नई दिल्ली : केंद्रीय जल संसाधन सचिव यूपी सिंह ने शुक्रवार को पारिस्थितिकी तंत्र (ईको सिस्टम) के सतत और समग्र विकास के लिए नदी बिजली परियोजनाओं को चलाने पर जोर दिया.
सिंह ने भारत में कई विद्युत परियोजना के ईको सिस्टम में बाधा उत्पन्न होने की आशंका व्यक्त करते हुए कहा, 'विद्युत परियोजना आवश्यक है लेकिन परियोजनाओं के आसपास के क्षेत्रों का सतत विकास होना चाहिए.'
दरअसल सिंह द्वारा दिए गए बयान का महत्व है क्योंकि भारत में बिजली परियोजनाओं से सटे कई क्षेत्र पानी की कमी के कारण पीड़ित हैं.
जल संसाधन सचिव ने अलकनंदा नदी बिजली परियोजनाओं का भी जिक्र किया. वास्तव में, अलकनंदा नदी पर पनबिजली परियोजनाओं ने कई गांवों में पानी की कमी पैदा कर दी है, क्योंकि जलविद्युत परियोजनाओं के लिए बांधों के निर्माण ने नदी को सूखा दिया है.
उल्लेखनीय है कि असम-अरुणाचल प्रदेश की सीमा राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (NHPC) की 2000 मेगावाट की लोअर पर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना पिछले कई वर्षों से कई संगठनों द्वारा बांध निर्माण के विरोध के कारण अटकी हुई है.
इसे भी पढ़ें- सावधान! साउथ दिल्ली के इन इलाकों में 2 दिन रहेगी पानी की किल्लत
केंद्रीय जल संसाधन सचिव स्वच्छ गंगा मिशन के तहत एक कार्यक्रम में उक्त बातें कर रहे थे.
स्वच्छ गंगा मिशन का उल्लेख करते हुए, सिंह ने कहा कि सरकार अपनी भूमिका निभा रही है, 'लेकिन गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों की जागरूकता और भागीदारी भी आवश्यक है.'
उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 7,000 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, 'लेकिन हमें ऐसा करने के लिए लोगों की जागरूकता की आवश्यकता है.'
प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. सुदीप्त सेन ने भी गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों की जागरूकता पर जोर दिया. सेन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से संबद्ध शिक्षाविद हैं.
सेन ने राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ गंगा मिशन की शुरुआत करने वाले लोगों से बात करते हुए कहा, 'इसे (गंगा को स्वच्छ बनाने) के लिए दो ठोस रणनीति की जरूरत है. सरकार है लेकिन लोगों को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए.