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सुप्रीम कोर्ट में चार पद खाली, तीन राज्यों में मुख्य न्यायाधीश नहीं

सुप्रीम कोर्ट में कुल चार न्यायधीशों के पद खाली हैं. इसके साथ ही तीन हाई कोर्ट गैर मुख्य न्यायाधीश के काम कर रहे हैं. कानून मंत्रालय को इन रिक्तियों को भरने के लिये सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशें अभी नहीं मिली हैं.

vacant post in supreme court
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Published : Oct 11, 2020, 6:07 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के चार पद रिक्त हैं, जबकि तीन हाईकोर्ट बगैर नियमित मुख्य न्यायाधीश के काम कर रहे हैं. इस बात की जानकारी सरकारी सूत्रों ने के हवाले से दी गई है.

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कानून मंत्रालय को इन रिक्तियों को भरने के लिये सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशें मिलनी अभी बाकी हैं. शीर्ष न्यायालय में मौजूदा चार रिक्तियों में पहली रिक्ति नवंबर 2019 में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पद से सेवानिवृत्त होने से पैदा हुई थी.

इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में तीन और न्यायाधीशों के पद रिक्त हो गये.

सुप्रीम कोर्ट अभी 30 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 34 है. वहीं, गुवाहाटी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड हाईकोर्ट एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश के साथ काम कर रहे हैं.

एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में की जाती है, ताकि अदालत का दैनिक प्रशासन प्रभावित न हो. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरकार को शीर्ष अदालत और तीन हाईकोर्ट में इन रिक्तियों को भरने के लिये अभी तक कॉलेजियम से कोई सिफारिश नहीं मिली है.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का क्लैट 2020 की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार

सरकार का यह कहना है कि हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक निरंतर सहयोगात्मक प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिये विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारों से परामर्श एवं मंजूरी की जरूरत होती है.

सुप्रीम कोर्ट और 25 हाईकोर्ट के लिये न्यायाधीशों की नियुक्त की प्रक्रिया के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश सरकार से करता है, जिसके बाद सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकती है या पुनर्विचार के लिये लौटा भी सकती है.

कॉलेजियम में सीजेआई और शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. देश के 25 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पद 1,079 हैं. एक अक्टूबर तक 404 रिक्तियां थीं, जिनमें से सर्वाधिक 60 रिक्तियां इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के चार पद रिक्त हैं, जबकि तीन हाईकोर्ट बगैर नियमित मुख्य न्यायाधीश के काम कर रहे हैं. इस बात की जानकारी सरकारी सूत्रों ने के हवाले से दी गई है.

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कानून मंत्रालय को इन रिक्तियों को भरने के लिये सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशें मिलनी अभी बाकी हैं. शीर्ष न्यायालय में मौजूदा चार रिक्तियों में पहली रिक्ति नवंबर 2019 में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पद से सेवानिवृत्त होने से पैदा हुई थी.

इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में तीन और न्यायाधीशों के पद रिक्त हो गये.

सुप्रीम कोर्ट अभी 30 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 34 है. वहीं, गुवाहाटी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड हाईकोर्ट एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश के साथ काम कर रहे हैं.

एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में की जाती है, ताकि अदालत का दैनिक प्रशासन प्रभावित न हो. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरकार को शीर्ष अदालत और तीन हाईकोर्ट में इन रिक्तियों को भरने के लिये अभी तक कॉलेजियम से कोई सिफारिश नहीं मिली है.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का क्लैट 2020 की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार

सरकार का यह कहना है कि हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक निरंतर सहयोगात्मक प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिये विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारों से परामर्श एवं मंजूरी की जरूरत होती है.

सुप्रीम कोर्ट और 25 हाईकोर्ट के लिये न्यायाधीशों की नियुक्त की प्रक्रिया के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश सरकार से करता है, जिसके बाद सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकती है या पुनर्विचार के लिये लौटा भी सकती है.

कॉलेजियम में सीजेआई और शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. देश के 25 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पद 1,079 हैं. एक अक्टूबर तक 404 रिक्तियां थीं, जिनमें से सर्वाधिक 60 रिक्तियां इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं.

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