऐसी किसी भी समिति के बारे में नहीं पता. हमें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. एकपक्षीय फैसला लिया गया है. यह कानून के नैचुरल जस्टिस के सिद्धांत के भी खिलाफ है. ऐसे में वे सरकार से निलंबन रद्द करने की मांग करते हैं.

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