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बायो एनर्जी समिट 2019 में गन्ना उद्योग की परेशानियों पर नितिन गडकरी ने कहा... - gadkari on sugarcane farmer

बायो एनर्जी समिट 2019 में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक ऐसा मॉडल तैयार करके दें ताकि उन्हें चीनी मिलों में 5 से 7 एकड़ का प्लांट लगाया जा सके जिसमें इथेनॉल का उत्पादन भी हो जाएं.

बायो एनर्जी समिट में बोलते नितिन गडकरी
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Published : Sep 23, 2019, 11:47 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 6:54 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार के बायो एनर्जी समिट 2019 में गन्ना उद्योग में हो रही परेशानी पर बोलते हुए कहा कि देश में 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां यदि गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है.

नितिन गडकरी ने कहा की देश के ज्यादातर चीनी मिलें बंद पड़े हैं. उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) से अनुरोध करते हुए कहा की वह एक ऐसा मॉडल तैयार करें, जिससे उन्हें चीनी मिलों में 5 से 7 एकड़ का प्लांट लगाया जा सके. जिसमें इथेनॉल का उत्पादन भी हो जाएं.

बायो एनर्जी समिट में बोलते नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि इसके लिए केएफडब्ल्यू जैसे मल्टीलेटरल बैंक के साथ एग्रीमेंट भी हो चुका है, जो की हरित ऊर्जा के लिए फंड प्रदान करा सके.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीनी के माध्यम से इथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश बिहार महाराष्ट्र पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेगा.

पढ़ें- महाराष्ट्र : स्कूल के शिक्षक और छात्रों के माता-पिता ने नदी पर बनाया पुल

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा, 'आपको पता नहीं है कि हमें चीनी कितनी कड़वी लगती है. चीनी ने हमारा ब्लड प्रेशर कितना बढ़ाया.180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है.'

नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि इथेनॉल अर्थव्यवस्था में इतनी क्षमता है कि यह 1 लाख करोड़ रुपये से 25 हज़ार करोड़ रूपये तक पहुंच सकती है और सालाना 7 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल का उत्पादन कम हो सकता है.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार के बायो एनर्जी समिट 2019 में गन्ना उद्योग में हो रही परेशानी पर बोलते हुए कहा कि देश में 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां यदि गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है.

नितिन गडकरी ने कहा की देश के ज्यादातर चीनी मिलें बंद पड़े हैं. उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) से अनुरोध करते हुए कहा की वह एक ऐसा मॉडल तैयार करें, जिससे उन्हें चीनी मिलों में 5 से 7 एकड़ का प्लांट लगाया जा सके. जिसमें इथेनॉल का उत्पादन भी हो जाएं.

बायो एनर्जी समिट में बोलते नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि इसके लिए केएफडब्ल्यू जैसे मल्टीलेटरल बैंक के साथ एग्रीमेंट भी हो चुका है, जो की हरित ऊर्जा के लिए फंड प्रदान करा सके.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीनी के माध्यम से इथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश बिहार महाराष्ट्र पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेगा.

पढ़ें- महाराष्ट्र : स्कूल के शिक्षक और छात्रों के माता-पिता ने नदी पर बनाया पुल

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा, 'आपको पता नहीं है कि हमें चीनी कितनी कड़वी लगती है. चीनी ने हमारा ब्लड प्रेशर कितना बढ़ाया.180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है.'

नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि इथेनॉल अर्थव्यवस्था में इतनी क्षमता है कि यह 1 लाख करोड़ रुपये से 25 हज़ार करोड़ रूपये तक पहुंच सकती है और सालाना 7 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल का उत्पादन कम हो सकता है.

Intro:नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज बायो एनर्जी समिट 2019 में गन्ना उद्योग में हो रही परेशानी पर बोलते हुए कहा कि देश में 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां यदि गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है।

नितिन गडकरी ने कहा की देश के ज्यादातर चीनी मिलें बंद पड़ी हैं। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) से अनुरोध करते हुए कहा की वे एक ऐसा मॉडल तैयार करके दें ताकि उन्हें चीनी मिलों में 5 से 7 एकड़ का प्लांट लगाया जा सके जिसमें इथेनॉल का उत्पादन भी हो जाएं।

गडकरी ने कहा कि इसके लिए केएफडब्ल्यू जैसे मल्टीलेटरल बैंक के साथ एग्रीमेंट भी हो चुका है जो की हरित ऊर्जा के लिए फंड प्रदान करा सके।


Body:केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीनी के माध्यम से इथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश बिहार महाराष्ट्र पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेगा।

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा, " आपको पता नहीं है कि हमें चीनी कितनी कड़वी लगती है। चीनी ने हमारा ब्लड प्रेशर कितना बढ़ाया। 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां गन्ने के पैसे नहीं मिले तो हमारा जीतना मुश्किल है।"




Conclusion:नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि इथेनॉल अर्थव्यवस्था में इतनी क्षमता है कि यह 1 लाख करोड़ रुपये से 25 हज़ार करोड़ रूपये तक पहुंच सकती है और सालाना 7 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल का उत्पादन कम हो सकता है।
Last Updated : Oct 1, 2019, 6:54 PM IST
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