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3 महीने तक गुरु और शुक्र रहेंगे अस्त, अप्रैल में बजेगा शादी का बैंड

मकर संक्रांति के बाद भी विवाह आदि शुभ कार्य नहीं होंगे. इस बार 22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं. इसकी मुख्य वजह दो प्रमुख ग्रहों का अस्त होना है. इस बीच कौन से शुभ कार्य कर सकते हैं और कौन से कार्य नहीं कर सकते हैं, इस बारे में प्रोफेसर डॉ. सुभाष पांडेय ने ईटीवी भारत से खास जानकारी साझा की.

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Published : Jan 15, 2021, 6:57 PM IST

vivah muhurat in 2021
22 अप्रैल से शुरू होंगे विवाह के मुहूर्त

वाराणसी : सनातन धर्म में मुहूर्त और नक्षत्रों का विशेष महत्व है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक सही मुहूर्त मिलने पर ही शुभ कार्य करने की अनुमति दी गई है. सामान्य रूप से खरमास की समाप्ति के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इस साल 2021 में 15 जनवरी को खरमास खत्म हो गया है. इसके बाद भी शुभ कार्य नहीं शुरू हो रहे हैं. इसकी वजह ग्रहों की बदली हुई चाल है. इसके कारण पहले देव गुरु बृहस्पति और फिर शुक्र अस्त हो रहे हैं. इसलिए इस बार 22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो रहे हैं.

22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त.

22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने और मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है, लेकिन खरमास खत्म होने के बाद दो महत्वपूर्ण ग्रहों के अस्त होने का सिलसिला जारी रहेगा. इस वजह से इस बार शुभ लग्न अभी नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से मांगलिक कार्यक्रमों (विवाह-तिलक आदि) की शुरुआत 22 अप्रैल के बाद ही होगी. मई और जून में भी शुभ मुहूर्त के लग्न हैं.

पहले गुरु, फिर शुक्र होंगे अस्त

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष पांडेय का कहना है कि आमतौर पर खरमास खत्म होने के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि 16 जनवरी को गुरु अस्त हो रहे हैं और वह 12 फरवरी को उदित होंगे. इसी क्रम में 16 फरवरी से 17 अप्रैल तक शुक्र अस्त रहेंगे.

शास्त्रों के मत

देव गुरु बृहस्पति सनातन धर्म में मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह माने जाते हैं. इसलिए गुरु के अस्त होने के बाद कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे. 12 फरवरी को गुरु उदित हो जाएंगे, लेकिन इनके उदित होने के बाद 16 फरवरी को शुक्र अस्त हो जाएंगे. शुक्र अस्त होने के दौरान भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि गुरु और शुक्र के अस्त होने के बाद किए गए मांगलिक कार्य भविष्य में हानि पहुंचा सकते हैं. इसलिए इनके अस्त होने के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.

शास्त्रों मे ये करने की है अनुमति

इस बीच नया वस्त्र खरीद सकते हैं, जमीन की खरीद-फरोख्त की जा सकती है. नए वाहन की खरीद-फरोख्त करने के साथ ही सोना-चांदी, रत्न, आभूषण की खरीदारी भी की जा सकती है. शादी-विवाह पर प्रतिबंध होता है. यदि वर और कन्या देखकर रिश्ता पक्का करने की बात है तो वह भी कराया जा सकता है.

पढ़ें: 22 साल के फेसबुकिया राजकुमार ने रचाईं 11 शादियां, अब हवालात में

ये कार्य न करें

पंडित सुभाष पांडेय का कहना है कि गुरु और शुक्र के अस्त होने की वजह से शादी विवाह, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश, किसी दुकान की ओपनिंग, किसी धार्मिक यात्रा की पहली बार शुरुआत, स्नान दान, श्राद्ध कर्म, अन्नप्राशन, कुएं, बावड़ी या घर में बोरिंग करवाना, बाग बगीचे को तैयार करवाना. इन कार्यों पर पूर्णतया प्रतिबंध होता है.

वाराणसी : सनातन धर्म में मुहूर्त और नक्षत्रों का विशेष महत्व है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक सही मुहूर्त मिलने पर ही शुभ कार्य करने की अनुमति दी गई है. सामान्य रूप से खरमास की समाप्ति के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इस साल 2021 में 15 जनवरी को खरमास खत्म हो गया है. इसके बाद भी शुभ कार्य नहीं शुरू हो रहे हैं. इसकी वजह ग्रहों की बदली हुई चाल है. इसके कारण पहले देव गुरु बृहस्पति और फिर शुक्र अस्त हो रहे हैं. इसलिए इस बार 22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो रहे हैं.

22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त.

22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने और मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है, लेकिन खरमास खत्म होने के बाद दो महत्वपूर्ण ग्रहों के अस्त होने का सिलसिला जारी रहेगा. इस वजह से इस बार शुभ लग्न अभी नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से मांगलिक कार्यक्रमों (विवाह-तिलक आदि) की शुरुआत 22 अप्रैल के बाद ही होगी. मई और जून में भी शुभ मुहूर्त के लग्न हैं.

पहले गुरु, फिर शुक्र होंगे अस्त

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष पांडेय का कहना है कि आमतौर पर खरमास खत्म होने के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि 16 जनवरी को गुरु अस्त हो रहे हैं और वह 12 फरवरी को उदित होंगे. इसी क्रम में 16 फरवरी से 17 अप्रैल तक शुक्र अस्त रहेंगे.

शास्त्रों के मत

देव गुरु बृहस्पति सनातन धर्म में मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह माने जाते हैं. इसलिए गुरु के अस्त होने के बाद कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे. 12 फरवरी को गुरु उदित हो जाएंगे, लेकिन इनके उदित होने के बाद 16 फरवरी को शुक्र अस्त हो जाएंगे. शुक्र अस्त होने के दौरान भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि गुरु और शुक्र के अस्त होने के बाद किए गए मांगलिक कार्य भविष्य में हानि पहुंचा सकते हैं. इसलिए इनके अस्त होने के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.

शास्त्रों मे ये करने की है अनुमति

इस बीच नया वस्त्र खरीद सकते हैं, जमीन की खरीद-फरोख्त की जा सकती है. नए वाहन की खरीद-फरोख्त करने के साथ ही सोना-चांदी, रत्न, आभूषण की खरीदारी भी की जा सकती है. शादी-विवाह पर प्रतिबंध होता है. यदि वर और कन्या देखकर रिश्ता पक्का करने की बात है तो वह भी कराया जा सकता है.

पढ़ें: 22 साल के फेसबुकिया राजकुमार ने रचाईं 11 शादियां, अब हवालात में

ये कार्य न करें

पंडित सुभाष पांडेय का कहना है कि गुरु और शुक्र के अस्त होने की वजह से शादी विवाह, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश, किसी दुकान की ओपनिंग, किसी धार्मिक यात्रा की पहली बार शुरुआत, स्नान दान, श्राद्ध कर्म, अन्नप्राशन, कुएं, बावड़ी या घर में बोरिंग करवाना, बाग बगीचे को तैयार करवाना. इन कार्यों पर पूर्णतया प्रतिबंध होता है.

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