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अनुभवी भुजबल, थोराट और देसाई को मंत्रिमंडल में मिली जगह

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गठबंधन सरकार यानि महाविकास आघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व कर रहे हैं जिसकी मुख्य घटक शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस हैं. उनके साथ राकांपा के छगन भुजबल और जयंत पाटिल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत व शिवसेना की और से एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई ने मंत्री पद की शपथ ली. आइए जानें इनका राजनैतिक और प्रशासकीय अनुभव के बारे में...

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Published : Nov 29, 2019, 12:03 AM IST

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मंत्रिमंडल में मिली जगह

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ यहां शिवाजी पार्क में मंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस विधायकों की पहचान उनके चेहरों के साथ ही चुनावी राजनीति में लंबी पारी और पूर्व में प्रमुख सरकारी विभागों को संभालने का अनुभव रहा.

ठाकरे गठबंधन सरकार, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी मुख्य घटक शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस हैं.

ठाकरे के साथ राकांपा के छगन भुजबल और जयंत पाटिल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत एवं शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई ने मंत्री पद की शपथ ली. आइए जानें इनका राजनैतिक और प्रशासकीय अनुभव के बारे में-

छगल भुजबल :
भुजबल (72) महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर नेता हैं और उनकी सबसे बड़ी खासियत यह कि वह राज्य में तीनों प्रमुख गैर भाजपाई दलों से जुड़े रहे हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अलग-अलग समय शिवसेना और कांग्रेस के भी सदस्य रहे हैं.

भाजपा शासित सरकार के दौरान मार्च 2016 से दो साल जेल में बिताने के बाद एक बार फिर मंत्री बनाए जाने को उनके राजनीतिक भाग्य के फिर से चमकने के तौर पर देखा जा रहा है. अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले भुजबल की राजनीति शिवसेना में रहने के दौरान चमकी. उन्होंने शिवसेना के गढ़ मुंबई में दो बार महापौर-1985-86 और 1990-91- का पद संभाला.

उन्होंने 1991 में शिवसेना का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. भुजबल ने 1999 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और शरद पवार के साथ जा मिले, जिन्होंने उसी साल राकांपा का गठन किया. वह दिसंबर 2008 में उप मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस-राकांपा सरकार में गृह व लोक निर्माण जैसे अहम विभाग संभाले.

इसे भी पढ़ें- महाराष्ट्र : 'महा विकास अघाड़ी' का साझा न्यूनतम कार्यक्रम जारी

जयंत पाटिल :
जयंत पाटिल (57) को साफ छवि वाले नेता के तौर पर देखा जाता है. उन्होंने महत्वूर्ण माने जाने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों से पहले अप्रैल 2018 में सुनील तटकरे की जगह राकांपा की महाराष्ट्र इकाई की जिम्मेदारी संभाली. राकांपा ने अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में अपनी सीटें बरकरार रखीं और इसी साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति को बेहतर किया, हालांकि इसका अधिकतर श्रेय पार्टी के मुखिया शरद पवार को दिया गया.

कभी एक दूसरे के धुर विरोधी और विचारधारा के आधार पर एक दूसरे से अलग रुख रखने वाले दलों के गठबंधन का हिस्सा बने पाटिल को शांत स्वभाव के लिये जाना जाता है. उनके इस सरकार में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है.
महाराष्ट्र के चर्चित नेता दिवंगत राजाराम पाटिल के बेटे जयंत ने 1999 से 2014 तक प्रदेश में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार के दौरान वित्त, गृह और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले थे.

एकनाथ शिंदे:
शिंदे (55) पड़ोसी ठाणे शहर में शिवसेना का सबसे महत्वपूर्ण चेहरा हैं. यहां से वह लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं. शिवसेना में संकटमोचक के तौर पर देखे जाने वाले शिंदे भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार (2014-19) में लोकनिर्माण मंत्री थे.

सुभाष देसाई:
उद्धव ठाकरे के विश्वस्तों में से एक देसाई (77) अभी विधान परिषद सदस्य हैं. मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य देसाई तीन बार गोरेगांव सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. देसाई भाजपा-शिवसेना सरकार (2014-19) में उद्योग मंत्री थे.

