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विश्व जलवायु विज्ञान में खो रहा विश्वास, भारतीयों को सर्वाधिक विश्वास: डब्ल्यूईएफ सर्वेक्षण

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Published : Jan 21, 2020, 11:57 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 10:46 PM IST

ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए विश्वभर में जहां मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, वहीं एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीयों का विश्वास जलवायु विज्ञान पर सबसे ज्यादा है. पढ़ें विस्तारपूर्वक...

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विश्व जलवायु विज्ञान पर भारतीयों को सर्वाधिक विश्वास

दावोस : दुनियाभर में लोग वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिंग) को लेकर मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और जलवायु विज्ञान में उनके विश्वास का स्तर घट रहा है, लेकिन भारतीयों का विश्वास जलवायु विज्ञान पर सबसे ज्यादा है.

यह बात मंगलवार को एक नए सर्वेक्षण में सामने आई.

जलवायु विज्ञान में विश्वास और समाचार तथा समकालिक घटनाओं से अवगत रहने के मामलों में भारतीय और बांग्लादेशी सबसे ऊपर हैं, जबकि रूस और यूक्रेन इन दोनों ही मामलों में काफी पीछे हैं.

यह सर्वेक्षण विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक के दौरान प्रकाशित किया है. इसने साथ ही बेहतर जलवायु शिक्षा का आह्वान किया है.

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विश्व जलवायु विज्ञान की सर्वेक्षण रिपोर्ट

सर्वेक्षण में कहा गया है कि दुनियाभर में लोग ग्लोबल वार्मिंग के लिए मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराते हैं और 2020 में कई क्षेत्रों में लोगों का जलवायु विज्ञान पर विश्वास कम हुआ है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि सर्वेक्षण में सामने आई बातें समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए कारोबार, सरकार और नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोगों से सामूहिक रुख की तात्कालिक आवश्यकता का आह्वान करती हैं.

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि विश्व में ज्यादातर लोग मानते हैं कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर शिक्षा को अब भी आधी या कम आबादी के लिए विशेषाधिकार के रूप में देखा जाता है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि विश्व को तत्काल ऐसी नीतियां और रणनीतियां क्रियान्वित करने की आवश्यकता है जो समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडा को आगे बढ़ाएं.

पढ़ें : UN की जलवायु परिवर्तन वार्ता अधर में, देशों के बीच गतिरोध कायम

यह सर्वेक्षण एसएपी और क्वालट्रिक्स के साथ मिलकर किया गया. इसमें वैश्विक आबादी की लगभग 76 प्रतिशत आबादी वाले 30 देशों के 10,500 से अधिक लोगों को शामिल किया गया.

अध्ययन परिणाम दो भागों- 'अधिक सतत विश्व की ओर' तथा 'अधिक समन्वित विश्व की ओर' में बांटा गया जो इस साल की वार्षिक बैठक का थीम है.

'अधिक सतत विश्व की ओर' खंड में पाया गया कि इसमें शामिल आधे से अधिक लोग जलवायु विज्ञान में विश्वास करते हैं. इसमें भारत शीर्ष पर रहा. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों में से 86 प्रतिशत ने कहा कि वे वैज्ञानिकों पर काफी विश्वास करते हैं.

भारत के बाद बांग्लादेश (78 प्रतिशत) और पाकिस्तान (70 प्रतिशत) का स्थान रहा. शीर्ष पांच में चीन और तुर्की भी शामिल रहे. सर्वेक्षण में शामिल इन दोनों देशों के 69-69 प्रतिशत लोगों ने जलवायु विज्ञान पर भरोसा व्यक्त किया.

सर्वेक्षण में शामिल उत्तरी अमेरिका के लोगों के लगभग पांचवें हिस्से ने जलवायु विज्ञान पर 'कम' भरोसा जताया या बिलकुल भरोसा नहीं जताया. इनमें 12 प्रतिशत ने कम भरोसा व्यक्त किया और छह प्रतिशत ने बिलकुल भी भरोसा नहीं जताया. वहीं, दक्षिण एशिया से चार प्रतिशत लोगों ने कम भरोसा जताया और दो प्रतिशत ने कोई भरोसा नहीं जताया.

