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क्यों संविधान की मूल प्रति को गैस चेम्बर में रखा गया है, जानें...

हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को भारत की संसद की लाइब्रेरी में विशेष हीलियम से भरे केस में रखा गया है, ताकि लम्बे समय तक सुरक्षित रहे.

संविधान की मूल प्रति को एक गैस चेम्बर में क्यों रखा गया है?
संविधान की मूल प्रति को एक गैस चेम्बर में क्यों रखा गया है?
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Published : Jan 26, 2021, 8:24 AM IST

रायपुर : संविधान की मूल प्रति को पहले फलालेन के कपड़े में लपेटकर एक नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था. साल 1994 में अमेरिका की तरह भारत ने भी संविधान की मूल प्रति को गैस चेंबर में रखने का फैसला किया. भारत की 'नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी' और अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट के बीच करार के बाद भारत में भी इसी तरह का एक गैस चेंबर बनाया गया. संसद भवन के पुस्तकालय में वैज्ञानिक विधि से तैयार गैस चेम्बर में संविधान को सुरक्षित रखा गया है.

संविधान की मूल प्रति गैस चेम्बर में क्यों रखी गयी है?
भारतीय संविधान को काली स्याही से लिखा गया है. स्याही आसानी से उड़ जाती है यानी ऑक्सीडाइज हो जाती है. इसे बचाने के लिए ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आसपास रखने की जरूरत थी. इसलिए भारतीय संविधान के लिए एयरटाइट चेंबर बनाया गया.

संविधान की मूल प्रति को एक गैस चेम्बर में क्यों रखा गया है?

कड़ी निगरानी
गैस चेंबर में ह्युमिडिटी बनाए रखने के लिए मॉनिटर लगाए गए हैं. हर साल चेंबर की गैस खाली की जाती है. इस चेम्बर की हर 2 महीने में चेकिंग भी की जाती है. CCTV से इस पर लगातार निगरानी रहती है.

पढ़ें : 72वें गणतंत्र दिवस पर आज राजपथ पर दिखेगी देश की ताकत, पीएम ने राष्ट्र को दी शुभकामनाएं

संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखी गई

  • 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने देश के संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया था. इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखी गई है. इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट नहीं है.
  • मेरठ कॉलेज की लाइब्रेरी में अंग्रेजी में लिखी गई मूल प्रति की फोटो कॉपी रखी गई है. जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था. रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षर में लिखा है. संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे, लेकिन उसे लिखने में 6 महीने लगे.
    why-is-the-original-copy-of-the-constitution-kept-in-a-gas-chamber
    भारत का संविधान

संविधान लिखने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया
संविधान लिखने के लिए रायजादा ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था. हर पेज पर नाम लिखने की शर्त रखी थी, जो सभी पेजों पर दिखता है. हाथ से लिखे संविधान के हर पन्ने पर प्रेम लिखा है.

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भारत का संविधान

मूल प्रति में कई दुर्लभ तस्वीरें
संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति में कई दुर्लभ तस्वीरें हैं. फंडामेंटल राइट के तृतीय भाग में राम, सीता और लक्षमण की तस्वीर है. अर्जुन को उपदेश देते भगवान श्रीकृष्ण की भी तस्वीर है. महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, टीपू सुल्तान, लक्ष्मीबाई की भी तस्वीर है. फंडामेन्टल राइट तृतीय भाग राम-लक्ष्मण, सीता जी की तस्वीर से शुरू होता है. भारतीय संविधान की मूल प्रति में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के भी हस्ताक्षर मौजूद हैं.

रायपुर : संविधान की मूल प्रति को पहले फलालेन के कपड़े में लपेटकर एक नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था. साल 1994 में अमेरिका की तरह भारत ने भी संविधान की मूल प्रति को गैस चेंबर में रखने का फैसला किया. भारत की 'नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी' और अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट के बीच करार के बाद भारत में भी इसी तरह का एक गैस चेंबर बनाया गया. संसद भवन के पुस्तकालय में वैज्ञानिक विधि से तैयार गैस चेम्बर में संविधान को सुरक्षित रखा गया है.

संविधान की मूल प्रति गैस चेम्बर में क्यों रखी गयी है?
भारतीय संविधान को काली स्याही से लिखा गया है. स्याही आसानी से उड़ जाती है यानी ऑक्सीडाइज हो जाती है. इसे बचाने के लिए ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आसपास रखने की जरूरत थी. इसलिए भारतीय संविधान के लिए एयरटाइट चेंबर बनाया गया.

संविधान की मूल प्रति को एक गैस चेम्बर में क्यों रखा गया है?

कड़ी निगरानी
गैस चेंबर में ह्युमिडिटी बनाए रखने के लिए मॉनिटर लगाए गए हैं. हर साल चेंबर की गैस खाली की जाती है. इस चेम्बर की हर 2 महीने में चेकिंग भी की जाती है. CCTV से इस पर लगातार निगरानी रहती है.

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संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखी गई

  • 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने देश के संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया था. इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखी गई है. इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट नहीं है.
  • मेरठ कॉलेज की लाइब्रेरी में अंग्रेजी में लिखी गई मूल प्रति की फोटो कॉपी रखी गई है. जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था. रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षर में लिखा है. संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे, लेकिन उसे लिखने में 6 महीने लगे.
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    भारत का संविधान

संविधान लिखने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया
संविधान लिखने के लिए रायजादा ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था. हर पेज पर नाम लिखने की शर्त रखी थी, जो सभी पेजों पर दिखता है. हाथ से लिखे संविधान के हर पन्ने पर प्रेम लिखा है.

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भारत का संविधान

मूल प्रति में कई दुर्लभ तस्वीरें
संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति में कई दुर्लभ तस्वीरें हैं. फंडामेंटल राइट के तृतीय भाग में राम, सीता और लक्षमण की तस्वीर है. अर्जुन को उपदेश देते भगवान श्रीकृष्ण की भी तस्वीर है. महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, टीपू सुल्तान, लक्ष्मीबाई की भी तस्वीर है. फंडामेन्टल राइट तृतीय भाग राम-लक्ष्मण, सीता जी की तस्वीर से शुरू होता है. भारतीय संविधान की मूल प्रति में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के भी हस्ताक्षर मौजूद हैं.

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