ETV Bharat / bharat

'अनछुआ हिमाचल' में, किन्नौर के खूबसूरत गांव कल्पा की सैर

author img

By

Published : Sep 28, 2019, 4:30 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 8:56 AM IST

ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम 'अनछुआ हिमाचल' में हम आपको प्रदेश के उन अनछुए पर्यटक स्थलों से रूबरू करवाते हैं, जिनके निखार के लिए सरकार की पहल की जरूरत है. हमारा मकसद है कि इन पर्यटन स्थलों में सुविधाओं को बढ़ाया जाए ताकि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर देवभूमि के अनछुए पर्यटक स्थल मानचित्र पर अपनी पहचान बना सके.

'अनछुआ हिमाचल' में, किन्नौर का खूबसूरत गांव कल्पा

किन्नौरः आज की कड़ी में हम आपको जिला किन्नौर के खूबसूरत गांव कल्पा के बारे में बताएंगे. चारों ओर बर्फ की सफेद चादर से ढका हुआ कल्पा गांव पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है. कल्पा देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी का पैतृक गांव है.

कल्पा के मनमोहक नजारे
कल्पा में बौद्ध मंदिर, देवी चण्डिका किला, पुराने जमाने की कलाकृति वाले लकड़ी के मकान, नारायण मंदिर, आसपास की बर्फ से ढकी पहाड़ियां, रोला क्लिफ, चाखा पिक ट्रेकिंग, देवराज नेगी फुटबॉल स्टेडियम, किन्नौर का सबसे पुराना स्कूल (स्थापना 1890) जैसी जगहें यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं. कल्पा से किन्नर कैलाश महादेव के दर्शन भी होते हैं. सेबों से लदे हरे-भरे बगीचे और बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हर किसी का मन मोह लेती है.

खुबसूरत कल्पा गांव का दृश्य


बॉलीवुड की पसंद
कल्पा की सुंदरता का बॉलीवुड और भारतीय टीवी सिरीयल भी दिवाना है. यहां अब तक सैकड़ों बॉलीवुड फिल्में व धारावाहिकों की शूटिंग हो चुकी है.

प्राचीन नाम
कल्पा के नाम को लेकर कई किवदंतियां मशहूर है. ऊंचाई से देखने पर कल्पा का आकार तर्जनी उंगली के नाखून की तरह दिखता है और किन्नौरी भाषा में नाखून को चीने कहा जाता है. इसी वजह से कल्पा गांव को चीने भी कहा जाता है. कल्पा को स्थानीय लोग रेशमोलियो चीने भी कहते हैं, जिसका मतलब है रेशम की तरह कोमल गांव. माना ये भी जाता है कि कल्पा में देवी चण्डिका और ठाकुरों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें ठाकुर मारे गए. इसके बाद ठाकुर की पत्नी चिन्ह देवी चण्डिका के पास रोते-बिलखते आई. इसपर देवी ने महिला को वचन दिया कि तुम्हारे नाम से ही इस गांव का नामकरण होगा. इसके बाद कल्पा को चिन्ह पुकारा जाने लगा, हालांकि समय के साथ कल्पा का नाम चिन्ह से चीनी में तबदील हो गया था.

पढ़ें-जलवायु परिवर्तन : 'कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी'

स्थानीय लोगों का कहना है कि 1962 के युद्ध में जब चीन के साथ भारत का युद्ध चला था तो कल्पा का नाम सरकारी कागजों में कई जगह चीनी हुआ करता था. जिसे उस वक्त रातों-रात चीन से बदलकर कल्पा रखना पड़ा था. आज भी किन्नौर के साथ सटे कई इलाके चाइना बॉर्डर से लगते हैं, जहां पर हर समय कड़ा पहरा रहता है.

