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मस्जिद के लिए जमीन पर 24 को फैसला लेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए को बताया कि बोर्ड की बैठक 24 फरवरी को होनी है, जिसमें निर्धारित किया जाएगा कि जमीन में मस्जिद के अलावा और क्या बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हम अब मलबे या जमीन की मांग नहीं करने जा रहे हैं, हम आगे के केस के लिए तैयार नहीं हैं. हां, जो लोग आगे केस लड़ना चाहते हैं वह स्वतंत्र हैं और वह कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें बोर्ड से कोई मतलब नहीं है.

ईटीवी भारत से बात करते जफर अहमद फारूकी
ईटीवी भारत से बात करते जफर अहमद फारूकी
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Published : Feb 21, 2020, 7:18 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 2:40 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य में 'उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड' के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी ने कहा कि बोर्ड की बैठक में अब यह विचार करना है कि क्या मस्जिद पांच एकड़ भूमि पर बनाई जाएगी या कुछ और कुछ और भी निर्माण किया जाएगा? उन्होंने कहा कि अब यह मुद्दा खत्म होना चाहिए क्योंकि अब इस पर बात करने का मतलब है संघर्ष को और बढ़ाना है.

जफर अहमद फारूकी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए को बताया कि बोर्ड की बैठक 24 फरवरी को होनी है, जिसमें निर्धारित किया जाएगा कि जमीन में मस्जिद के अलावा और क्या बनाया जा सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते जफर अहमद फारूकी

एक सवाल जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस्लाम में ईंट, पत्थरों की कोई मान्यता है. जहां तक ​​मुझे पता है, अब कोई मलबा नहीं बचा है.

जफर अहमद फारूकी ने कहा कि हम अब मलबे या जमीन की मांग नहीं करने जा रहे हैं, हम आगे के केस के लिए तैयार नहीं हैं. हां, जो लोग आगे केस लड़ना चाहते हैं वह स्वतंत्र हैं और वह कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें बोर्ड से कोई मतलब नहीं है.

बोर्ड अध्यक्ष ने मुस्लिम संगठनों और केस में शामिल वकीलों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बोर्ड की स्थिति यह है कि हमने कई साल पहले 2.77 एकड़ जमीन छोड़ दी थी, तब बोर्ड ने ऐसा क्यों किया ? जबकि आपका दावा 2.77 एकड़ का होना चाहिए था, लेकिन इसे छोड़कर बोर्ड ने केवल 1500 गज जमीन का दावा किया.

बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि उस समय केस में शामिल वकीलों ने दावे को संशोधित करके केवल मस्जिद पर दावा बरकरार रखा और बाकी पर दावा छोड़ दिया था.

उन्होंने आगे कहा कि अब बाबरी मस्जिद पर बात करने का मतलब विवाद पैदा करने के अलावा कुछ और नहीं हो सकता.

पढ़ें- राम मंदिर ट्रस्ट : अमित शाह ने पूरा किया महंत नृत्य गोपाल दास से किया वादा

गौरतलब है कि इससे पहले ईटीवी भारत से बात करते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल करेगी कि मस्जिद के मलबे पर मुसलमानों का अधिकार है और इसे उन्हे वापस मिलना चाहिए.

फारुकी ने कहा कि वक्फ एक्ट, दफा 52 के तहत सरकार को अधिकार है कि वह भूमि वितरण के तहत मस्जिद को वक्फ की गई भूमि को वापस ले सकती है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य में 'उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड' के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी ने कहा कि बोर्ड की बैठक में अब यह विचार करना है कि क्या मस्जिद पांच एकड़ भूमि पर बनाई जाएगी या कुछ और कुछ और भी निर्माण किया जाएगा? उन्होंने कहा कि अब यह मुद्दा खत्म होना चाहिए क्योंकि अब इस पर बात करने का मतलब है संघर्ष को और बढ़ाना है.

जफर अहमद फारूकी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए को बताया कि बोर्ड की बैठक 24 फरवरी को होनी है, जिसमें निर्धारित किया जाएगा कि जमीन में मस्जिद के अलावा और क्या बनाया जा सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते जफर अहमद फारूकी

एक सवाल जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस्लाम में ईंट, पत्थरों की कोई मान्यता है. जहां तक ​​मुझे पता है, अब कोई मलबा नहीं बचा है.

जफर अहमद फारूकी ने कहा कि हम अब मलबे या जमीन की मांग नहीं करने जा रहे हैं, हम आगे के केस के लिए तैयार नहीं हैं. हां, जो लोग आगे केस लड़ना चाहते हैं वह स्वतंत्र हैं और वह कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें बोर्ड से कोई मतलब नहीं है.

बोर्ड अध्यक्ष ने मुस्लिम संगठनों और केस में शामिल वकीलों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बोर्ड की स्थिति यह है कि हमने कई साल पहले 2.77 एकड़ जमीन छोड़ दी थी, तब बोर्ड ने ऐसा क्यों किया ? जबकि आपका दावा 2.77 एकड़ का होना चाहिए था, लेकिन इसे छोड़कर बोर्ड ने केवल 1500 गज जमीन का दावा किया.

बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि उस समय केस में शामिल वकीलों ने दावे को संशोधित करके केवल मस्जिद पर दावा बरकरार रखा और बाकी पर दावा छोड़ दिया था.

उन्होंने आगे कहा कि अब बाबरी मस्जिद पर बात करने का मतलब विवाद पैदा करने के अलावा कुछ और नहीं हो सकता.

पढ़ें- राम मंदिर ट्रस्ट : अमित शाह ने पूरा किया महंत नृत्य गोपाल दास से किया वादा

गौरतलब है कि इससे पहले ईटीवी भारत से बात करते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल करेगी कि मस्जिद के मलबे पर मुसलमानों का अधिकार है और इसे उन्हे वापस मिलना चाहिए.

फारुकी ने कहा कि वक्फ एक्ट, दफा 52 के तहत सरकार को अधिकार है कि वह भूमि वितरण के तहत मस्जिद को वक्फ की गई भूमि को वापस ले सकती है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 2:40 AM IST
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