नई दिल्ली : संसद में आज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में मौजूदा उर्दू और अंग्रेजी के अलावा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को शामिल करने के लिए एक विधेयक पारित किया गया. जम्मू और कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020 ध्वनिमत से राज्य सभा में पारित हुआ. लोक सभा ने मंगलवार को ही विधेयक को मंजूरी दे दी थी. राज्य सभा में विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विधेयक में पंजाबी भाषा को शामिल नहीं किया गया. उन्होंने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. नरेश गुजराल ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 13 लाख पंजाबी रहते हैं.
कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री मेहर चंद महाजन भी पंजाबी थे
सदन की कार्यवाही के बाद मीडिया से बात करते हुए गुजराल ने कहा कि मैंने पंजाबी को जम्मू और कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020 में शामिल करने का मुद्दा उठाया. पंजाबी को पहले जम्मू और कश्मीर की आधिकारिक भाषा में शामिल किया गया था. जम्मू और कश्मीर महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का हिस्सा था. कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री मेहर चंद महाजन भी पंजाबी थे.
हम इस मुद्दे को संसद के अगले सत्र में उठाएंगे. मैं इस मामले पर पंजाब और जम्मू-कश्मीर के अन्य दलों के सांसदों से बात करने की कोशिश करूंगा. हम गृह मंत्री से मिलेंगे और संशोधन के लिए अनुरोध करेंगे. इस मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में 25 विधेयक पारित किए गए और 7 विधेयक पेश किए गए.