इसे भी पढ़ें- शिवसेना का सपना पूराः राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे

बालासाहेब थोराट:
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट (66) ने मुश्किल वक्त में पार्टी की प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी संभाली. थोराट ने जब इस साल जुलाई में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली तो पार्टी राज्य में लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबरने की कोशिश कर रही थी.

आम चुनावों में वह सिर्फ एक सीट जीत सकी और राकांपा से कमजोर स्थिति में पहुंच गई. कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 44 सीटें जीतकर अपनी स्थिति 2014 के मुकाबले थोड़ी बेहतर की. उसे दो सीटें ज्यादा मिलीं.
पूर्व में कई बार राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी कांग्रेस के लिये नतीजे भले ही संतोषजनक नहीं हो लेकिन वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विश्वसनीय सिपहसालार बने रहे. थोराट ने गुटबाजी से जूझ रही प्रदेश इकाई में समुचित समन्वय सुनिश्चित किया.

आम तौर पर चर्चा से दूर रहने वाले थोराट पहली बार 1985 में संगमनेर से निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव जीते थे. उन्होंने 1990 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. यह विधायक के तौर पर उनका आठवां कार्यकाल है. वह 1999 में राज्य मंत्री बने थे और 2004 में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया. कांग्रेस विधायक दल के नेता पूर्व में राजस्व, कृषि, जल संरक्षण और प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.

नितिन राउत:
कभी कांग्रेस के गढ़ रहे पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ से आने वाले पार्टी नेता राउत (62) चार बार के विधायक हैं. वह कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और महाराष्ट्र में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक.
नागपुर से आने वाले राउत के पास भी सरकार में काम का पूर्व अनुभव है. वह पहले पशुधन, रोजगार गारंटी और जलसंरक्षण जैसे विभाग संभाल चुके हैं.

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ यहां शिवाजी पार्क में मंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस विधायकों की पहचान उनके चेहरों के साथ ही चुनावी राजनीति में लंबी पारी और पूर्व में प्रमुख सरकारी विभागों को संभालने का अनुभव रहा.

ठाकरे गठबंधन सरकार, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी मुख्य घटक शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस हैं.

ठाकरे के साथ राकांपा के छगन भुजबल और जयंत पाटिल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत एवं शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई ने मंत्री पद की शपथ ली. आइए जानें इनका राजनैतिक और प्रशासकीय अनुभव के बारे में-

छगल भुजबल :
भुजबल (72) महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर नेता हैं और उनकी सबसे बड़ी खासियत यह कि वह राज्य में तीनों प्रमुख गैर भाजपाई दलों से जुड़े रहे हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अलग-अलग समय शिवसेना और कांग्रेस के भी सदस्य रहे हैं.

भाजपा शासित सरकार के दौरान मार्च 2016 से दो साल जेल में बिताने के बाद एक बार फिर मंत्री बनाए जाने को उनके राजनीतिक भाग्य के फिर से चमकने के तौर पर देखा जा रहा है. अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले भुजबल की राजनीति शिवसेना में रहने के दौरान चमकी. उन्होंने शिवसेना के गढ़ मुंबई में दो बार महापौर-1985-86 और 1990-91- का पद संभाला.

उन्होंने 1991 में शिवसेना का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. भुजबल ने 1999 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और शरद पवार के साथ जा मिले, जिन्होंने उसी साल राकांपा का गठन किया. वह दिसंबर 2008 में उप मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस-राकांपा सरकार में गृह व लोक निर्माण जैसे अहम विभाग संभाले.

इसे भी पढ़ें- महाराष्ट्र : 'महा विकास अघाड़ी' का साझा न्यूनतम कार्यक्रम जारी

जयंत पाटिल :
जयंत पाटिल (57) को साफ छवि वाले नेता के तौर पर देखा जाता है. उन्होंने महत्वूर्ण माने जाने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों से पहले अप्रैल 2018 में सुनील तटकरे की जगह राकांपा की महाराष्ट्र इकाई की जिम्मेदारी संभाली. राकांपा ने अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में अपनी सीटें बरकरार रखीं और इसी साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति को बेहतर किया, हालांकि इसका अधिकतर श्रेय पार्टी के मुखिया शरद पवार को दिया गया.

