नई दिल्ली : आरसीईपी (रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप) ट्रेड डील को लेकर देश की राजनीति गरम हो गई है, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सरकार को इस डील पर आधिकारिक तौर पर हस्ताक्षर करने से पहले, बैठक के दौरान आरसीईपी के मुद्दे पर हुई वार्ता को सार्वजनिक करने की बात कही है.
योगेंद्र यादव ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा, 'हमारी पहली और प्राथमिक मांग की आरसीईपी पर हुई वार्ता को सार्वजनिक करना है. इस संधि 25 अध्यायों में एक भी पेज को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. हम मांग करते हैं कि सरकार को किसानों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करना चाहिए साथ ही उन्हें संसद में भी इस बारे में चर्चा करनी चाहिए.'
योगेंद्र ने मोदी सरकार पर इस सौदे को गुप्त रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि इस आरसीईपी सौदे से देश के बड़े कॉरपोरेट्स को ही फायदा होगा. उन्होंने मांग की कि कृषि को इससे बाहर रखा जाना चाहिए.
उन्होंने अन्य किसानों के संघ प्रमुखों के साथ RCEP व्यापार सौदे के विरोध में दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया. ये किसान संघ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के अंतर्गत एकत्र हुए.
यादव ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र का मजाक उड़ाया है. उनके अनुसार, यह आरसीईपी सौदा डेयरी उद्योग और उससे संबंधित लगभग 100 मिलियन लोगों की आजीविका को बरबाद कर देगा.
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उन्होंने कहा कि आसियान देशों के साथ पिछले मुक्त व्यापार समझौतों से देश को कोई लाभ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कृषि वस्तुओं का व्यापार नहीं किया जाता है क्योंकि यह देश की खाद्य संप्रभुता के बारे में है.
इस बीच, भारत सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि वह आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगी जब तक कि भारत के हित को ध्यान में नहीं रखा जाता. सरकारी सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर फरवरी तक टाल दिए जाएंगे
आरसीईपी समझौता पिछले छह साल से चल रहा है, यह आसियान-ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के 10 सदस्यों के राज्यों के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है. चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इसके छह एफटीए साझेदार हैं.