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भारतीय भाषाओं के उपयोग से शासन और अधिक जन-केंद्रित बनेगा : नायडू - international mother tongue day

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारतीय भाषाओं से शासन के अधिक जन-केंद्रित होने की बात करते हुए गुरूवार को कहा कि दुनियाभर में कम से कम 40 प्रतिशत आबादी को उस भाषा में शिक्षा नहीं मिलती जिसमें वह बोलते हैं या समझते हैं.

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वेंकैया नायडू
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Published : Feb 20, 2020, 10:59 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 12:28 AM IST

नई दिल्ली : नायडू ने 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के मौके पर एक समारोह में कहा, 'दुनियाभर में 40 प्रतिशत आबादी को उस भाषा में शिक्षा नहीं मिलती जो वह बोलते हैं या जिसे समझते हैं. भारतीय भाषाएं प्रशासन को जनता के ज्यादा करीब ला सकती हैं. यह शासन को अधिक जन-केंद्रित बना सकती हैं.'

उन्होंने कहा, 'भाषा किसी देश के सांस्कृतिक जीवन को आकार देती है और उसकी प्रगति की नींव रखती है. भाषा वह अहम अदृश्य डोर है जो अतीत को वर्तमान से जोड़ती है. मैंने हमेशा अपनी विशिष्ट और समृद्ध भाषाई धरोहर के संरक्षण को महत्व देने पर जोर दिया है.'

उप राष्ट्रपति ने कहा कि भाषाओं का उत्सव केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए.उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण बात यह है कि मातृभाषा दिवस के समापन के साथ हमारा मातृभाषाओं का उत्सव समाप्त नहीं हो जाना चाहिए. बल्कि हर दिन मातृभाषा दिवस की तरह मनाया जाना चाहिए.'

नायडू ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग घर पर, समाज में, बैठकों में और प्रशासन में अपनी पैतृक भाषाओं का इस्तेमाल प्रारंभ करेंगे. इन भाषाओं में बोलने, लिखने और बात करने वालों को हमें गर्व से देखना चाहिए.'

समारोह में नायडू का स्वागत परंपरागत भारतीय परिधान पहने छात्रों ने 22 भारतीय भाषाओं में किया.

नई दिल्ली : नायडू ने 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के मौके पर एक समारोह में कहा, 'दुनियाभर में 40 प्रतिशत आबादी को उस भाषा में शिक्षा नहीं मिलती जो वह बोलते हैं या जिसे समझते हैं. भारतीय भाषाएं प्रशासन को जनता के ज्यादा करीब ला सकती हैं. यह शासन को अधिक जन-केंद्रित बना सकती हैं.'

उन्होंने कहा, 'भाषा किसी देश के सांस्कृतिक जीवन को आकार देती है और उसकी प्रगति की नींव रखती है. भाषा वह अहम अदृश्य डोर है जो अतीत को वर्तमान से जोड़ती है. मैंने हमेशा अपनी विशिष्ट और समृद्ध भाषाई धरोहर के संरक्षण को महत्व देने पर जोर दिया है.'

उप राष्ट्रपति ने कहा कि भाषाओं का उत्सव केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए.उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण बात यह है कि मातृभाषा दिवस के समापन के साथ हमारा मातृभाषाओं का उत्सव समाप्त नहीं हो जाना चाहिए. बल्कि हर दिन मातृभाषा दिवस की तरह मनाया जाना चाहिए.'

नायडू ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग घर पर, समाज में, बैठकों में और प्रशासन में अपनी पैतृक भाषाओं का इस्तेमाल प्रारंभ करेंगे. इन भाषाओं में बोलने, लिखने और बात करने वालों को हमें गर्व से देखना चाहिए.'

समारोह में नायडू का स्वागत परंपरागत भारतीय परिधान पहने छात्रों ने 22 भारतीय भाषाओं में किया.

Last Updated : Mar 2, 2020, 12:28 AM IST
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