कभी एक दूसरे के धुर विरोधी और विचारधारा के आधार पर एक दूसरे से अलग रुख रखने वाले दलों के गठबंधन का हिस्सा बने पाटिल को शांत स्वभाव के लिये जाना जाता है. उनके इस सरकार में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है.
महाराष्ट्र के चर्चित नेता दिवंगत राजाराम पाटिल के बेटे जयंत ने 1999 से 2014 तक प्रदेश में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार के दौरान वित्त, गृह और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले थे.

एकनाथ शिंदे:
शिंदे (55) पड़ोसी ठाणे शहर में शिवसेना का सबसे महत्वपूर्ण चेहरा हैं. यहां से वह लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं. शिवसेना में संकटमोचक के तौर पर देखे जाने वाले शिंदे भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार (2014-19) में लोकनिर्माण मंत्री थे.

सुभाष देसाई:
उद्धव ठाकरे के विश्वस्तों में से एक देसाई (77) अभी विधान परिषद सदस्य हैं. मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य देसाई तीन बार गोरेगांव सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. देसाई भाजपा-शिवसेना सरकार (2014-19) में उद्योग मंत्री थे.

इसे भी पढ़ें- शिवसेना का सपना पूराः राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे

बालासाहेब थोराट:
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट (66) ने मुश्किल वक्त में पार्टी की प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी संभाली. थोराट ने जब इस साल जुलाई में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली तो पार्टी राज्य में लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबरने की कोशिश कर रही थी.

आम चुनावों में वह सिर्फ एक सीट जीत सकी और राकांपा से कमजोर स्थिति में पहुंच गई. कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 44 सीटें जीतकर अपनी स्थिति 2014 के मुकाबले थोड़ी बेहतर की. उसे दो सीटें ज्यादा मिलीं.
पूर्व में कई बार राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी कांग्रेस के लिये नतीजे भले ही संतोषजनक नहीं हो लेकिन वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विश्वसनीय सिपहसालार बने रहे. थोराट ने गुटबाजी से जूझ रही प्रदेश इकाई में समुचित समन्वय सुनिश्चित किया.

आम तौर पर चर्चा से दूर रहने वाले थोराट पहली बार 1985 में संगमनेर से निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव जीते थे. उन्होंने 1990 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. यह विधायक के तौर पर उनका आठवां कार्यकाल है. वह 1999 में राज्य मंत्री बने थे और 2004 में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया. कांग्रेस विधायक दल के नेता पूर्व में राजस्व, कृषि, जल संरक्षण और प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.

नितिन राउत:
कभी कांग्रेस के गढ़ रहे पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ से आने वाले पार्टी नेता राउत (62) चार बार के विधायक हैं. वह कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और महाराष्ट्र में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक.
नागपुर से आने वाले राउत के पास भी सरकार में काम का पूर्व अनुभव है. वह पहले पशुधन, रोजगार गारंटी और जलसंरक्षण जैसे विभाग संभाल चुके हैं.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 21:4 HRS IST




             
  • अनुभवी भुजबल, थोराट, देसाई को मंत्रिमंडल में मिली जगह



मुंबई, 28 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ गुरुवार शाम यहां शिवाजी पार्क में मंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस विधायकों की पहचान उनके चेहरों के साथ ही चुनावी राजनीति में लंबी पारी और पूर्व में प्रमुख सरकारी विभागों को संभालने का अनुभव रहा।







ठाकरे गठबंधन सरकार, महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व कर रहे हैं जिसकी मुख्य घटक शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस हैं।







ठाकरे के साथ राकांपा के छगन भुजबल और जयंत पाटिल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत व शिवसेना की और से एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई ने मंत्री पद की शपथ ली।







छगल भुजबल :



भुजबल (72) महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर नेता हैं और उनकी सबसे बड़ी खासियत यह कि वह राज्य में तीनों प्रमुख गैर भाजपाई दलों से जुड़े रहे हैं।







राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अलग-अलग समय शिवसेना और कांग्रेस के भी सदस्य रहे हैं।