वहीं, सर्वेक्षण के 'अधिक समन्वित विश्व' खंड में अधिकतर लोगों ने कहा कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर 'अच्छी शिक्षा' आधी या कम आबादी का विशेषाधिकार है.

दावोस : दुनियाभर में लोग वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिंग) को लेकर मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और जलवायु विज्ञान में उनके विश्वास का स्तर घट रहा है, लेकिन भारतीयों का विश्वास जलवायु विज्ञान पर सबसे ज्यादा है.

यह बात मंगलवार को एक नए सर्वेक्षण में सामने आई.

जलवायु विज्ञान में विश्वास और समाचार तथा समकालिक घटनाओं से अवगत रहने के मामलों में भारतीय और बांग्लादेशी सबसे ऊपर हैं, जबकि रूस और यूक्रेन इन दोनों ही मामलों में काफी पीछे हैं.

यह सर्वेक्षण विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक के दौरान प्रकाशित किया है. इसने साथ ही बेहतर जलवायु शिक्षा का आह्वान किया है.

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विश्व जलवायु विज्ञान की सर्वेक्षण रिपोर्ट

सर्वेक्षण में कहा गया है कि दुनियाभर में लोग ग्लोबल वार्मिंग के लिए मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराते हैं और 2020 में कई क्षेत्रों में लोगों का जलवायु विज्ञान पर विश्वास कम हुआ है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि सर्वेक्षण में सामने आई बातें समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए कारोबार, सरकार और नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोगों से सामूहिक रुख की तात्कालिक आवश्यकता का आह्वान करती हैं.

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि विश्व में ज्यादातर लोग मानते हैं कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर शिक्षा को अब भी आधी या कम आबादी के लिए विशेषाधिकार के रूप में देखा जाता है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि विश्व को तत्काल ऐसी नीतियां और रणनीतियां क्रियान्वित करने की आवश्यकता है जो समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडा को आगे बढ़ाएं.

पढ़ें : UN की जलवायु परिवर्तन वार्ता अधर में, देशों के बीच गतिरोध कायम

यह सर्वेक्षण एसएपी और क्वालट्रिक्स के साथ मिलकर किया गया. इसमें वैश्विक आबादी की लगभग 76 प्रतिशत आबादी वाले 30 देशों के 10,500 से अधिक लोगों को शामिल किया गया.

अध्ययन परिणाम दो भागों- 'अधिक सतत विश्व की ओर' तथा 'अधिक समन्वित विश्व की ओर' में बांटा गया जो इस साल की वार्षिक बैठक का थीम है.

'अधिक सतत विश्व की ओर' खंड में पाया गया कि इसमें शामिल आधे से अधिक लोग जलवायु विज्ञान में विश्वास करते हैं. इसमें भारत शीर्ष पर रहा. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों में से 86 प्रतिशत ने कहा कि वे वैज्ञानिकों पर काफी विश्वास करते हैं.

भारत के बाद बांग्लादेश (78 प्रतिशत) और पाकिस्तान (70 प्रतिशत) का स्थान रहा. शीर्ष पांच में चीन और तुर्की भी शामिल रहे. सर्वेक्षण में शामिल इन दोनों देशों के 69-69 प्रतिशत लोगों ने जलवायु विज्ञान पर भरोसा व्यक्त किया.

सर्वेक्षण में शामिल उत्तरी अमेरिका के लोगों के लगभग पांचवें हिस्से ने जलवायु विज्ञान पर 'कम' भरोसा जताया या बिलकुल भरोसा नहीं जताया. इनमें 12 प्रतिशत ने कम भरोसा व्यक्त किया और छह प्रतिशत ने बिलकुल भी भरोसा नहीं जताया. वहीं, दक्षिण एशिया से चार प्रतिशत लोगों ने कम भरोसा जताया और दो प्रतिशत ने कोई भरोसा नहीं जताया.

वहीं, सर्वेक्षण के 'अधिक समन्वित विश्व' खंड में अधिकतर लोगों ने कहा कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर 'अच्छी शिक्षा' आधी या कम आबादी का विशेषाधिकार है.

