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इन्फैंट्री डे पर सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर इन्फैंट्री डे पर एक पुष्पांजलि समारोह में भाग लिया. इस दौरान यहां उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी.

सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया
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Published : Oct 27, 2019, 12:36 PM IST

Updated : Oct 27, 2019, 1:30 PM IST

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचे. इन्फैंट्री डे के मौके पर पहुंचकर सेना प्रमुख ने यहां शहिदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

आपको बता दें, इन्फैंट्री दिवस को स्वतंत्र भारत की पहली सैन्य घटना की याद के रूप में मनाया जाता है. भारतीय सेना ने 27 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर घाटी में भारतीय जमीन पर हुए पहले हमले का मुहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की थी.

इन्फैंट्री डे पर सेना प्रमुख ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

पढ़ें-अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद कश्मीर विकास की राह पर : शाह

1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बनाई. इसके लिए पाकिस्तान ने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए भोजा. कबायलियों की फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर धावा बोल दिया.

हमले के बाद महाराज हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना कश्मीर को कबायलियों मुक्त कराने निकल पड़ी.

गौरतलब है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमण करने वालों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था. भारतीय सेना ने कबायलियों के चंगुल से कश्मीर को 27 अक्टूबर, 1947 को मुक्त करा लिया.

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचे. इन्फैंट्री डे के मौके पर पहुंचकर सेना प्रमुख ने यहां शहिदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

आपको बता दें, इन्फैंट्री दिवस को स्वतंत्र भारत की पहली सैन्य घटना की याद के रूप में मनाया जाता है. भारतीय सेना ने 27 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर घाटी में भारतीय जमीन पर हुए पहले हमले का मुहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की थी.

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1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बनाई. इसके लिए पाकिस्तान ने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए भोजा. कबायलियों की फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर धावा बोल दिया.

हमले के बाद महाराज हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना कश्मीर को कबायलियों मुक्त कराने निकल पड़ी.

गौरतलब है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमण करने वालों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था. भारतीय सेना ने कबायलियों के चंगुल से कश्मीर को 27 अक्टूबर, 1947 को मुक्त करा लिया.

Last Updated : Oct 27, 2019, 1:30 PM IST
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