कल्पा का नाम चीनी सुनते ही चाइना का आभास होने लगता है और कुछ लोगों ने चीनी कल्पा को सैकड़ों वर्ष पहले चीन की राजधानी होने का दावा भी किया है, लेकिन इस बात के अभी तक लिखित साक्ष्य नहीं मिले हैं.1962 में जब चीन और भारत का युद्ध हुआ, तो चीन ने किन्नौर के कल्पा को अपना हिस्सा बताया था. किन्नौर के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले किन्नौर के कल्पा से भी लोग अपने व्यापार के लिए तिब्बत जाते थे, लेकिन कल्पा में चीन का कोई आधिपत्य नहीं रहा है.

कैसे पहुंचे कल्पा
रिकांग पिओ, किन्नौर का जिला मुख्यालय है यह शिमला से 235 किलोमीटर दूर है और एनएच-22 पर है. रिकांग पिओ किन्नौर के लिए सबसे सुविधाजनक संचार नेटवर्क है. रोमांच पसंद करने वालों के लिए जीप और टैक्सी किन्नौर जाने का सबसे अच्छा तरीका है. इसके अलावा एचआरटीसी किन्नौर के विभिन्न हिस्सों में कई बसें चलाती है. किन्नौर में, कम से कम चार बस रूट प्रति दिन शिमला के साथ कल्पा और रिकांग पिओ को जोड़ते हैं.

कल्पा में इको टूरिज्म के अलावा साहसिक और धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. कुदरत से मिले तोहफों की बदौलत बेशक कल्पा को किसी के नजरे-करम की जरूरत नहीं हैं. लेकिन अगर प्रशासन व सरकार यहां पर्यटन के विकास पर ध्यान दे तो कल्पा विश्वपटल पर सैलानियों की पहली पसंद बन जाएगी और किन्नौर वासियों के लिए रोजगार के अवसर भी खुलेंगे.

किन्नौरः आज की कड़ी में हम आपको जिला किन्नौर के खूबसूरत गांव कल्पा के बारे में बताएंगे. चारों ओर बर्फ की सफेद चादर से ढका हुआ कल्पा गांव पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है. कल्पा देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी का पैतृक गांव है.

कल्पा के मनमोहक नजारे
कल्पा में बौद्ध मंदिर, देवी चण्डिका किला, पुराने जमाने की कलाकृति वाले लकड़ी के मकान, नारायण मंदिर, आसपास की बर्फ से ढकी पहाड़ियां, रोला क्लिफ, चाखा पिक ट्रेकिंग, देवराज नेगी फुटबॉल स्टेडियम, किन्नौर का सबसे पुराना स्कूल (स्थापना 1890) जैसी जगहें यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं. कल्पा से किन्नर कैलाश महादेव के दर्शन भी होते हैं. सेबों से लदे हरे-भरे बगीचे और बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हर किसी का मन मोह लेती है.

खुबसूरत कल्पा गांव का दृश्य


बॉलीवुड की पसंद
कल्पा की सुंदरता का बॉलीवुड और भारतीय टीवी सिरीयल भी दिवाना है. यहां अब तक सैकड़ों बॉलीवुड फिल्में व धारावाहिकों की शूटिंग हो चुकी है.

प्राचीन नाम
कल्पा के नाम को लेकर कई किवदंतियां मशहूर है. ऊंचाई से देखने पर कल्पा का आकार तर्जनी उंगली के नाखून की तरह दिखता है और किन्नौरी भाषा में नाखून को चीने कहा जाता है. इसी वजह से कल्पा गांव को चीने भी कहा जाता है. कल्पा को स्थानीय लोग रेशमोलियो चीने भी कहते हैं, जिसका मतलब है रेशम की तरह कोमल गांव. माना ये भी जाता है कि कल्पा में देवी चण्डिका और ठाकुरों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें ठाकुर मारे गए. इसके बाद ठाकुर की पत्नी चिन्ह देवी चण्डिका के पास रोते-बिलखते आई. इसपर देवी ने महिला को वचन दिया कि तुम्हारे नाम से ही इस गांव का नामकरण होगा. इसके बाद कल्पा को चिन्ह पुकारा जाने लगा, हालांकि समय के साथ कल्पा का नाम चिन्ह से चीनी में तबदील हो गया था.

