पटना : बिहार में कप्तान बदलते ही जद(यू) के तेवर बदल गए हैं. पिछले कुछ समय से शांत चल रही जद(यू) (Janata Dal- United) अचानक आक्रामक हो गई है. उपेंद्र कुशवाहा की एंट्री और ललन सिंह की ताजपोशी के बाद से जेडीयू नेता फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रहे हैं. कई मुद्दों पर जेडीयू विपक्ष के सुर में सुर मिला रही है. इधर, भाजपा (Bhartiya Janata Party-BJP) की ओर से भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
दरअसल, बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) अचानक गरमा गई है. पहले उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की जद(यू) में एंट्री, उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर ललन सिंह (Lalan Singh) की ताजपोशी और फिर राष्ट्रीय गोलबंदी में लालू प्रसाद यादव की सक्रियता ने बिहार की राजनीति को उलझा दिया है.
पिछले दिनों नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जद(यू) ने तमाम विवादास्पद मुद्दों पर संसद में भाजपा का साथ दिया. कश्मीर में धारा 370 हटाने का मामला हो या तीन तलाक या फिर राम मंदिर मसला, तमाम मुद्दों पर भाजपा को जद(यू) का समर्थन हासिल हुआ लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से जद(यू) नेताओं के तेवर बदलने शुरू हो गए. उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह की सक्रियता से पार्टी की रणनीति में भी बदलाव साफ दिख रही है.
जातिगत जनगणना को लेकर जद(यू) नेताओं के तेवर तल्ख हैं. इस मुद्दे पर पार्टी विपक्ष के साथ दिख रही है. जद(यू) का मानना है कि बिहार विधानसभा में जातिगत जनगणना को लेकर दो बार प्रस्ताव पारित किए हैं और विकास कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए भी जातिगत जनगणना जरूरी है और इसे हर हाल में कराया जाना चाहिए.
वहीं, जातिगत जनगणना (Cast Census) को लेकर भाजपा की राय अलग है. भाजपा नेता मानते हैं कि जातिगत जनगणना से देश में सामाजिक ताना-बाना बिगड़ सकता है. सरदार पटेल ने भी जातिगत जनगणना को खारिज किया था. जनगणना सिर्फ एससी-एसटी की इसलिए होती है कि उनके लिए संसद और विधानसभाओं में सीटें आरक्षित हैं. भाजपा का मानना है कि जातिगत जनगणना के बजाय अमीर और गरीब की गणना होनी चाहिए.
पेगासस फोन टैपिंग मामले को लेकर भी जद(यू) नेताओं ने तेवर कड़े कर लिए हैं. पार्टी का मानना है कि अगर किसी भी स्थिति में लोगों की प्राइवेसी पर हमला होता है तो यह सही नहीं है. ऐसे में पेगासस मामले (Pegasus Cases) की जांच कराई जानी चाहिए. जद(यू) की सहयोगी पार्टी HAM ने भी सुर में सुर मिलाया है. इस मसले पर भी नीतीश कुमार विपक्ष के साथ दिख रहे हैं. जबकि पेगासस को लेकर भाजपा नेताओं के स्टैंड साफ है. पार्टी का मानना है कि फोन टैपिंग जैसी घटना हुई ही नहीं है तो जांच किस बात की होगी.
बिहार के उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच में बेहतर सामंजस्य है और हम लोग बेहतर काम कर रहे हैं. जहां तक प्रधानमंत्री पद का सवाल है तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. वहीं, पेगासस मुद्दे पर केंद्र ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
वहीं, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी जद(यू) भाजपा के साथ खड़ी नहीं है. पार्टी का मानना है कि कानून बनाने के बजाय लोगों को जागरूक और शिक्षित कर जनसंख्या नियंत्रण की जानी चाहिए. इधर, भाजपा का मानना है कि बगैर कानून के जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो सकता है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए दंडनीय कानून के बजाय प्रेरक कानून केंद्र सरकार बनाना चाह रही है. अगर किसी दल को यह लगता है कि जनसंख्या नियंत्रण जरूरी नहीं है तो उसे आगे आना चाहिए.
भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि अगर किसी दल को लगता है कि जनसंख्या नियंत्रण नहीं होना चाहिए तो उन्हें आगे आना चाहिए. जहां तक पेगासस का सवाल है तो फोन टैपिंग जैसी घटना हुई ही नहीं है तो जांच का मतलब क्या है.
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इन सब के बीच जद(यू) नेता नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार मान रहे हैं. पार्टी नेताओं का मानना है कि उनकी राष्ट्रीय स्तर की छवि है. उन्होंने विकास के नए आयाम तय किए हैं. प्रधानमंत्री होने के तमाम गुण उनके अंदर हैं. वहीं, भाजपा ने दो टूक कह दिया है कि आने वाले दो दशक तक प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है. प्रधानमंत्री बनने के लिए सीटें चाहिए. 17 सीट लाने वाली पार्टी के नेता कैसे प्रधानमंत्री बन सकता है?
इधर, जद(यू) किसी भी स्थिति में खुद को छोटा भाई मानने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी नेता बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहते हैं. जद(यू) नेताओं का मानना है कि हम सहयोगी दलों के षड्यंत्र से कमजोर पड़े हैं. हमारी वास्तविक स्थिति वह नहीं है, जो आज दिख रही है. जद(यू) नेताओं के आरोपों पर बीजेपी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि जद(यू) को कम सीटें आईं हैं, इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार नहीं है. चिराग पासवान से अदावत की वजह से जेडीयू कमजोर हुई.
जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता नीतीश कुमार ने हर मुद्दे पर नजीर पेश किया है. जनसंख्या नियंत्रण कानून से नहीं जागरुकता से किया जा सकता है. हमने महिलाओं को शिक्षित और जागरूक कर जन्म दर में कमी करने में कामयाबी हासिल की है.
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजदीकियां भाजपा विरोधी नेताओं से हाल के दिनों में बढ़ी है. पहले नीतीश कुमार की मुलाकात तेजस्वी यादव से हुई और उसके बाद नीतीश ओमप्रकाश चौटाला से मिले. विरोधी नेताओं से नीतीश कुमार का मिलना भाजपा को नागवार गुजरा है, हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि मिलने-जुलने का कोई राजनैतिक मतलब नहीं है.
ऐसा नहीं है कि भाजपा जद(यू) और नीतीश कुमार के नीति और नियत को नहीं समझ रहे हैं. यही कारण है कि जद(यू) नेता लगातार यह सवाल पूछ रहे हैं कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नगर निकाय चुनाव में नीतीश सरकार ने ही कानून बनाए हैं कि जिन्हें दो बच्चे होंगे वही चुनाव लड़ सकते हैं, तो फिर अभी स्टैंड में बदलाव के पीछे वजह क्या है?
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार ने कहा कि नगर निकाय में कानून बनाने के बाद नीतीश कुमार अपने ही फैसले से पीछे हट रहे हैं. भले ही ऐसा वह राजनीतिक कारणों से कर रहे हैं. हाल के दिनों में जेडीयू की रणनीति में बदलाव साफ दिख रही है.