मुंबई : औरंगाबाद के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज ने एक छात्र ने अत्याधुनिक वेंटिलेटर विकसित किया है. वेंटिलेटर, जिनकी कीमत सामान्य रूप से 8 लाख रुपये से अधिक है, अब 3 लाख रुपये से कम में उपलब्ध होगा. पूरी तरह से भारत में बने इस उपकरण को मोबाइल पर भी नियंत्रित किया जा सकता है. इस वेंटिलेटर से गंभीर रूप से बीमार रोगी को तत्काल उपचार देना संभव होगा.
बता दें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्र अशफाक सिद्दीकी ने वेंटिलेटर विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वर्तमान में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है इसलिए, आने वाले समय में एक वेंटिलेटर की आवश्यकता बड़ी हो सकती है. इसलिए यह वेंटिलेटर नवीनतम तकनीक विकसित करके बनाया गया है.
कोरोना से संक्रमित रोग का इलाज करते समय, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अक्सर रोगी के वार्ड में जाना जोखिम भरा लगता है. इसलिए इस वेंटिलेटर को मल्टीस्क्रीन विकल्प दिए गए हैं. वेंटिलेटर पर दृश्यमान तरफ एक स्क्रीन होगी. हालांकि, इसे मोबाइल पर भी नियंत्रित किया जा सकता है.
इसलिए, मरीजों को तत्काल आवश्यकता होने पर उपचार में तत्काल परिवर्तन करना संभव होगा. इस वेंटिलेटर को इस तरह से विकसित किया गया है कि मल्टीस्क्रीन में कुछ ही क्षणों में उचित उपचार हो सके.
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पंकज वैरागड़ का कहाना है कि बाजार में विदेशी निर्मित वेंटिलेटर आठ लाख में आते हैं. हालांकि, यह पूरी तरह से स्वदेशी वेंटिलेटर है और इसे तीन लाख रुपये की लागत से विकसित किया गया है. मरीजों को कृत्रिम श्वसन देना एकमात्र उद्देश्य नहीं है. रोगी से अपेक्षा की जाती है कि वह उतनी ही कृत्रिम सांस दे, जितनी उसे जरूरत है. इसे देते समय रोगी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए.
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रमुख डॉ प्राणेश मुरमल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा की गई कॉल के जवाब में उपलब्ध उपकरण सामग्री का उपयोग करके वेंटिलेटर विकसित किया गया है. इस बारे में केंद्र सरकार को सूचित कर दिया गया है और जल्द ही केंद्र सरकार के संबंधित विभाग को आगे की प्रक्रिया के लिए मंजूरी मिल जाएगी.