ETV Bharat / bharat

हरिद्वार कुंभ को यादगार बनाएंगी लोक कथाएं, दीवारों पर उकेरी गई 'संस्कृति' - culture associated with kumbh

हरिद्वार कुंभ को यादगार बनाने के लिए कोशिश की जा रही है. प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर अब हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भी उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा.

haridwar city
हरिद्वार कुंभ
author img

By

Published : Dec 1, 2020, 7:23 PM IST

हरिद्वार : कोरोना वायरस के चलते कुंभ मेले को लेकर भले ही संशय बरकरार हो, लेकिन मेला प्रशासन और नगर निगम अपनी तरफ से हरिद्वार को सुंदर बनाने में जुटा है. कुंभ से पहले हरिद्वार की दीवारें कुंभ की कहानी खुद बयां कर रही हैं. जनवरी महीने तक हरिद्वार के गंगा घाटों, हवेलियों, आश्रमों और अखाड़ों की दीवारें भगवान राम के वनवास से लेकर राजतिलक की कथा बताएंगी.

इस बार का हरिद्वार का कुंभ भले ही कोरोना वायरस के साये में संपन्न होगा, लेकिन कुछ तैयारियां इस बार बेहद अलग हैं. अगर, आपको हरिद्वार कुंभ में आने का मौका मिले, तो आप देखेंगे कि किस तरह से कलाकारों की मेहनत से धर्मनगरी 'बोल' उठी है.

haridwar city
दीवारों पर दिखेगा उत्तराखंड का इतिहास

हरिद्वार में आस्था की डुबकी
हरिद्वार मेला प्रशासन ने उन रास्तों पर खूबसूरत पेंटिंग्स की हैं, जहां से भक्त हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आएंगे. आप बस से आ रहे हों या रेल से, यहां आते ही आपको दीवारों पर की गई पेंटिंग्स से कुंभ मेले में आने वाले संतों, अखाड़ों और भगवान राम से जुड़ी सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानकारी मिलेगी.

haridwar city
धर्मनगरी की दीवारें कहेंगी कुंभ की कहानियां

पढ़ें: बीएसएफ का 56 वां स्थापना दिवस आज, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

भगवान श्री राम की लीलाओं का वर्णन
हरिद्वार की ये दीवारें न केवल दिन में सभी को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि रात को भी बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. हरिद्वार बस अड्डे के नजदीक आप केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन कर पाएंगे. इतना ही नहीं, जो लोग हाइवे से गुजरेंगे उन्हें भगवान राम की लीलाओं का वर्णन दिखाई देगा, जिसकी तैयारियों में प्रशासन जुटा हुआ है.

haridwar city
केदारनाथ मंदिर

संतों की महिमा का गुणगान करेगी चित्रकारी
हरिद्वार कुंभ मेला प्रशासन और नगर निगम हरिद्वार यह जानता है कि अत्याधुनिक समय में शुरू हो रहे इस कुंभ मेले में किस तरह से व्यवस्थाओं को बनाया जाए. उसके लिए तमाम जगहों पर अलग-अलग लेजर लाइटें और दूसरे आयोजनों की व्यवस्था ही जा रही है. इसके साथ ही संतों की महिमा बताने के लिए बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स भी बनवाई जा रही है.

haridwar city
दीवारों पर संस्कृति का गुणगान

हरिद्वार की दीवारों पर महिमामंडन
अगर, आप कुंभ क्षेत्र में घूमते हुए हरिद्वार के अलकनंदा घाट से हरिद्वार हरकी पैड़ी तक पैदल मार्ग तय करेंगे, तो आप देखेंगे कि लगभग दो किलोमीटर के दायरे में आपको हरिद्वार की दीवारें खुद ही संतों की कहानियां बयां करेंगी. हरिद्वार की 'बीइंग भगीरथ संस्था' को यह काम सौंपा गया है, जिसमें लगभग 25 युवा हरिद्वार की दीवारों को सजाने का काम कर रहे हैं. हरिद्वार की दीवारों पर संतों के जीवन में आए आधुनिकिकरण को भी बड़ी खूबसूरती से उकेरा गया है. पैदल चलने वाले संतों में जिस तरह से अब गाड़ी, साइकिल या दूसरे वाहनों का चलन बढ़ा है, उसको भी यहां पेंटिंग के माध्यम से दिखाया गया है.

