नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014-2019) में विधेयक निचली सदन से पास हो जाता था, लेकिन ऊपरी सदन में आकर अधर में पड़ जाता था. फिलहाल एनडीए सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में आक्रामक तरीके से अपने कोर एजेंडा के विधेयको को संसद के दोनों सदन से लगातार पास करा रही है.
इस क्रम में शीतकालीन सत्र में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में लोकसभा में जनता दल (यू), शिवसेना और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने की वजह से ही सरकार को यह बिल पारित कराने में दिक्कत नहीं हुई. लोकसभा में इस बिल के समर्थन में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट डाले गए. हालांकि भाजपा इस बात को लेकर आत्मविश्वास से भरी है कि राज्यसभा से भी यह बिल पारित हो जाएगा.
इस मसले पर ईटीवी भारत से पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, 'हमें विश्वास है कि राज्यसभा से भी यह विधेयक पास हो जाएगा और पूर्वोतर राज्यों में अभी नहीं लागू होगा.'
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल से सांसद ममता बनर्जी ने चुनौती दी है कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू नहीं किया जाएगा. इस पर सरकार ने कहा कि देश संविधान और कानून से चल रहा है. ममता बनर्जी कानून नहीं बना रही हैं. CAB लागू होने के बाद जो घुसपैठिया है, वह यहां से चला जाएगा, जोकि उनका वोटर है, वह कम हो जाएगा.
राज्यसभा में सत्तादल के साथ नंबरगेम
अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो राज्यसभा में भी इस बिल को पास कराने में सरकार को बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, परंतु लोकसभा में पारित होने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) में दो फाड़ नजर आ रहा है. शिवसेना का भी पक्ष अब तक सपष्ट नहीं है. शिवसेना का कहना है कि राज्यसभा में ही इस बिल पर स्पष्टता चाहिए. इस विषय पर भाजपा खेमे में चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं.
नागरिकता संशोधन बिल पर लोकसभा में जिन दलों ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया, अगर उसे आधार बनाकर देखा जाए तो राज्यसभा में कुल संख्या 122 होगी. इनमें से बीजेपी के 83, अकाली दल के 3, एआईएडीएमके के 11, शिवसेना के 3, बीजेडी के 7, वाईएसआर कांग्रेस के 2, एजीपी के 1, बीपीएफ के 1,आरपीआई के 1, एलजेपी के 1, एनपीएफ के 1, एसडीएफ के 1, नॉमिनेटेड 3 सदस्य, निर्दलीय एवं अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 122 सांसद है.
इसे भी पढ़ें- सुलग रहा पूर्वोत्तर, दिल्ली व अन्य राज्यों में भी फूट रही गुस्से की चिंगारी
विपक्ष भी अधिक कमजोर नहीं
वहीं विपक्ष की बात करें तो उसके पास सदस्यों की संख्या नागरिकता संशोधन बिल पर कांग्रेस सहित अन्य दलों को मिलाकर कुल 100 है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो सत्तापक्ष की स्थिति मजबूत नजर आ रही है और यही वजह भी है कि भाजपा और केंद्र सरकार दोनों ही आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही हैं.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के अलावा भी राज्यसभा में 19 और सदस्य हैं, जिन पर काफी कुछ निर्भर करेगा, जिनमें बॉर्डरलाइन पीपल्स पार्टी, एमडीएमके और पीएमके के एक-एक सदस्य शामिल हैं.
इन दलों का रुख राज्यसभा में इस बिल के पेश होने के बाद ही पता चल पाएगा, मगर अंदरखाने भाजपा नेता इन तमाम छोटे दलों से संपर्क साध चुके हैं. अब देखना यह है कि राज्यसभा में इस बिल के आने के बाद सरकार और भाजपा की मेहनत कितनी रंग लाती है.