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बकाया भुगतान : उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी को हाईकोर्ट का नोटिस - महाराष्ट्र के राज्यपाल

सरकारी आवास का लंबित किराया मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.

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महाराष्ट्र के राज्यपाल को नोटिस
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Published : Oct 20, 2020, 4:32 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सरकारी आवास का किराया समेत बिजली के बिल व अन्य भत्ते जमा करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. अब मामले में उच्च अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

आज मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि भले ही भगत सिंह कोश्यारी वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, लेकिन सरकारी आवास का किराया व अन्य सुविधाओं का भुगतान करने का आदेश कोर्ट पहले ही दे चुकी है.

महाराष्ट्र के राज्यपाल को नोटिस जारी.

भगत सिंह कोश्यारी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361(4) के तहत प्रदान की गई शक्तियों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा 2 माह पहले नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद ही याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की.

इसपर सुनवाई करते हुए आज नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने भगत सिंह कोश्यारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून की रूलक लिटिगेशन संस्था ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास व संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है. लिहाजा इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से नियम विरुद्ध सरकारी आवास समेत अन्य सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा है.

पढ़ेंः कमलनाथ के 'आइटम' वाले बयान पर बरसे राहुल, कहा- मुझे ऐसी भाषा पसंद नहीं

जिसके बाद नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिए थे कि वह 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया समेत अन्य भत्तो को जमा करे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा एक अध्यादेश (एक्ट)पारित कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला किया गया था.

इस एक्ट को रूलक लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुछ लोगों को फायदा दिलाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस एक्ट को बनाया गया है. लिहाजा एक्ट को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए, लेकिन अब तक सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरफ से कोई भी भत्ता जमा नहीं किया गया. जिसके खिलाफ रूलक लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.

नैनीतालः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सरकारी आवास का किराया समेत बिजली के बिल व अन्य भत्ते जमा करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. अब मामले में उच्च अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

आज मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि भले ही भगत सिंह कोश्यारी वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, लेकिन सरकारी आवास का किराया व अन्य सुविधाओं का भुगतान करने का आदेश कोर्ट पहले ही दे चुकी है.

महाराष्ट्र के राज्यपाल को नोटिस जारी.

भगत सिंह कोश्यारी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361(4) के तहत प्रदान की गई शक्तियों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा 2 माह पहले नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद ही याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की.

इसपर सुनवाई करते हुए आज नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने भगत सिंह कोश्यारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून की रूलक लिटिगेशन संस्था ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास व संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है. लिहाजा इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से नियम विरुद्ध सरकारी आवास समेत अन्य सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा है.

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जिसके बाद नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिए थे कि वह 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया समेत अन्य भत्तो को जमा करे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा एक अध्यादेश (एक्ट)पारित कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला किया गया था.

इस एक्ट को रूलक लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुछ लोगों को फायदा दिलाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस एक्ट को बनाया गया है. लिहाजा एक्ट को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए, लेकिन अब तक सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरफ से कोई भी भत्ता जमा नहीं किया गया. जिसके खिलाफ रूलक लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.

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