haridwar city
हरिद्वार कुंभ को यादगार बनाने की रंगीन कोशिश

पढ़ें: शौक बड़ी चीज : इस शख्स के पास हैं अमिताभ और विनोद खन्ना के समय की गाड़ियां

सेल्फी प्वॉइंट्स भी तैयार
इसके साथ ही जूना अखाड़ा सहित निर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा के संतों का आने वाले श्रद्धालु न केवल फेस टू फेस दर्शन कर पाएंगे, बल्कि हरिद्वार के आश्रम, गंगा घाटों पर उनकी बनी अलौकिक कलाकृति के साथ सेल्फी भी ले सकेंगे. इसके लिए सेल्फी प्वॉइंट्स भी बनाये गए हैं.

haridwar city
दीवारों पर संस्कृति-इतिहास

पेंटिंग्स के जरिये बताई सभ्यता
नगर निगम ने इसके लिए बाकायदा इन युवाओं की टीम को ₹35 स्क्वायर फीट के हिसाब से रकम तय की है, जिसके बाद इन युवाओं की जिम्मेदारी है कि हरिद्वार की तमाम दीवारों, आश्रमों, होटलों और हाइवे पर भारतीय संस्कृति और कुंभ मेले की सभ्यता को पेंटिंग्स के जरिये समझाएं.

भगवान श्रीराम की लीलाओं के दर्शन
कुंभ मेले का पहला स्नान 14 जनवरी को होना है. लिहाजा, कम समय को देखते हुए युवाओं की एक टीम दिन-रात एक कर हरिद्वार को सजाने और संवारने का काम कर रही है. मतलब साफ है कि जब आप जनवरी महीने में हरिद्वार की धरती पर या कहें कि कुंभनगरी में कदम रखेंगे, तो हरकी पैड़ी से पहले ही आपको संत-महात्माओं और भगवान श्रीराम की लीलाओं के दर्शन हो जाएंगे. इनके साथ ही कुंभ की कहानी, समुंद्र मंथन की कहानी, हरकी पैड़ी की कहानी भी हरिद्वार की दीवारें आपको खुद बताएंगी.

हरिद्वार : कोरोना वायरस के चलते कुंभ मेले को लेकर भले ही संशय बरकरार हो, लेकिन मेला प्रशासन और नगर निगम अपनी तरफ से हरिद्वार को सुंदर बनाने में जुटा है. कुंभ से पहले हरिद्वार की दीवारें कुंभ की कहानी खुद बयां कर रही हैं. जनवरी महीने तक हरिद्वार के गंगा घाटों, हवेलियों, आश्रमों और अखाड़ों की दीवारें भगवान राम के वनवास से लेकर राजतिलक की कथा बताएंगी.

इस बार का हरिद्वार का कुंभ भले ही कोरोना वायरस के साये में संपन्न होगा, लेकिन कुछ तैयारियां इस बार बेहद अलग हैं. अगर, आपको हरिद्वार कुंभ में आने का मौका मिले, तो आप देखेंगे कि किस तरह से कलाकारों की मेहनत से धर्मनगरी 'बोल' उठी है.

haridwar city
दीवारों पर दिखेगा उत्तराखंड का इतिहास

हरिद्वार में आस्था की डुबकी
हरिद्वार मेला प्रशासन ने उन रास्तों पर खूबसूरत पेंटिंग्स की हैं, जहां से भक्त हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आएंगे. आप बस से आ रहे हों या रेल से, यहां आते ही आपको दीवारों पर की गई पेंटिंग्स से कुंभ मेले में आने वाले संतों, अखाड़ों और भगवान राम से जुड़ी सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानकारी मिलेगी.

haridwar city
धर्मनगरी की दीवारें कहेंगी कुंभ की कहानियां

पढ़ें: बीएसएफ का 56 वां स्थापना दिवस आज, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

