गया: बिहार के चर्चित आईपीएस में से एक आशीष भारती के संघर्ष और सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है. दुर्दांत अपराधियों को थर्राने और भाकपा माओवादी सेंट्रल कमेटी के प्रमुख लीडरों में शामिल विजय आर्य, प्रमोद मिश्रा जैसे नक्सलियों को पकड़ने वाले आशीष भारती सामाजिक पहलुओं के लिए भी जाने जाते हैं. विद्यार्थी उनसे सफलता का मंत्र मांगते रहते हैं ताकि वो भी लाइफ में कुछ कर सकें. ऐसे में आशीष भारती ने उन बच्चों को बड़ा तोहफा देते हुए लाइब्रेरी ही बना दी है.
गया SSP और लाइब्रेरी का गहरा नाता: यह वर्तमान में गया एसएसपी के पद पर पोस्टेड हैं. आशीष भारती की एक खासियत यह भी है कि उनकी पोस्टिंग जहां होती है, वहां ये पुलिस पुस्तकालय जरूर खोलते हैं. इन पुलिस पुस्तकालय में आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी समेति विभिन्न बड़ी प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें होती हैं. इन पुलिस पुस्तकालयों के खोलने के पीछे इस आईपीएस के संघर्ष की लंबी सफर वाली कहानी है.
लाइब्रेरी में लगभग 200 पुस्तकें: आशीष भारती का कहना है कि सामाजिक दायित्व को निभाते हुए गया पुलिस के द्वारा बड़े पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आमजनों की सुविधा के लिए एक निशुल्क लाइब्रेरी का प्रारंभ किया गया है. वर्तमान में इस लाइब्रेरी में 200 पुस्तकें रखी गईं हैं. हमारा मुख्य उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति जो कार्यालय आता है और वह अपने समय का सदुपयोग करना चाहता है तो किताब लाइब्रेरी से लेकर पढ़ सकता है.
"अगर कोई व्यक्ति किताबों को अपने घर ले जाकर पढ़ना चाहता है तो वो घर ले जा कर पढ़ाई कर सकते हैं. कुछ दिनों के बाद किताब लौटाना होगा. इससे पहले मैंने रोहतास में भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लाइब्रेरी शुरू की थी. पहाड़ी क्षेत्रों में भी दो लाइब्रेरी बनाई है. प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को इस लाइब्रेरी से काफी लाभ होता है."- आशीष भारती, एसएसपी, गया
जहां भी जाते हैं वहां बनाते हैं Police Library: गया एसएसपी कार्यालय में इन्होंने पुलिस पुस्तकालय खोला है. यह पुलिस पुस्तकालय कोई मामूली नहीं, बल्कि कई वैसे छात्रों का भविष्य संवार सकता है, जो मुफलिसी और तंगी के बीच अपने सपनों को बीच में छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं. महंगी पुस्तकें नहीं खरीद पाते हैं. ऐसे में यहां से निशुल्क पुस्तकों का उपयोग कर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं.
खुद आशीष भारती ने लिखी हैं कई किताबें: गया एसएसपी कार्यालय में पुलिस लाइब्रेरी खोली गई है, जहां आईएएस, यूपीएससी, बीपीएससी समेत विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें रखी गई हैं. बड़े-बड़े राइटरों की लिखित पुस्तकें इस पुलिस पुस्तकालय में मौजूद है. इसमें कई किताबें ऐसी है, जिसे खुद आशीष भारती द्वारा डेवलप कर लिखी गई है, वहीं उनकी पत्नी स्वपना गौतम मेश्राम के द्वारा भी कई प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें लिखी गई है, जो इस पुलिस पुस्तकालय में रखी है.
'प्रेरणा बनी पिता की छोटी सी किताब की दुकान': आशीष भारती का पैतृक गांव मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के परवलपुर में है. इनका आईपीएस बनने का सपना काफी संघर्षों से भरा रहा है. दरअसल, पुलिस पुस्तकालय को खोलकर आईपीएस आशीष भारती चर्चित हो रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं इस पुलिस पुस्तकालय का कनेक्शन उनके पिता की किताब की गुमटी से है. आईपीएस आशीष भारती के पिता की गुमटी में किताब की दुकान थी. जब आशीष भारती छोटे थे, तो उस किताब की दुकान पर छात्र आते थे और पढ़ाई करते थे. पुस्तकें घर भी ले जाया करते थे और सफल भी होते थे.
पिता की छोटी सी दुकान ने बदल दी किस्मत: पिता की छोटी सी दुकान की किताबों को पढ़कर सफल होने वाले छात्रों और उनके उत्साह को देखा तो आशीष भारती को प्रेरणा मिली. उन्होंने ठाना कि वह भी बड़ी प्रतियोगिता परीक्षा यूपीएससी, बीपीएससी आदि को क्वालीफाई करेंगे. उन्होंने अपने पिता की दुकान से ही बुक लेकर प्रारंभिक पढ़ाई शुरू कर दी और आज सफलता के मुकाम तक पहुंचे हैं. आशीष भारती आज बिहार के चर्चित आईपीएस में से एक हैं. वहीं, उनकी पत्नी स्वप्नला मेश्राम भी औरंगाबाद एसपी की पद पर हैं.
2011 बैच के आईपीएस में हुआ सिलेक्शन: प्रारंभिक शिक्षा नालंदा जिला के परवलपुर से हुई जिसमें उनके पिता की दुकान की किताबों का बड़ा योगदान रहा, जो उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाते चली गई. इसके बाद पटना और फिर दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद कंप्यूटर इंजीनियर बने और फिर 2011 बैच के आईपीएस के तौर पर इनका सिलेक्शन हुआ.
खुद की और उनकी पत्नी की भी लिखी किताबें: बड़ी बात यह है की चर्चित आईपीएस आशीष भारती खुद भी लेखक हैं. प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी पुस्तकें डेवलप की है, जो कि पुलिस पुस्तकालय में रखी गई है. वहीं उनकी पत्नी स्वप्नला जो वर्तमान में औरंगाबाद की एसपी हैं, उनकी लिखी भी किताबें इस पुस्तकालय में रखी गई है. इसके अलावे महंगी मिलने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की किताबों को यहां सहेजा गया है.
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