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बाबा टिकैत के पुराने साथी बोले- राकेश टिकैत में आ गई है दुर्योधन की आत्मा

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Published : Feb 7, 2021, 4:38 PM IST

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है. वह किसी की नहीं सुन रहे. उन्होंने किसान आदोलन में विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया.

वीरेंद्र सिंह
वीरेंद्र सिंह

मुजफ्फरनगर : कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन और मजबूत हो गया. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के बड़े नेता के रूप में राकेश टिकैत उभर आए हैं. लेकिन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1990 के दशक में उनके सलाहकार रहे वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर संगीन आरोप लगाया है.

1990 के दशक में किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी रहे वीरेंद्र सिंह ने कहा कि विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पंजाब के नशा माफिया इस आंदोलन को फाइनेंस कर रहे हैं. इतना ही नहीं भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है. कोई कृष्ण इन्हें नहीं समझा सकता. वो भी नहीं समझा था, ये भी समझने को तैयार नहीं है.

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने साधा निशाना

वीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस की घटना को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि यह किसान का काम नहीं है. यह काम देश विरोधी ताकतों का है जिन्हें विदेशी ताकतें फाइनेंस कर रही हैं. यहीं ताकतें सीएए आंदोलन को भी फाइनेंस कर रही थीं और अब इस आंदोलन को भी भड़का रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग बता दें कि आखिर सारी व्यवस्था कहां से आ रही है.

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में हुआ करता था. जब बाबा टिकैत पेड़ के नीचे हाथ पर रोटी सब्जी लेकर आंदोलन का निर्णय करते थे, आज आंदोलन फाइव स्टार हो गए हैं. हमें दिल्ली में 48 घंटे तक खाना नसीब नहीं हुआ था. 48 घंटे बाद चौधरी देवी लाल ने ब्रेड और पानी भिजवाया था. उस दौरान देवीलाल के साथ लालू प्रसाद यादव आये थे.

'चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी'

वीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये बदले जमाने का दौर है. कोई टिकैत परिवार से पूछे कि इनके पास इतना सुविधाएं कहां से आईं. अगर ये इतने ही किसानों के हितैषी हैं तो वो अलादीन का चिराग गरीब किसानों को भी दे दें ताकि उनके भी जीवन में बदलाव आ जाए. उन्होंने कहा कि जब धरने में डर लगा तो किसानों की याद आ गई. अब किसानों को भी बता दे कि इनके पास ये सुविधाएं कहां से आई, ताकि वो भी गाड़ी से चल सकें, एसी में सो सकें. उन्होंने कहा कि चौधरी महेंद्र टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी, लेकिन अब इनके एक कुर्ते में कई-कई जेबें हैं.

'कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते'

वीरेंद्र सिंह ने कहा कि टिकैत भाइयों के पास कृषि कानून को गलत साबित करने के तर्क नहीं है. जब सरकार संसोधन के लिए तैयार है तो आखिर कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते. उन्होंने कहा कि वैसे भी जब अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आंदोलन वापस लेने के लिए कह दिया था तो राकेश ने उनकी बात क्यों नहीं मानी.

पढ़ें- 73वां दिन : लुधियाना के चक्काजाम में नजर आया 'भिंडरावाले' का झंडा

उन्होंने कहा कि बाबा टिकैत के समय मेरठ आंदोलन के दौरान 1988 में मुरादाबाद के कपूरपुर पुलिस स्टेशन में भाकियू कार्यकर्ताओ ने आग लगा दी थी. उस समय उन्होंने आंदोलन वापस कर लिया था. वहीं वोट क्लब आंदोलन में भी हिंसा हो गई थी, तब भी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने आंदोलन खत्म कर दिया था. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अपने जिद के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक़ की लड़ाई के लिए आंदोलन करते थे. निश्चित रूप से आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा स्वर्ग में है लेकिन इनके कर्मों को देख कर वो खुश नहीं होंगे.

मुजफ्फरनगर : कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन और मजबूत हो गया. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के बड़े नेता के रूप में राकेश टिकैत उभर आए हैं. लेकिन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1990 के दशक में उनके सलाहकार रहे वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर संगीन आरोप लगाया है.

1990 के दशक में किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी रहे वीरेंद्र सिंह ने कहा कि विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पंजाब के नशा माफिया इस आंदोलन को फाइनेंस कर रहे हैं. इतना ही नहीं भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है. कोई कृष्ण इन्हें नहीं समझा सकता. वो भी नहीं समझा था, ये भी समझने को तैयार नहीं है.

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने साधा निशाना

वीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस की घटना को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि यह किसान का काम नहीं है. यह काम देश विरोधी ताकतों का है जिन्हें विदेशी ताकतें फाइनेंस कर रही हैं. यहीं ताकतें सीएए आंदोलन को भी फाइनेंस कर रही थीं और अब इस आंदोलन को भी भड़का रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग बता दें कि आखिर सारी व्यवस्था कहां से आ रही है.

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में हुआ करता था. जब बाबा टिकैत पेड़ के नीचे हाथ पर रोटी सब्जी लेकर आंदोलन का निर्णय करते थे, आज आंदोलन फाइव स्टार हो गए हैं. हमें दिल्ली में 48 घंटे तक खाना नसीब नहीं हुआ था. 48 घंटे बाद चौधरी देवी लाल ने ब्रेड और पानी भिजवाया था. उस दौरान देवीलाल के साथ लालू प्रसाद यादव आये थे.

'चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी'

वीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये बदले जमाने का दौर है. कोई टिकैत परिवार से पूछे कि इनके पास इतना सुविधाएं कहां से आईं. अगर ये इतने ही किसानों के हितैषी हैं तो वो अलादीन का चिराग गरीब किसानों को भी दे दें ताकि उनके भी जीवन में बदलाव आ जाए. उन्होंने कहा कि जब धरने में डर लगा तो किसानों की याद आ गई. अब किसानों को भी बता दे कि इनके पास ये सुविधाएं कहां से आई, ताकि वो भी गाड़ी से चल सकें, एसी में सो सकें. उन्होंने कहा कि चौधरी महेंद्र टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी, लेकिन अब इनके एक कुर्ते में कई-कई जेबें हैं.

'कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते'

वीरेंद्र सिंह ने कहा कि टिकैत भाइयों के पास कृषि कानून को गलत साबित करने के तर्क नहीं है. जब सरकार संसोधन के लिए तैयार है तो आखिर कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते. उन्होंने कहा कि वैसे भी जब अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आंदोलन वापस लेने के लिए कह दिया था तो राकेश ने उनकी बात क्यों नहीं मानी.

पढ़ें- 73वां दिन : लुधियाना के चक्काजाम में नजर आया 'भिंडरावाले' का झंडा

उन्होंने कहा कि बाबा टिकैत के समय मेरठ आंदोलन के दौरान 1988 में मुरादाबाद के कपूरपुर पुलिस स्टेशन में भाकियू कार्यकर्ताओ ने आग लगा दी थी. उस समय उन्होंने आंदोलन वापस कर लिया था. वहीं वोट क्लब आंदोलन में भी हिंसा हो गई थी, तब भी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने आंदोलन खत्म कर दिया था. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अपने जिद के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक़ की लड़ाई के लिए आंदोलन करते थे. निश्चित रूप से आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा स्वर्ग में है लेकिन इनके कर्मों को देख कर वो खुश नहीं होंगे.

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