नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद 15 फरवरी को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. जिसमें एक सप्ताह से भी कम समय बचा है. कांग्रेस को ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता के रूप में अपना प्रतिस्थापन खोजने के लिए एक नई चुनौती का इंतजार है.
मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम सहित विभिन्न लोगों के नामों की चर्चा चल रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को अनुभव वाले व्यक्ति की तलाश है और जो राज्यसभा में विपक्ष की आवाज बुलंद कर सके. तकनीकी रूप से आनंद शर्मा को पद दिया जाना चाहिए. जो कि वर्तमान में राज्यसभा में डिप्टी एलओपी हैं. पिछले छह वर्षों से अन्य विपक्षी दलों के साथ समन्वय में सक्रिय रूप से शामिल हैं. हालांकि शर्मा उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक फेरबदल की मांग की थी. जो नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनके के चयन में रोड़ा बन सकता है.
दोनों सदनों में क्षेत्रीय संतुलन की आवश्यकता को देखते हुए दिग्विजय सिंह इस पद के लिए एक और विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि वह हिंदी हार्टलैंड के हैं. जबकि लोकसभा में एलओपी अधीर रंजन चौधरी और उनके डिप्टी गौरव गोगोई दोनों हिंदी राज्य से नहीं हैं. हालांकि वरिष्ठता के संदर्भ में पी चिदंबरम का समान दावा है.
हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम काफी समय से सबसे आगे है क्योंकि वह विपक्ष के बीच एक भरोसेमंद नेता हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. खड़गे एक प्रमुख दलित नेता भी हैं. इसलिए उन्हें संसद में उच्च पद देने से पार्टी को लाभ मिल सकता है. यह भी कहा गया है कि आजाद के कार्यकाल की समाप्ति पर विचार करते हुए खड़गे को राज्यसभा में लाया जा रहा था.
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इस बीच केरल से तीन राज्यसभा सीटें भी अप्रैल में खाली होने जा रही हैं. जिनमें से एक कांग्रेस के पास है. उम्मीद है कि आजाद उस राज्य से चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन ऊपरी सदन में फिर से प्रवेश करने की उसकी संभावना बहुत मंद प्रतीत होती है.