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Bhima Koregaon case: हाई कोर्ट ने वकील सुधा भारद्वाज को दी जमानत

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत (Sudha Bharadwaj granted bail) की मंजूरी दे दी है. हालांकि, हाई कोर्ट ने मामले में अन्य आठ आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया.

Bhima Koregaon case
भीमा कोरेगांव मामला
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Published : Dec 1, 2021, 11:18 AM IST

Updated : Dec 1, 2021, 1:38 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) में वकील सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj granted bail) को बुधवार को जमानत प्रदान कर दी. अदालत ने भारद्वाज को इस आधार पर जमानत प्रदान की कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुआ, इसलिए वह जमानत की हकदार हैं.

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ ने इसके साथ ही निर्देश दिया कि भारद्वाज को शहर की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में पेश किया जाए, जो उनकी जमानत की शर्तें तय करेगी और मुंबई के भायकला महिला कारागार से रिहायी को अंतिम रूप देगी. भारद्वाज वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद से विचाराधीन कैदी के तौर पर कारागार में बंद हैं.

भारद्वाज के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने इससे पहले हाई कोर्ट को बताया कि पुणे पुलिस द्वारा दाखिल आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने वाले और भारद्वाज एवं सात अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने वाले न्यायाधीश केडी वदने ने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं.

चौधरी ने पहले हाई कोर्ट को बताया था कि वदने ने अदालती आदेश पर एक विशेष न्यायाधीश के तौर पर हस्ताक्षर किए जबकि वह एक विशेष न्यायाधीश नहीं थे.

न्यायमूर्ति शिंदे के नेतृत्व वाली हाई कोर्ट की पीठ ने भारद्वाज की अर्जी पर इस साल चार अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

हालांकि, हाई कोर्ट ने सह आरोपी सुधीर धवले और सात अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी. इन अर्जियों में इस आधार पर जमानत दिये जाने का अनुरोध किया गया था कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर: पुलवामा मुठभेड़ में जैश कमांडर समेत दो आतंकी ढेर

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 01 जनवरी 2018 को हुई हिंसा मामले में संलिप्तता को लेकर सुधा भारद्वाज को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में हैं. निचली अदालत द्वारा जमानत से इनकार किए जाने पर सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया था. उन्होंने कहा है कि इस मामले में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.

उन्होंने इस तकनीकी आधार पर जमानत का अनुरोध किया है कि जिस अदालत ने शुरुआत में आरोपपत्र का संज्ञान लिया, उनके पास ऐसा करने का अधिकार ही नहीं था.

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) में वकील सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj granted bail) को बुधवार को जमानत प्रदान कर दी. अदालत ने भारद्वाज को इस आधार पर जमानत प्रदान की कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुआ, इसलिए वह जमानत की हकदार हैं.

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ ने इसके साथ ही निर्देश दिया कि भारद्वाज को शहर की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में पेश किया जाए, जो उनकी जमानत की शर्तें तय करेगी और मुंबई के भायकला महिला कारागार से रिहायी को अंतिम रूप देगी. भारद्वाज वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद से विचाराधीन कैदी के तौर पर कारागार में बंद हैं.

भारद्वाज के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने इससे पहले हाई कोर्ट को बताया कि पुणे पुलिस द्वारा दाखिल आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने वाले और भारद्वाज एवं सात अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने वाले न्यायाधीश केडी वदने ने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं.

चौधरी ने पहले हाई कोर्ट को बताया था कि वदने ने अदालती आदेश पर एक विशेष न्यायाधीश के तौर पर हस्ताक्षर किए जबकि वह एक विशेष न्यायाधीश नहीं थे.

न्यायमूर्ति शिंदे के नेतृत्व वाली हाई कोर्ट की पीठ ने भारद्वाज की अर्जी पर इस साल चार अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

हालांकि, हाई कोर्ट ने सह आरोपी सुधीर धवले और सात अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी. इन अर्जियों में इस आधार पर जमानत दिये जाने का अनुरोध किया गया था कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर: पुलवामा मुठभेड़ में जैश कमांडर समेत दो आतंकी ढेर

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 01 जनवरी 2018 को हुई हिंसा मामले में संलिप्तता को लेकर सुधा भारद्वाज को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में हैं. निचली अदालत द्वारा जमानत से इनकार किए जाने पर सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया था. उन्होंने कहा है कि इस मामले में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.

उन्होंने इस तकनीकी आधार पर जमानत का अनुरोध किया है कि जिस अदालत ने शुरुआत में आरोपपत्र का संज्ञान लिया, उनके पास ऐसा करने का अधिकार ही नहीं था.

Last Updated : Dec 1, 2021, 1:38 PM IST
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