भागलपुर: घोटालेबाज, घोटाला करने के लिए ऐसे-ऐसे तरीके अपनाते हैं जिससे सभी अचरज में पड़ जाते हैं. बिहार में घोटाला कोई नई बात नहीं है. भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सरकार की कोशिश जारी है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. बच्चों को ढंग से पढ़ाया जाए इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया फरमान लाते हैं. सवाल उठता है कि क्या इन तमाम कोशिशों का असर हो रहा है? जवाब जानने के लिए बहुत ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि कैमूर के एक सरकारी स्कूल का हाल देखकर आपको स्कूल और बच्चों की सही स्थिति का अंदाजा लग जाएगा.
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ऐसे कैसे पढ़ेंगे बच्चे?: पूरा मामला नवगछिया अनुमंडल के नगरह पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला नगरह से सामने आया है. स्कूल की प्रधानाध्यापिका कंचन व शिक्षिका पर मिलीभगत कर घोटाला करने का आरोप है. इनपर करीब 350 बच्चों का मिड डे मील के भोजन, पोशाक राशि, छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं के लिए आई राशि का फर्जी तरीके से निकासी करने का आरोप है. स्थानीय लोगों के मुताबिक प्रधानाध्यापिका कंचन कुमारी रसोईया से मिड डे मिल के भोजन का चावल अन्य सामान प्राइवेट दुकानों में सेल करवाती है.
फर्जी बच्चों के नाम पर उठाया जा रहा सरकारी लाभ: वहीं साथ ही साथ स्थानीय लोगों का कहना है की कुछ ऐसे भी बच्चों का नाम स्कूल में है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. वहीं ग्रामीण दीपक कुमार पासवान ने बताया कि मेरी शादी नहीं हुई है, मुझे एक भी बच्चे नहीं है. फिर भी स्कूल में बच्चे के पिता के नाम की जगह मेरा नाम देकर बच्चे के नाम से छात्रवृत्ति पोशाक राशि, मिड डे मील भोजन जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ फर्जी रूप से उठाया जा रहा है.
"मेरी शादी नहीं हुई है. स्कूल में मेरी पत्नी का नाम है मेरा बच्चा का नाम है. प्रधानाध्यापिका कंचन मैडम पैसा उठा रही हैं."- दिलीप कुमार पासवान, ग्रामीण
शिकायत करने पर फंसाने की धमकी: वहीं जब स्थानीय लोगों से इस मामले को लेकर बातचीत की गई तो लोगों का कहना है कि प्रधानाध्यापिका का यह रवैया कई सालो से ऐसा ही चल रहा था. जब भी बोलने जाते तो हमलोग को गलत आरोप में फंसा दूंगी कह कर धमकाती थी, इसलिए हमलोग स्कूल नहीं जाते थे. जब हमारे मुखिया व वार्ड सदस्य द्वारा शिकायत की गई तो उन्होंने उल्टा उनपर ही रंगदारी का आरोप लगा दिया और डीएम साहब को आवेदन दे दिया.
"प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला से यहां की प्रधानाध्यापिका के खिलाफ शिकायत की गई माननीय बीईओ साहब को. फिर शिकायत की गई कि यहां पर वार्ड सदस्य जो महिला हैं वो रंगदारी मांगती हैं. बीईओ साहब जांच किए पूरा मामला गलत निकला. बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जिनका नाम स्कूल में नहीं है, लेकिन उनको लाभ मिल रहा है. 10 में से 8 बच्चों के नाम गलत हैं."- भरत कुमार पासवान, मुखिया
दोषी पर उच्चस्तरीय कार्रवाई का बीईओ ने दिया आश्वासन: वहीं वार्ड पार्षद का कहना है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जांच में आए थे. उनके द्वारा निरीक्षण किया गया तो उन्होंने पाया कि किस प्रकार फर्जी रूप से पोशाक राशि, मिड डे मील का भोजन, छात्रवृत्ति की जितनी भी राशियां हैं, पूर्णरूपेण फर्जी तरीके से उठाया गया है. बीईओ ने निरीक्षण कर बताया कि प्रधानाध्यापिका पर लगाए गए सभी आरोप सही प्रतीत हो रहे हैं. जब मेरे द्वारा पूछा गया तो प्रधानाध्यापिका स्पष्ट रूप से जवाब देने में असमर्थ थी. इन पर उच्च स्तरीय कार्रवाई की जाएगी.
"छात्रवृत्ति, पोशाक के बारे जांच की गयी है. स्कूल में कुछ ऐसे बच्चे हैं जिनका स्कूल में नाम नहीं है और जो विद्यालय नहीं आते हैं. लेकिन उनको भी लाभ मिल रहा है. इस संबंध में मैने शिक्षिका से पूछा है. उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. हम इसकी छानबीन कर रहे है. जांच करने के बाद उनका प्रतिवेदन उच्च अधिकारियों को सौंप देंगे."- मोहम्मद अशफाक अली, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी