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चीन के साथ सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए फिर बैठेंगे अधिकारी

भारत की चीन के साथ कई सैन्य वार्ता पहले भी हो चुकी है, अब एक बार फिर सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए शीर्ष भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेताओं की मुलाकात होने वाली है. पढ़ें पूरी खबर...

भारत-चीन वार्ता
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Published : Aug 17, 2020, 5:17 PM IST

नई दिल्ली: डिप्संग के मैदान, फिंगर एरिया और गोगरा में चीन एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. चीन के इस अड़ियल रवैये को लेकर भारत की चीन के साथ कई सैन्य वार्ता पहले भी हो चुकी है. अब एक बार फिर सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए शीर्ष भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेताओं की मुलाकात होने वाली है.

चीनी सैनिक तीन महीनों से इन क्षेत्रों में डेरा जमाए हुए हैं और उन्होंने बंकरों के साथ अपने ठिकानों को भी मजबूत करना शुरू कर दिया है.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेताओं के साथ शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चल रही स्थिति से निपटने के लिए रणनीति पर चर्चा करेगा.

नेताओं से उम्मीद की जाती है कि चीन के साथ जिस तरह से लगभग तीन महीने तक डिप्संग मैदानी, फिंगर क्षेत्र और गोगरा में भारतीय बलों के साथ गतिरोध का सामना करना पड़ा है, उस स्थिति से निपटने के लिए नेताओं से चर्चा की जाएगी.

भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच दौलत बेग ओल्डी में आखिरी बैठक के लगभग एक सप्ताह बाद वरिष्ठ नेतृत्व की बैठक हो रही है. वार्ता के दौरान, भारतीय पक्ष ने चीन से पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 में भारतीय गश्ती दल के लिए बाधा उत्पन्न न करने के लिए कहा था.

चीनी मांग करते रहे हैं कि भारत को डीबीओ और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से हटना चाहिए, लेकिन भारत का स्पष्ट कहना है कि भारत ने अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य किया है.

चीन ने डीबीओ सेक्टर के विपरीत लंबी दूरी के तोपखाने और बख्तरबंद वाहनों के साथ-साथ भारी सैनिकों को तैनात किया है. भारत ने भी चीन को जवाब देने के लिए तदनुसार निर्माण लिया है.

रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि अप्रैल-मई की अवधि के बाद से चीनी एलएसी पर आक्रमक रवैया दिखा रहे हैं. उन्होंने चीनी टुकड़ी को भारतीय क्षेत्रों में कुंगरंग नाला, गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों से स्थानांतरित कर दिया है.

15 जून को गलवान घाटी में पीपी -14 के पास भारतीय सेना का चीनी सैनिकों से आमना-सामना हुआ, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.

17 जुलाई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता (चीन के साथ) चल रही है, इसे हल किया जाना चाहिए. लेकिन इसे किस हद तक हल किया जा सकता है, इसकी गारंटी नहीं दे सकता. आप जानते हैं कि दुनिया की कोई भी शक्ति भारतीय क्षेत्र का एक इंच भी स्पर्श या कब्जा नहीं कर सकती है.

चीनियों ने फिंगर क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है और कह रहे हैं कि वे फिंगर 5 के आस-पास 30 से अधिक सैनिकों के साथ एक पोस्ट बनाए रखेंगे. वहीं भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि चीनी को सभी टकराव वाले बिंदुओं से पूरी तरह से अलग होना चाहिए.

यह भी पढ़ें - कश्मीर पर चीनी अखबार में टिप्पणी, भारत बोला- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें

नई दिल्ली: डिप्संग के मैदान, फिंगर एरिया और गोगरा में चीन एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. चीन के इस अड़ियल रवैये को लेकर भारत की चीन के साथ कई सैन्य वार्ता पहले भी हो चुकी है. अब एक बार फिर सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए शीर्ष भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेताओं की मुलाकात होने वाली है.

चीनी सैनिक तीन महीनों से इन क्षेत्रों में डेरा जमाए हुए हैं और उन्होंने बंकरों के साथ अपने ठिकानों को भी मजबूत करना शुरू कर दिया है.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेताओं के साथ शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चल रही स्थिति से निपटने के लिए रणनीति पर चर्चा करेगा.

नेताओं से उम्मीद की जाती है कि चीन के साथ जिस तरह से लगभग तीन महीने तक डिप्संग मैदानी, फिंगर क्षेत्र और गोगरा में भारतीय बलों के साथ गतिरोध का सामना करना पड़ा है, उस स्थिति से निपटने के लिए नेताओं से चर्चा की जाएगी.

भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच दौलत बेग ओल्डी में आखिरी बैठक के लगभग एक सप्ताह बाद वरिष्ठ नेतृत्व की बैठक हो रही है. वार्ता के दौरान, भारतीय पक्ष ने चीन से पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 में भारतीय गश्ती दल के लिए बाधा उत्पन्न न करने के लिए कहा था.

चीनी मांग करते रहे हैं कि भारत को डीबीओ और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से हटना चाहिए, लेकिन भारत का स्पष्ट कहना है कि भारत ने अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य किया है.

चीन ने डीबीओ सेक्टर के विपरीत लंबी दूरी के तोपखाने और बख्तरबंद वाहनों के साथ-साथ भारी सैनिकों को तैनात किया है. भारत ने भी चीन को जवाब देने के लिए तदनुसार निर्माण लिया है.

रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि अप्रैल-मई की अवधि के बाद से चीनी एलएसी पर आक्रमक रवैया दिखा रहे हैं. उन्होंने चीनी टुकड़ी को भारतीय क्षेत्रों में कुंगरंग नाला, गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों से स्थानांतरित कर दिया है.

15 जून को गलवान घाटी में पीपी -14 के पास भारतीय सेना का चीनी सैनिकों से आमना-सामना हुआ, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.

17 जुलाई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता (चीन के साथ) चल रही है, इसे हल किया जाना चाहिए. लेकिन इसे किस हद तक हल किया जा सकता है, इसकी गारंटी नहीं दे सकता. आप जानते हैं कि दुनिया की कोई भी शक्ति भारतीय क्षेत्र का एक इंच भी स्पर्श या कब्जा नहीं कर सकती है.

चीनियों ने फिंगर क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है और कह रहे हैं कि वे फिंगर 5 के आस-पास 30 से अधिक सैनिकों के साथ एक पोस्ट बनाए रखेंगे. वहीं भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि चीनी को सभी टकराव वाले बिंदुओं से पूरी तरह से अलग होना चाहिए.

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