भाजपा शासित सरकार के दौरान मार्च 2016 से दो साल जेल में बिताने के बाद एक बार फिर मंत्री बनाए जाने को उनके राजनीतिक भाग्य के फिर से चमकने के तौर पर देखा जा रहा है।







अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले भुजबल की राजनीति शिवसेना में रहने के दौरान चमकी। उन्होंने शिवसेना के गढ़ मुंबई में दो बार महापौर-1985-86 और 1990-91- का पद संभाला।







उन्होंने 1991 में शिवसेना का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।







भुजबल ने 1999 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और शरद पवार के साथ जा मिले जिन्होंने उसी साल राकांपा का गठन किया।







वह दिसंबर 2008 में उप मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस-राकांपा सरकार में गृह व लोक निर्माण जैसे अहम विभाग संभाले।















जयंत पाटिल :



जयंत पाटिल (57) को साफ छवि वाले नेता के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने महत्वूर्ण माने जाने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों से पहले अप्रैल 2018 में सुनील तटकरे की जगह राकांपा की महाराष्ट्र इकाई की जिम्मेदारी संभाली।







राकांपा ने अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में अपनी सीटें बरकरार रखीं और इसी साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति को बेहतर किया, हालांकि इसका अधिकतर श्रेय पार्टी के मुखिया शरद पवार को दिया गया।







कभी एक दूसरे के धुर विरोधी और विचारधारा के आधार पर एक दूसरे से अलग रुख रखने वाले दलों के गठबंधन का हिस्सा बने पाटिल को शांत स्वभाव के लिये जाना जाता है। उनके इस सरकार में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है।







महाराष्ट्र के चर्चित नेता दिवंगत राजाराम पाटिल के बेटे जयंत ने 1999 से 2014 तक प्रदेश में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार के दौरान वित्त, गृह और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले थे।







एकनाथ शिंदे:



शिंदे (55) पड़ोसी ठाणे शहर में शिवसेना का सबसे महत्वपूर्ण चेहरा हैं। यहां से वह लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं।







शिवसेना में संकटमोचक के तौर पर देखे जाने वाले शिंदे भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार (2014-19) में लोकनिर्माण मंत्री थे।







सुभाष देसाई:



उद्धव ठाकरे के विश्वस्तों में से एक देसाई (77) अभी विधान परिषद सदस्य हैं। मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य देसाई तीन बार गोरेगांव सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।







देसाई भाजपा-शिवसेना सरकार (2014-19) में उद्योग मंत्री थे।







बालासाहेब थोराट:



कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट (66) ने मुश्किल वक्त में पार्टी की प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी संभाली।







थोराट ने जब इस साल जुलाई में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली तो पार्टी राज्य में लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबरने की कोशिश कर रही थी।







आम चुनावों में वह सिर्फ एक सीट जीत सकी और राकांपा से कमजोर स्थिति में पहुंच गई।







कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 44 सीटें जीतकर अपनी स्थिति 2014 के मुकाबले थोड़ी बेहतर की। उसे दो सीटें ज्यादा मिलीं।







पूर्व में कई बार राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी कांग्रेस के लिये नतीजे भले ही संतोषजनक नहीं हो लेकिन वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विश्वसनीय सिपहसालार बने रहे। थोराट ने गुटबाजी से जूझ रही प्रदेश इकाई में समुचित समन्वय सुनिश्चित किया।







आम तौर पर चर्चा से दूर रहने वाले थोराट पहली बार 1985 में संगमनेर से निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव जीते थे। उन्होंने 1990 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा। यह विधायक के तौर पर उनका आठवां कार्यकाल है।







वह 1999 में राज्य मंत्री बने थे और 2004 में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया। कांग्रेस विधायक दल के नेता पूर्व में राजस्व, कृषि, जल संरक्षण और प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।







नितिन राउत:



कभी कांग्रेस के गढ़ रहे पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ से आने वाले पार्टी नेता राउत (62) चार बार के विधायक हैं।







वह कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और महाराष्ट्र में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक।







नागपुर से आने वाले राउत के पास भी सरकार में काम का पूर्व अनुभव है। वह पहले पशुधन, रोजगार गारंटी और जलसंरक्षण जैसे विभाग संभाल चुके हैं।


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