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विश्व जलवायु विज्ञान में खो रहा विश्वास, भारतीयों को सर्वाधिक विश्वास: डब्ल्यूईएफ सर्वेक्षण

दावोस, 21 जनवरी (भाषा) दुनियाभर में लोग वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिंग) को लेकर मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और जलवायु विज्ञान में उनके विश्वास का स्तर घट रहा है, लेकिन भारतीयों का विश्वास जलवायु विज्ञान पर सबसे ज्यादा है.



यह बात मंगलवार को एक नए सर्वेक्षण में सामने आई.



जलवायु विज्ञान में विश्वास और समाचार तथा समकालिक घटनाओं से अवगत रहने के मामलों में भारतीय और बांग्लादेशी सबसे ऊपर हैं, जबकि रूस और यूक्रेन इन दोनों ही मामलों में काफी पीछे हैं.



यह सर्वेक्षण विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक के दौरान प्रकाशित किया है. इसने साथ ही बेहतर जलवायु शिक्षा का आह्वान किया है.



सर्वेक्षण में कहा गया है कि दुनियाभर में लोग ग्लोबल वार्मिंग के लिए मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराते हैं और 2020 में कई क्षेत्रों में लोगों का जलवायु विज्ञान पर विश्वास कम हुआ है.



डब्ल्यूईएफ ने कहा कि सर्वेक्षण में सामने आई बातें समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए कारोबार, सरकार और नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोगों से सामूहिक रुख की तात्कालिक आवश्यकता का आह्वान करती हैं.



सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि विश्व में ज्यादातर लोग मानते हैं कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर शिक्षा को अब भी आधी या कम आबादी के लिए विशेषाधिकार के रूप में देखा जाता है.



डब्ल्यूईएफ ने कहा कि विश्व को तत्काल ऐसी नीतियां और रणनीतियां क्रियान्वित करने की आवश्यकता है जो समाज और पर्यावरण से जुड़े एजेंडा को आगे बढ़ाएं.



यह सर्वेक्षण एसएपी और क्वालट्रिक्स के साथ मिलकर किया गया. इसमें वैश्विक आबादी की लगभग 76 प्रतिशत आबादी वाले 30 देशों के 10,500 से अधिक लोगों को शामिल किया गया.



अध्ययन परिणाम दो भागों- 'अधिक सतत विश्व की ओर' तथा 'अधिक समन्वित विश्व की ओर' में बांटा गया जो इस साल की वार्षिक बैठक का थीम है.



'अधिक सतत विश्व की ओर' खंड में पाया गया कि इसमें शामिल आधे से अधिक लोग जलवायु विज्ञान में विश्वास करते हैं. इसमें भारत शीर्ष पर रहा. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों में से 86 प्रतिशत ने कहा कि वे वैज्ञानिकों पर काफी विश्वास करते हैं.



भारत के बाद बांग्लादेश (78 प्रतिशत) और पाकिस्तान (70 प्रतिशत) का स्थान रहा. शीर्ष पांच में चीन और तुर्की भी शामिल रहे. सर्वेक्षण में शामिल इन दोनों देशों के 69-69 प्रतिशत लोगों ने जलवायु विज्ञान पर भरोसा व्यक्त किया.



सर्वेक्षण में शामिल उत्तरी अमेरिका के लोगों के लगभग पांचवें हिस्से ने जलवायु विज्ञान पर 'कम' भरोसा जताया या बिलकुल भरोसा नहीं जताया. इनमें 12 प्रतिशत ने कम भरोसा व्यक्त किया और छह प्रतिशत ने बिलकुल भी भरोसा नहीं जताया. वहीं, दक्षिण एशिया से चार प्रतिशत लोगों ने कम भरोसा जताया और दो प्रतिशत ने कोई भरोसा नहीं जताया.



वहीं, सर्वेक्षण के 'अधिक समन्वित विश्व' खंड में अधिकतर लोगों ने कहा कि अमेरिका और दक्षिण एशिया से बाहर 'अच्छी शिक्षा' आधी या कम आबादी का विशेषाधिकार है.


Conclusion:
Last Updated : Feb 17, 2020, 10:46 PM IST
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