नई दिल्ली : इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन से पता चला है कि कोमोरबिडिटी से पीड़ित बुजुर्गों के लिए कोरोना संक्रमण खतरनाक साबित हो सकता है. यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो उसे कोमोरबिडिटी कहते हैं. इसमें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, एचआईवी, कैंसर और फेफड़े से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं. आईजेएमआर के अध्ययन से पता चला है कि युवा और एसिम्प्टमैटिक (कम लक्षण वाले) लोग भी कोरोना महामारी की चपेट में हैं.
चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित अधिकांश मरीज युवा हैं. ये सभी एसिम्प्टमैटिक हैं.
अध्ययन में कहा गया है कि बुखार से कोरोना के केवल तीन से चार लोग पीड़ित थे, उनमें से आधे लोगों को श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण दिखाई पड़ रहे थे. इनमें से जो पहले से अन्य घातक बीमारियों पीड़ित थे, उनको अधिक समस्या थी.
अध्ययन में कहा गया है कि दुनियाभर में कोरोना महामारी एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ आपातकाल के रूप में उभरा है. इस महामारी ने दुनियाभर की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है. साथ ही उन्हें और बेहतर किया है.
एक अप्रैल से 25 मई तक चंडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती वयस्क रोगियों की नैदानिक विशेषताओं और परिणामों का अध्ययन किया गया. कोरोना संक्रमण के निदान की पुष्टि आरटी-पीसीआर किट द्वारा की गई. आरटी-पीसीआर किट के द्वारा गले और नासोफेरींजल लार (throat and nasopharyngeal swabs) का परीक्षण किया गया.
इस अध्ययन पर ईटीवी भारत ने एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण वाले अधिकांश रोगी युवा थे. इन लोगों में कोरोना संक्रमण के नाम मात्र लक्षण थे. ये सभी अस्पताल में अन्य बीमारियों चलते भर्ती थे.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने के लिए 15 बुनियादी चीजों का पालन करना जरूरी है. गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से लड़ने के लिए एक निर्देश जारी किया था, जिसमें 15 बिंदुओं का जिक्र किया गया था. इन बिंदुओं में सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क लगाना इत्यादि शामिल है.