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कोरोना की मार : जीविका के लिए दिहाड़ी मजदूर बना इंजीनियर - गडग में एक इंजीनियर

गडग में एक इंजीनियर सदानंद अपनी आजीविका के लिए एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था. वह युवा इंजीनियरिंग स्नातक जिसने महामारी के कारण अपनी नौकरी खो दी थी. अब वह कुदाल और अन्य उपकरणों को पकड़कर दैनिक कार्य शुरू कर दिया है.

सदानंद
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Published : Jun 4, 2020, 10:29 PM IST

बेंगलुरु : कोविड 19 ने देश भर के लाखों लोगों के लिए समस्या खड़ी कर दी है. हजारों लोग अपनी आजीविका के लिए लड़ रहे थे. कई लोगों ने शहरों नौकरी छोड़ दी और अपने मूल निवास पर लौट आए और दैनिक मजदूरी के काम करने के लिए जाने लगे हैं.

गडग में, एक इंजीनियर सदानंद अपनी आजीविका के लिए एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था. वह युवा इंजीनियरिंग स्नातक जिसने कोविड 19 के कारण अपनी नौकरी खो दी थी, अब कुदाल और अन्य उपकरणों को पकड़कर दैनिक कार्य शुरू कर दिया है.

बेंगलुरु में उनकी कंपनी कोविड 19 महामारी के कारण बंद हो गई है इस कारण उनकी नौकरी चली गई. इस कारण वह अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए मजबूर हो गया. कंपनी द्वारा उन्हें नौकरी से बर्खास्त किए जाने पर वह चिंतित थे.

हालांकि, अब उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और दिहाड़ी मजदूर बन गए. इस प्रकार इंजीनियर जो एक एसी कार्यालय में काम कर रहा था. वह अब भीषण धूप में मेहनत कर रहा है.

सदानंद का कहना हैं उसने बड़ी असुविधाओं की बाद के बाद इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की. उन्होंने बताया कि गांवों में शिक्षितों को कोई नौकरी नहीं मिलती है. इसलिए, उन्होंने नौकरी ढूंढने के बजाए मजदूरी करने का फैसला किया और एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

पढ़ें - कोरोना संकट के बावजूद भारत 5 ट्रिलियन इकोनोमी के लक्ष्य को हासिल करेगा : राम माधव

वह दो महीने से अपने घर पर बैठे इंतजार कर रहा था. जब कंपनी ने उसे नौकरी नहीं दी या उसे कोई नौकरी नहीं मिली, तो उसने अपनी माँ और पिता के साथ दैनिक मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया

बेंगलुरु : कोविड 19 ने देश भर के लाखों लोगों के लिए समस्या खड़ी कर दी है. हजारों लोग अपनी आजीविका के लिए लड़ रहे थे. कई लोगों ने शहरों नौकरी छोड़ दी और अपने मूल निवास पर लौट आए और दैनिक मजदूरी के काम करने के लिए जाने लगे हैं.

गडग में, एक इंजीनियर सदानंद अपनी आजीविका के लिए एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था. वह युवा इंजीनियरिंग स्नातक जिसने कोविड 19 के कारण अपनी नौकरी खो दी थी, अब कुदाल और अन्य उपकरणों को पकड़कर दैनिक कार्य शुरू कर दिया है.

बेंगलुरु में उनकी कंपनी कोविड 19 महामारी के कारण बंद हो गई है इस कारण उनकी नौकरी चली गई. इस कारण वह अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए मजबूर हो गया. कंपनी द्वारा उन्हें नौकरी से बर्खास्त किए जाने पर वह चिंतित थे.

हालांकि, अब उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और दिहाड़ी मजदूर बन गए. इस प्रकार इंजीनियर जो एक एसी कार्यालय में काम कर रहा था. वह अब भीषण धूप में मेहनत कर रहा है.

सदानंद का कहना हैं उसने बड़ी असुविधाओं की बाद के बाद इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की. उन्होंने बताया कि गांवों में शिक्षितों को कोई नौकरी नहीं मिलती है. इसलिए, उन्होंने नौकरी ढूंढने के बजाए मजदूरी करने का फैसला किया और एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

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वह दो महीने से अपने घर पर बैठे इंतजार कर रहा था. जब कंपनी ने उसे नौकरी नहीं दी या उसे कोई नौकरी नहीं मिली, तो उसने अपनी माँ और पिता के साथ दैनिक मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया

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