भगवान श्री राम की लीलाओं का वर्णन
हरिद्वार की ये दीवारें न केवल दिन में सभी को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि रात को भी बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. हरिद्वार बस अड्डे के नजदीक आप केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन कर पाएंगे. इतना ही नहीं, जो लोग हाइवे से गुजरेंगे उन्हें भगवान राम की लीलाओं का वर्णन दिखाई देगा, जिसकी तैयारियों में प्रशासन जुटा हुआ है.

haridwar city
केदारनाथ मंदिर

संतों की महिमा का गुणगान करेगी चित्रकारी
हरिद्वार कुंभ मेला प्रशासन और नगर निगम हरिद्वार यह जानता है कि अत्याधुनिक समय में शुरू हो रहे इस कुंभ मेले में किस तरह से व्यवस्थाओं को बनाया जाए. उसके लिए तमाम जगहों पर अलग-अलग लेजर लाइटें और दूसरे आयोजनों की व्यवस्था ही जा रही है. इसके साथ ही संतों की महिमा बताने के लिए बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स भी बनवाई जा रही है.

haridwar city
दीवारों पर संस्कृति का गुणगान

हरिद्वार की दीवारों पर महिमामंडन
अगर, आप कुंभ क्षेत्र में घूमते हुए हरिद्वार के अलकनंदा घाट से हरिद्वार हरकी पैड़ी तक पैदल मार्ग तय करेंगे, तो आप देखेंगे कि लगभग दो किलोमीटर के दायरे में आपको हरिद्वार की दीवारें खुद ही संतों की कहानियां बयां करेंगी. हरिद्वार की 'बीइंग भगीरथ संस्था' को यह काम सौंपा गया है, जिसमें लगभग 25 युवा हरिद्वार की दीवारों को सजाने का काम कर रहे हैं. हरिद्वार की दीवारों पर संतों के जीवन में आए आधुनिकिकरण को भी बड़ी खूबसूरती से उकेरा गया है. पैदल चलने वाले संतों में जिस तरह से अब गाड़ी, साइकिल या दूसरे वाहनों का चलन बढ़ा है, उसको भी यहां पेंटिंग के माध्यम से दिखाया गया है.

haridwar city
हरिद्वार कुंभ को यादगार बनाने की रंगीन कोशिश

पढ़ें: शौक बड़ी चीज : इस शख्स के पास हैं अमिताभ और विनोद खन्ना के समय की गाड़ियां

सेल्फी प्वॉइंट्स भी तैयार
इसके साथ ही जूना अखाड़ा सहित निर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा के संतों का आने वाले श्रद्धालु न केवल फेस टू फेस दर्शन कर पाएंगे, बल्कि हरिद्वार के आश्रम, गंगा घाटों पर उनकी बनी अलौकिक कलाकृति के साथ सेल्फी भी ले सकेंगे. इसके लिए सेल्फी प्वॉइंट्स भी बनाये गए हैं.

haridwar city
दीवारों पर संस्कृति-इतिहास

पेंटिंग्स के जरिये बताई सभ्यता
नगर निगम ने इसके लिए बाकायदा इन युवाओं की टीम को ₹35 स्क्वायर फीट के हिसाब से रकम तय की है, जिसके बाद इन युवाओं की जिम्मेदारी है कि हरिद्वार की तमाम दीवारों, आश्रमों, होटलों और हाइवे पर भारतीय संस्कृति और कुंभ मेले की सभ्यता को पेंटिंग्स के जरिये समझाएं.

भगवान श्रीराम की लीलाओं के दर्शन
कुंभ मेले का पहला स्नान 14 जनवरी को होना है. लिहाजा, कम समय को देखते हुए युवाओं की एक टीम दिन-रात एक कर हरिद्वार को सजाने और संवारने का काम कर रही है. मतलब साफ है कि जब आप जनवरी महीने में हरिद्वार की धरती पर या कहें कि कुंभनगरी में कदम रखेंगे, तो हरकी पैड़ी से पहले ही आपको संत-महात्माओं और भगवान श्रीराम की लीलाओं के दर्शन हो जाएंगे. इनके साथ ही कुंभ की कहानी, समुंद्र मंथन की कहानी, हरकी पैड़ी की कहानी भी हरिद्वार की दीवारें आपको खुद बताएंगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.