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सीएए के खिलाफ पश्चिम बंगाल विधानसभा ने पारित किया प्रस्ताव

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Published : Jan 27, 2020, 4:54 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 4:03 AM IST

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. इसके साथ ही केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल चौथा राज्य बन गया है, जिसने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया और ऐसा करने वाला वह चौथा गैर-भाजपा शासित राज्य बन गया.

पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान और मानवता के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि इस कानून को तत्काल निरस्त किया जाए. हम एनपीआर को भी निरस्त कराना चाहते हैं.'

इस बीच प्रस्ताव का विपक्षी दलों- कांग्रेस और माकपा नीत वाम मोर्चा दोनों ने समर्थन किया, लेकिन भाजपा ने विरोध किया.

पिछले कुछ सप्ताहों में केरल, राजस्थान और पंजाब ने नये नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं.

यह केंद्रीय कानून है, इसे सभी राज्यों को लागू करना होगा : राजनाथ सिंह
दूसरी तरफ सीएए पर विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के रुख पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रत्येक राज्य को कानून लागू करना होगा क्योंकि यह केंद्रीय कानून है

सीएए के खिलाफ औपचारिक प्रस्ताव अपनाने वाले राज्यों की बढ़ती संख्या से प्रभावित हुए बिना राजनाथ ने कहा कि यह कानून किसी धर्म की भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वालों को राहत देने के लिए है.

सिंह ने मंगलुरू में एक रैली में कहा कि संशोधित नागरिकता कानून एक केंद्रीय कानून है और सभी (राज्यों) को उसका पालन करना चाहिए.

वहीं, कांग्रेस पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी को अपने विपक्ष धर्म के लिए अपना राष्ट्रधर्म नहीं भूलना चाहिए.

पढ़ें- सीएए विरोध : कांग्रेस ने मानवाधिकार आयोग में यूपी पुलिस की शिकायत की

उन्होंने कहा, 'कुछ विपक्षी दल विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित कर रहे हैं कि उनके राज्य नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं करेंगे. मैं उनसे अपील करना चाहता हूं कि इस तरह की चीजें नहीं करें. यह एक संवैधानिक भूल है. इस तरह की चूक मत कीजिए.'

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया और ऐसा करने वाला वह चौथा गैर-भाजपा शासित राज्य बन गया.

पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान और मानवता के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि इस कानून को तत्काल निरस्त किया जाए. हम एनपीआर को भी निरस्त कराना चाहते हैं.'

इस बीच प्रस्ताव का विपक्षी दलों- कांग्रेस और माकपा नीत वाम मोर्चा दोनों ने समर्थन किया, लेकिन भाजपा ने विरोध किया.

पिछले कुछ सप्ताहों में केरल, राजस्थान और पंजाब ने नये नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं.

यह केंद्रीय कानून है, इसे सभी राज्यों को लागू करना होगा : राजनाथ सिंह
दूसरी तरफ सीएए पर विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के रुख पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रत्येक राज्य को कानून लागू करना होगा क्योंकि यह केंद्रीय कानून है

सीएए के खिलाफ औपचारिक प्रस्ताव अपनाने वाले राज्यों की बढ़ती संख्या से प्रभावित हुए बिना राजनाथ ने कहा कि यह कानून किसी धर्म की भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वालों को राहत देने के लिए है.

सिंह ने मंगलुरू में एक रैली में कहा कि संशोधित नागरिकता कानून एक केंद्रीय कानून है और सभी (राज्यों) को उसका पालन करना चाहिए.

वहीं, कांग्रेस पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी को अपने विपक्ष धर्म के लिए अपना राष्ट्रधर्म नहीं भूलना चाहिए.

पढ़ें- सीएए विरोध : कांग्रेस ने मानवाधिकार आयोग में यूपी पुलिस की शिकायत की

उन्होंने कहा, 'कुछ विपक्षी दल विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित कर रहे हैं कि उनके राज्य नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं करेंगे. मैं उनसे अपील करना चाहता हूं कि इस तरह की चीजें नहीं करें. यह एक संवैधानिक भूल है. इस तरह की चूक मत कीजिए.'

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Last Updated : Feb 28, 2020, 4:03 AM IST
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