पढ़ें-जलवायु परिवर्तन : 'कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी'

स्थानीय लोगों का कहना है कि 1962 के युद्ध में जब चीन के साथ भारत का युद्ध चला था तो कल्पा का नाम सरकारी कागजों में कई जगह चीनी हुआ करता था. जिसे उस वक्त रातों-रात चीन से बदलकर कल्पा रखना पड़ा था. आज भी किन्नौर के साथ सटे कई इलाके चाइना बॉर्डर से लगते हैं, जहां पर हर समय कड़ा पहरा रहता है.

कल्पा का नाम चीनी सुनते ही चाइना का आभास होने लगता है और कुछ लोगों ने चीनी कल्पा को सैकड़ों वर्ष पहले चीन की राजधानी होने का दावा भी किया है, लेकिन इस बात के अभी तक लिखित साक्ष्य नहीं मिले हैं.1962 में जब चीन और भारत का युद्ध हुआ, तो चीन ने किन्नौर के कल्पा को अपना हिस्सा बताया था. किन्नौर के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले किन्नौर के कल्पा से भी लोग अपने व्यापार के लिए तिब्बत जाते थे, लेकिन कल्पा में चीन का कोई आधिपत्य नहीं रहा है.

कैसे पहुंचे कल्पा
रिकांग पिओ, किन्नौर का जिला मुख्यालय है यह शिमला से 235 किलोमीटर दूर है और एनएच-22 पर है. रिकांग पिओ किन्नौर के लिए सबसे सुविधाजनक संचार नेटवर्क है. रोमांच पसंद करने वालों के लिए जीप और टैक्सी किन्नौर जाने का सबसे अच्छा तरीका है. इसके अलावा एचआरटीसी किन्नौर के विभिन्न हिस्सों में कई बसें चलाती है. किन्नौर में, कम से कम चार बस रूट प्रति दिन शिमला के साथ कल्पा और रिकांग पिओ को जोड़ते हैं.

कल्पा में इको टूरिज्म के अलावा साहसिक और धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. कुदरत से मिले तोहफों की बदौलत बेशक कल्पा को किसी के नजरे-करम की जरूरत नहीं हैं. लेकिन अगर प्रशासन व सरकार यहां पर्यटन के विकास पर ध्यान दे तो कल्पा विश्वपटल पर सैलानियों की पहली पसंद बन जाएगी और किन्नौर वासियों के लिए रोजगार के अवसर भी खुलेंगे.

Intro:ठाकुरो की पत्नी चीन के व नाखून के आकार के नाम पर पड़ा कल्पा का नाम, पुराना नाम है चीनी,1962 में चीन के साथ चले युद्ध मे चीनी से कल्पा में बदलना पड़ा था नाम,आज है पूरे विश्व भर में पर्यटन के लिए मशहूर,रेशमोलियो चीने यानी रेशम की तरह कोमल गाँव भी कहा गया। लेकिन कई मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पर्यटक व स्थानीय लोग होते है परेशान।





