भोपाल। राजधानी के एक नामचीन स्कूल की बस में 3 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में आज फैसला आ गया है. मुख्य आरोपी हनुमत जाटव को आजीवन कारावास और सह आरोपी उर्मिला साहू को 20 साल की सजा सुनाई गई. जिला कोर्ट में स्पेशल जज शैलजा गुप्ता ने सुनवाई के बाद फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि 8 सितंबर को बच्ची के साथ वारदात हुई थी. 13 सितंबर को महिला थाने में केस दर्ज हुआ था. SIT की टीम जिसने इस पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए चालान प्रस्तुत कर दिया था.
कोर्ट ने माना अबोध है बच्ची: इस मामले में विशेष लोक अभियोजन अधिकारी मनीषा पटेल ने बताया, आरोपी हनुमंत जाटव और उर्मिला साहू को कोर्ट ने दोषी पाया था. आरोपी हनुमंत जाटव पर धारा 376(एबी), 376(2) एन 5एफ,एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट में दोष सिद्ध हुआ था. इस मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. और प्रत्येक धारा पर 32 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है. सह आरोपी उर्मिला साहू को सहपठित धारा 109 तथा पास्को 16/17 में दोषसिद्ध किया गया था. धारा के अनुसार 20 वर्ष का सश्रम कारावास और उस पर भी 32 हजार का अर्थदंड लगाया गया है. इस पूरे मामले में न्यायालय ने माना है कि बच्ची काफी अबोध व नादान थी और उन्हें गुड टच और बैड टच का अंदाजा नहीं था, आरोपी ने इसी बात का फायदा उठाया. पुलिस ने सही तरीके से पूरे मामले की जांच की.
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भोपाल के एक निजी स्कूल की बस में 8 सितंबर को मासूम बिटिया के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यायालय द्वारा आरोपी चालक को आजीवन कारावास और आया को 20 साल के कारावास की सजा के फैसले का मैं स्वागत करता हूं: CM
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ऐसे सामने आया था मामला: भोपाल के रातीबड़ स्थित एक बड़े निजी स्कूल की 3 साल की बच्ची से रेप की वारदात सामने आई थी, जब बच्ची स्कूल से लौटी तो उसकी मां ने देखा कि उसके बैग में रखे अतिरिक्त सेट से किसी ने बच्चे के कपड़े बदल दिए हैं. इसके बाद मां ने अपनी बेटी के क्लास टीचर और स्कूल के प्रिंसिपल से पूछताछ की, लेकिन दोनों ने बच्ची के कपड़े बदलने से इनकार किया. बाद में बच्ची ने प्राइवेट पार्ट में दर्द की शिकायत की. पुलिस अधिकारी ने कहा कि उसके माता-पिता ने उसे विश्वास में लिया और उसकी काउंसलिंग की, जिसके बाद उसने बताया कि बस चालक ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसके कपड़े भी बदल दिए. पुलिस कमिश्नर ने कहा कि माता-पिता अगले दिन अधिकारियों से शिकायत करने के लिए स्कूल गए और बच्ची ने चालक की पहचान की.
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स्कूल प्रबंधन का तर्क: इस मामले में स्कूल के प्राचार्य आशीष अग्रवाल के खिलाफ भी पुलिस ने FIR दर्ज की थी, आरोप था कि उसने साक्ष्य मिटाने में सहयोग किया है और मामले को दबाए रखा. इसके साथ ही आरोपी ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन को लेकर भी सवाल खड़े हुए. आरोपी पर पूर्व में दर्ज तीन अपराधों के बावजूद उसका शाहपुरा थाना से केस पुलिस वेरीफिकेशन कर दिया था. इसके अलावा घटना के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा एडमिनिस्ट्रेटर को हटाए जाने की बात ने भी संदेह पैदा किया. हालांकि प्रबंधन से इसे लेकर कहा कि वह जांच को प्रभावित कर सकती थी, इसलिए उसे हटाया गया है. इसके साथ ही बस में लगे सीसीटीवी कैमरे के डीवीआर से मेमोरी कार्ड का गायब होना और घटना के बाद बस को मैकेनिक के पास सुधरने भेजने ने भी संदेह पैदा किया.
बाल आयोग ने लिया था संज्ञान: मासूम के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मध्य प्रदेश बाल आयोग ने संज्ञान लिया है.आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है और 3 दिन में जवाब मांगा था. इस नोटिस में 5 बिंदुओं पर जवाब मांगा गया था. वही मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय को भी आयोग ने पत्र लिखकर इस विषय में जानकारी मांगी थी. जांच में SIT को बस में तीन अन्य बच्चियों के भी कपड़े बदले जाने की बात सामने आई थी.
आरोपी के मकान पर चला हथौड़ा: घटना के बाद नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम ने आरोपी हनुमंत के घर पर हथौड़ा चला दिया था. आरोपी हनुमंत शाहपुरा के पास अजय नगर में रहता था, जहां उसका मकान था. बच्ची से रेप मामले में ड्राइवर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत पर भेज दिया गया था. राजस्व अमले, पुलिस और नगर निगम ने संयुक्त कारवाई कर बस ड्राइवर के अवैध मकान को तोड़ने की कार्रवाई की''. वहीं इस मामले में विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ था. विपक्ष ने जहां सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सरकार की नाकामी बताई थी.
मोहल्ले वाले बोले हनुमंते ऐसा नहीं कर सकता: इस मामले में ETV भारत की टीम ने आरोपी हनुमंत के मोहल्ले अजय नगर में जाकर यह जानना चाहा कि आखिर हनुमंत ने यह वारदात पहली बार की है, या पहले भी वह इस तरह की गतिविधियों में लिप्त था. मोहल्ले के लोग उसके बारे में ज्यादा बात करने से कतराते रहे. कुछ ने कैमरे के सामने तो कुछ में कैमरे के पीछे यह जरूर कहा कि हनुमंत ऐसा नहीं कर सकता. लोगों का कहना था की हनुमंत मोहल्ले में एक शरीफ लड़की की तरह जीवन यापन करता था. ज्यादा किसी से लड़ाई झगड़ा और बातचीत भी नहीं करता था. सभी के साथ उसका व्यवहार हसमुख था. मोहल्ले में रहने वाले लोग बार-बार यह सवाल उठा रहे हैं कि जब दोष आरोपी ड्राइवर का था तो उसके परिवार को सजा क्यों मिली. घर टूटने के बाद उसका परिवार कहां गया, यह किसी को पता नहीं है. उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि अगर आरोपी को सजा देनी है तो दे दो, फांसी पर चढ़ा दो. लेकिन उसके परिवार के रहने के लिए तो व्यवस्था की जाए.