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आरक्षण के साथ न हो समझौता, संशोधन लाए सरकार : सीताराम येचुरी - Reservation in promotion row

सरकारी नौकरियों और पदोन्नति में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण संबंधी एक मामले पर हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के बाद अब विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गया है. आज जहां संसद में इस पर घमासान चल रहा है, दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के अलावा अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है.

येचुरी
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Published : Feb 10, 2020, 5:47 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 9:33 PM IST

नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि आरक्षण पिछड़े वर्ग के लिए उनका मौलिक अधिकार है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर येचुरी ने कहा है की अगर जरूरत है, तो निश्चित रूप से सरकार को इसके लिए कोई संशोधन भी लाना पड़े तो लाना चाहिए. अगर सरकार को ऐसा करना जरूरी नहीं लगता है तो इसका साफ मतलब है कि यह सरकार दलित विरोधी है और इस सरकार को उनके अधिकारों से कोई मतलब नहीं है.

वहीं दूसरी तरफ शहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ पिछले 55 दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके इस प्रदर्शन को हटाने की मांग की गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख 17 फरवरी तय की है.

सीताराम येचुरी का बयान.

ये भी पढ़ें- समझें क्या है प्रोन्नति में आरक्षण का पूरा विवाद

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने विरोध प्रदर्शन के मामले को सुप्रीम कोर्ट जाने पर कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश होता है तो निश्चित तौर पर प्रदर्शनकारियों को इस पर अमल करना होगा लेकिन उन्हें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है और यदि उन्हें वहां से हटाया जाता है तो उन्हें दिल्ली के क्षेत्र में ही कोई और जगह विरोध प्रदर्शन करने के लिए निर्गत की जानी चाहिए.

नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि आरक्षण पिछड़े वर्ग के लिए उनका मौलिक अधिकार है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर येचुरी ने कहा है की अगर जरूरत है, तो निश्चित रूप से सरकार को इसके लिए कोई संशोधन भी लाना पड़े तो लाना चाहिए. अगर सरकार को ऐसा करना जरूरी नहीं लगता है तो इसका साफ मतलब है कि यह सरकार दलित विरोधी है और इस सरकार को उनके अधिकारों से कोई मतलब नहीं है.

वहीं दूसरी तरफ शहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ पिछले 55 दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके इस प्रदर्शन को हटाने की मांग की गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख 17 फरवरी तय की है.

सीताराम येचुरी का बयान.

ये भी पढ़ें- समझें क्या है प्रोन्नति में आरक्षण का पूरा विवाद

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने विरोध प्रदर्शन के मामले को सुप्रीम कोर्ट जाने पर कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश होता है तो निश्चित तौर पर प्रदर्शनकारियों को इस पर अमल करना होगा लेकिन उन्हें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है और यदि उन्हें वहां से हटाया जाता है तो उन्हें दिल्ली के क्षेत्र में ही कोई और जगह विरोध प्रदर्शन करने के लिए निर्गत की जानी चाहिए.

Intro:सरकारी नौकरियों और पदोन्नति में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण संबंधी एक मामले पर हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के बाद अब विपक्षी से बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गया है। आज जहां संसद में इस पर घमासान चल रहा है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के अलावा अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि आरक्षण पिछड़े वर्ग के लिये उनका मौलिक अधिकार है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिये । सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर येचुरी ने कहा है की अगर जरूरत है तो निश्चित रूप से सरकार को इसके लिये कोई संशोधन भी लाना पड़े तो लाना चाहिये । अगर सरकार को ऐसा करना जरूरी नहीं लगता है तो इसका साफ मतलब है कि ये सरकार दलित विरोधी है और इस सरकार को उनके अधिकारों से कोई मतलब नहीं है।


Body:वहीं दूसरी तरफ शहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ पिछले 55 दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके इस प्रदर्शन को हटाने की मांग की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख 17 फरवरी तय की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने विरोध प्रदर्शन के मामले को सुप्रीम कोर्ट जाने पर कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश होता है तो निश्चित तौर पर प्रदर्शनकारियों को इस पर अमल करना होगा लेकिन उन्हें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है और यदि उन्हें वहां से हटाया जाता है तो उन्हें दिल्ली के क्षेत्र में ही कोई और जगह विरोध प्रदर्शन करने के लिए निर्गत की जानी चाहिए।


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Last Updated : Feb 29, 2020, 9:33 PM IST
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