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उत्तराखंड : फूलों की घाटी खुली, हनुमान जी लाए थे यहां से संजीवनी - valley of flowers in uttarakhand

बेहद कम लोग यह जानते हैं कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी का उल्लेख हमारे धर्म ग्रन्थों में भी मिलता है. कहा जाता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद हनुमान जी इसी स्थान से उनके लिए संजीवनी लेकर गए थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jun 1, 2020, 3:43 PM IST

चमोली : विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से खुल गई है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने पार्क खोलने की तैयारियां पहले ही कर दी थीं. वहीं कोरोना काल को देखते हुए घाटी में पर्यटकों की आवाजाही सरकार के निर्देशों के बाद ही हो पाएगी. इस बार जमकर हुई बर्फबारी के बीच नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को रास्ता बनाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी.

ऐसी पहाड़ों की घाटी जहां रंग-बिरंगे फूल खिले हों. जहां हर तरफ तरह-तरह के प्राकृतिक फूल अपनी खुशबू बिखेर रहे हों. ऐसी जगह का दीदार हर कोई करना चाहता है और वहां के आभामंडल में हर इंसान सांस लेना चाहता है.

लक्ष्मण की मूर्छा दूर करने यहीं पर संजीवनी लेने आए थे हनुमान

जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व विख्यात फूलों की घाटी की, जिसे देखने हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी आते हैं और लौटते वक्त यहां की पर्वत श्रृंखलाओं से दोबारा आने का वादा करते हैं.

पढ़ें : मुंबई और गुजरात के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफान की आशंका, मौसम विभाग ने दी चेतावनी

बेहद कम लोग यह जानते हैं कि फूलों की घाटी का उल्लेख हमारे धर्म ग्रन्थों में भी मिलता है. कहा जाता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद हनुमान जी इसी स्थान से उनके लिए संजीवनी लेकर गए थे. दरअसल, इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में बहुमूल्य जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. ये जड़ी-बूटियां कई बीमारियों में रामबाण मानी जाती हैं. इसलिए इस घाटी का महत्व काफी बढ़ जाता है.

चमोली : विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से खुल गई है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने पार्क खोलने की तैयारियां पहले ही कर दी थीं. वहीं कोरोना काल को देखते हुए घाटी में पर्यटकों की आवाजाही सरकार के निर्देशों के बाद ही हो पाएगी. इस बार जमकर हुई बर्फबारी के बीच नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को रास्ता बनाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी.

ऐसी पहाड़ों की घाटी जहां रंग-बिरंगे फूल खिले हों. जहां हर तरफ तरह-तरह के प्राकृतिक फूल अपनी खुशबू बिखेर रहे हों. ऐसी जगह का दीदार हर कोई करना चाहता है और वहां के आभामंडल में हर इंसान सांस लेना चाहता है.

लक्ष्मण की मूर्छा दूर करने यहीं पर संजीवनी लेने आए थे हनुमान

जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व विख्यात फूलों की घाटी की, जिसे देखने हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी आते हैं और लौटते वक्त यहां की पर्वत श्रृंखलाओं से दोबारा आने का वादा करते हैं.

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बेहद कम लोग यह जानते हैं कि फूलों की घाटी का उल्लेख हमारे धर्म ग्रन्थों में भी मिलता है. कहा जाता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद हनुमान जी इसी स्थान से उनके लिए संजीवनी लेकर गए थे. दरअसल, इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में बहुमूल्य जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. ये जड़ी-बूटियां कई बीमारियों में रामबाण मानी जाती हैं. इसलिए इस घाटी का महत्व काफी बढ़ जाता है.

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