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गोपालगंज के रामपुर गांव में लड़कों की नहीं होती जल्दी शादी, जानें क्यों - बरौली प्रखंड के बघेजी पंचायत

गोपालगंज के रामपुर गांव के लोगों की जिंदगी पगडंडियों से होकर ही गुजर जाती है. यहां की कई पीढ़ियां सड़क देखे बिना ही गुजर गईं. सड़क न होने से शादी में भी काफी अड़चनें आती हैं. यहां के लोग इस टापूनुमा गांव में किसी विकास पुरुष के आने का इंतजार कर रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Rampur village road
रामपुर गांव की सड़क
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Published : Nov 9, 2020, 4:27 PM IST

गोपालगंज : जिले के बरौली प्रखंड के बघेजी पंचायत स्थित रामपुर गांव में ज्यादातर युवक कुंवारे रह गए हैं. कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे कि लड़कों में कोई कमी है? ऐसा नहीं है. दरअसल, इस गांव के लड़कों की शादी तय तो हो जाती है, लेकिन सड़क न होने के कारण टूट जाती है. नई पीढ़ी के युवाओं में डर है कि कहीं वो भी कुंवारे न रह जाएं. सड़क के अलावा इस गांव में शिक्षा और चिकित्सा की भी कमी लोगों को खलती है.

गांव में दम तोड़ती सात निश्चय योजना

गोपालगंज के जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के बघेजी पंचायत के रामपुर गांव में सात निश्चय योजना दम तोड़ती नजर आती है. यह गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. इस गांव को आज तक एक पक्की सड़क नसीब नहीं हुई.

ऐसा है रामपुर गांव का हाल

दरवाजे तक नहीं पहुंचते दोपहिया वाहन

मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना को मुंह चिढ़ाते इस गांव में सड़क और अस्पताल जैसी जरूरी सुविधा भी यहां के लोगों को नहीं मिली. मरीजों को खाट पर लादकर खेत की पगडंडियों से होकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क नहीं होने से गांव में न ही एम्बुलेंस पहुंच पाती है और न ही स्कूल बस. दरवाजे तक चार पहिया वाहन की बात, तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाता है.

Rampur village road
रामपुर गांव की सड़क

ये भी पढ़ेंः ऐतिहासिक अब्दुलबारी पुल का अस्तित्व खतरे में, अवैध बालू उत्खनन से डैमेज हो रही नींव

इस गांव के लोग इस टापूनुमा गांव में रहकर किसी विकास पुरुष के आने का शायद इंतजार कर रहे हैं. आजादी के 70 दशक बीत जाने के बावजूद इस सड़क विहीन गांव में लोग किसी तरह जीने को मजबूर हैं. ऐसे में किसी मशहूर शायर की ये पंक्तिया याद आती है...

'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है'

करीब ढाई से तीन हजार की आबादी वाला ये गांव आज भी संसाधन के अभाव से जूझ रहा है. यहां के लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवक-युवतियों की शादी में अड़चनें आती हैं. आज भी कई ऐसे युवक हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी.

कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही ये देखकर भाग जाते हैं कि इस गांव में सड़क और अस्पताल नहीं है. अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे. बेटा हो या बेटी उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है.

- अजय कुमार, स्थानीय युवक

कई सुविधाएं आज तक नहीं हुईं नसीब

इस गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली मिली, जो लालटेन युग से छुटकारा दिला पाई है, लेकिन सड़क की कमी ज्यादा ही खलती है. शुद्ध पेयजल, चापाकल, शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र जैसी कई सुविधाएं आज भी इस गांव के लोगों को नसीब नहीं हैं. ग्रमीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि व नेतागण चुनाव के समय ही इस क्षेत्र में दिखते हैं. बड़े-बड़े वादे कर निकल जाते हैं. सरकारी आलाधिकारियों की नजर भी इस गांव की ओर नहीं पड़ती.

गोपालगंज : जिले के बरौली प्रखंड के बघेजी पंचायत स्थित रामपुर गांव में ज्यादातर युवक कुंवारे रह गए हैं. कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे कि लड़कों में कोई कमी है? ऐसा नहीं है. दरअसल, इस गांव के लड़कों की शादी तय तो हो जाती है, लेकिन सड़क न होने के कारण टूट जाती है. नई पीढ़ी के युवाओं में डर है कि कहीं वो भी कुंवारे न रह जाएं. सड़क के अलावा इस गांव में शिक्षा और चिकित्सा की भी कमी लोगों को खलती है.

गांव में दम तोड़ती सात निश्चय योजना

गोपालगंज के जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के बघेजी पंचायत के रामपुर गांव में सात निश्चय योजना दम तोड़ती नजर आती है. यह गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. इस गांव को आज तक एक पक्की सड़क नसीब नहीं हुई.

ऐसा है रामपुर गांव का हाल

दरवाजे तक नहीं पहुंचते दोपहिया वाहन

मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना को मुंह चिढ़ाते इस गांव में सड़क और अस्पताल जैसी जरूरी सुविधा भी यहां के लोगों को नहीं मिली. मरीजों को खाट पर लादकर खेत की पगडंडियों से होकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क नहीं होने से गांव में न ही एम्बुलेंस पहुंच पाती है और न ही स्कूल बस. दरवाजे तक चार पहिया वाहन की बात, तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाता है.

Rampur village road
रामपुर गांव की सड़क

ये भी पढ़ेंः ऐतिहासिक अब्दुलबारी पुल का अस्तित्व खतरे में, अवैध बालू उत्खनन से डैमेज हो रही नींव

इस गांव के लोग इस टापूनुमा गांव में रहकर किसी विकास पुरुष के आने का शायद इंतजार कर रहे हैं. आजादी के 70 दशक बीत जाने के बावजूद इस सड़क विहीन गांव में लोग किसी तरह जीने को मजबूर हैं. ऐसे में किसी मशहूर शायर की ये पंक्तिया याद आती है...

'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है'

करीब ढाई से तीन हजार की आबादी वाला ये गांव आज भी संसाधन के अभाव से जूझ रहा है. यहां के लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवक-युवतियों की शादी में अड़चनें आती हैं. आज भी कई ऐसे युवक हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी.

कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही ये देखकर भाग जाते हैं कि इस गांव में सड़क और अस्पताल नहीं है. अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे. बेटा हो या बेटी उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है.

- अजय कुमार, स्थानीय युवक

कई सुविधाएं आज तक नहीं हुईं नसीब

इस गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली मिली, जो लालटेन युग से छुटकारा दिला पाई है, लेकिन सड़क की कमी ज्यादा ही खलती है. शुद्ध पेयजल, चापाकल, शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र जैसी कई सुविधाएं आज भी इस गांव के लोगों को नसीब नहीं हैं. ग्रमीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि व नेतागण चुनाव के समय ही इस क्षेत्र में दिखते हैं. बड़े-बड़े वादे कर निकल जाते हैं. सरकारी आलाधिकारियों की नजर भी इस गांव की ओर नहीं पड़ती.

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