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युवाओं के लिए मिसाल बने इंजीनियर लक्ष्मीकांत, कृषि को बनाया पेशा - कोरोना महामारी

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के रहने वाले लक्ष्मीकांत गांव के युवाओं के लिए मॉडल बन गए हैं. पेशे से इंजीनियर लक्ष्मीकांत की लॉकडाउन में नौकरी चली गई थी, लेकिन गांव आकर उन्होंने बंजर जमीन पर खेती करने का फैसला लिया. लक्ष्मीकांत को अब खेती करने में आनंद आ रहा है.

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इंजीनियर लक्ष्मीकांत
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Published : Nov 2, 2020, 10:43 PM IST

बेंगलुरु : कोरोना महामारी के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ गई है. कोरोना लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, लेकिन नौकरी गंवाने के बाद कुछ लोग खुद ही रोजगार पैदा कर मिसाल पेश कर रहे हैं.

ऐसे ही लोगों में शामिल हैं, कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के खार्गा के रहने वाले युवक लक्ष्मीकांत.

लक्ष्मीकांत इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद गोवा में एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे. कोरोना लॉकडाउन के कारण कंपनी बंद हो गई और नौकरी जाने के बाद वह अपने गांव वापस आ गए.

गांव में उनके पास कोई काम नहीं था. इसी दौरान उनके दिमाग में पिछले 10 वर्षों से बंजर पड़ी जमीन पर खेती करने का विचार आया और उन्होंने दो एकड़ में धान की खेती करने का फैसला किया. अब उनकी धान की फसल कटाई के लिए तैयार है.

लक्ष्मीकांत ने कहा कि उन्हें खेती में दिलचस्पी थी. धान की फसल अब अच्छी पैदावार दे रही है. इससे वह बहुत खुश हैं.

लक्ष्मीकांत धान की फसल के अलावा शहद का उत्पादन भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में कुछ और नई फसलें उगाने में दिलचस्पी लेंगे. स्थानीय ग्रामीण भी लक्ष्मीकांत के कृषि प्रेम की सराहना कर रहे हैं.

एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि हमने लक्ष्मीकांत को बंजर भूमि में फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया. इससे उनके खेत पर बेहतर पैदावार हुई है. वह कामकाजी युवाओं के लिए एक मॉडल हैं.

यह सच है कि बंजर भूमि पर धान की फसल उगाने से लक्ष्मीकांत अब अन्य युवाओं के लिए आदर्श बन गए हैं.

बेंगलुरु : कोरोना महामारी के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ गई है. कोरोना लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, लेकिन नौकरी गंवाने के बाद कुछ लोग खुद ही रोजगार पैदा कर मिसाल पेश कर रहे हैं.

ऐसे ही लोगों में शामिल हैं, कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के खार्गा के रहने वाले युवक लक्ष्मीकांत.

लक्ष्मीकांत इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद गोवा में एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे. कोरोना लॉकडाउन के कारण कंपनी बंद हो गई और नौकरी जाने के बाद वह अपने गांव वापस आ गए.

गांव में उनके पास कोई काम नहीं था. इसी दौरान उनके दिमाग में पिछले 10 वर्षों से बंजर पड़ी जमीन पर खेती करने का विचार आया और उन्होंने दो एकड़ में धान की खेती करने का फैसला किया. अब उनकी धान की फसल कटाई के लिए तैयार है.

लक्ष्मीकांत ने कहा कि उन्हें खेती में दिलचस्पी थी. धान की फसल अब अच्छी पैदावार दे रही है. इससे वह बहुत खुश हैं.

लक्ष्मीकांत धान की फसल के अलावा शहद का उत्पादन भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में कुछ और नई फसलें उगाने में दिलचस्पी लेंगे. स्थानीय ग्रामीण भी लक्ष्मीकांत के कृषि प्रेम की सराहना कर रहे हैं.

एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि हमने लक्ष्मीकांत को बंजर भूमि में फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया. इससे उनके खेत पर बेहतर पैदावार हुई है. वह कामकाजी युवाओं के लिए एक मॉडल हैं.

यह सच है कि बंजर भूमि पर धान की फसल उगाने से लक्ष्मीकांत अब अन्य युवाओं के लिए आदर्श बन गए हैं.

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