Body:जिला किन्नौर के प्रमुख पर्यटन स्थल में कल्पा जो चारो ओर बर्फ की सफेद चादर से ढकी हुई है कल्पा का नाम आज विश्व के नक्शे में भी देखा जा सकता है कल्पा को स्थानीय लोग रेशमोलियो चीने भी कहते है यानी रेशम की तरह कोमल गाँव के नाम से भी किन्नौर में जाना जाता है।किन्नौर के प्रमुख पर्यटन स्थल कल्पा की सतलुज से ऊंचाई करीब तीन हज़ार फिट है।
कल्पा के ठीक सामने किन्नर कैलाश महादेव के दर्शन भी होते है,कल्पा का इतिहास ठाकुरों के ज़माने के इतिहास है कल्पा का प्रचीन नाम चीने है आज भी पुराने बुजुर्ग इसे चीने गाव ही कहते है।
कल्पा का नाम दो चीजों पर पड़ा है एक नाखून और दूसरा देवी चण्डिका माता ने जब ठाकुरो को युद्ध मे ध्वस्त किया था तो उस युद्ध मे ठाकुरो की पत्नी भी मारी गयी जिसके बाद कल्पा की देवी चण्डिका देवी ने ठाकुरो को वचन दिया किया अब ठाकुरो की पत्नी चीन के नाम पर इस स्थान का नाम चीने रखा पूरे विश्व मे कल्पा चीने के नाम पर विख्यात है दूसरा कल्पा के ग्रामीण बताते है कि किसी ज़माने में कल्पा को पहाड़ी से देखने पर इसका आकार इंसान के नाखून जैसा आकार में दिखता था और कल्पा गाव की इष्ट देवी चण्डिका द्वारा ठाकुरो की पत्नी पर जिसका नाम चीन था तो इन दोनों को मिलाकर इसका नाम चीने पड़ा था लेकिन बाद में लोगो ने इसे चीनी कहना शुरू किया चीनी गाव पूरे विश्व के नक्शे में पर्यटन के लिए दिखता है बताते चले कि कल्पा में अब तक सेकड़ो बॉलीवुड फिल्में व धारावाहिको के शूट भी हो चुके है कल्पा में देखने के लिए बौद्ध मंदिर,देवी चण्डिका किला,पुराने ज़माने के कलाकृति वाले लकड़ी के मकान,नारायण मंदिर,आसपास की बर्फ से ढकी पहाड़ियां,रोला क्लिफ,चाखा पिक ट्रेकिंग,देवराज नेगी फुटबॉल स्टेडियम,किन्नौर का सबसे पुराना स्कूल जिसकी स्थापना 1890 में हुआ था,सेब से लदे लोगो के बड़े बड़े हरे भरे बगीचे पर्यटन विभाग के होटल,और बारह महीने ठंडी हवाओं का आनंद यहां प्राप्त होता है और यहां की संस्कृति पुराने लोग आज भी सर्दियों के लिए पारम्परिक तरीके से उन कातते हुए सर्दियों की तैयारी करते हुए दिखते है क्यों कि कल्पा में सितम्बर के बाद अधिक ठंड होने के कारण ऊनी कपड़े पहना जाता है




Conclusion:कल्पा का नाम चीनी सुनते ही चाइना का आभास होने लगता है और कुछ बाहरी लोगो ने चीनी कल्पा को सेकड़ो वर्ष पहले चीन की राजधानी होने का दावा भी किया है लेकिन इस बात की अभी तक कही लिखित रूप में साक्ष्य नही मिले है हॉ लेकिन 1962 को जब चीन और भारत का युद्ध चला था तो चीन ने किन्नौर के कल्पा को अपना हिस्सा बताया था बुजुर्ग बताते है कि पहले किन्नौर के कल्पा से भी बुजुर्ग अपना व्यापार के लिए तिब्बत जाते थे लेकिन कल्पा में चीन का कोई आधिपत्य नही रहा है स्थानीय लोगो का कहना है कि 1962 के युद्ध मे जब चीन के साथ भारत का युद चला हुआ था तो कल्पा का नाम सरकारी कागज़ों में कई जगह चीनी हुआ करता था जिसे उस वक्त रातो रात चीनी से बदलकर कल्पा नाम रखना पड़ा था आज भी किन्नौर के साथ सटे कई इलाके चाइना बॉर्डर से लगते है लेकिन सेना का इन बोर्डरों पर कड़ा पहरा रहता है। बता दे कि कल्पा में देश विदेश के हज़ारो पर्यटक व लेखक कल्पा की सुंदरता व इसके इतिहास को जानने के लिए आते है लेकिन अभी तक इसके इतिहास व नामकरण पर किसी भी लेखक या इतिहासकार से सही रूप से साक्ष्य प्राप्त नही हुआ है कल्पा आज पूरे विश्व मे विख्यात होने के बावजूद भी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित है यहां की सड़कें अभी भी दरुस्त नही न ही कहीं सुलभ शौचालय है,न स्ट्रीट लाइट,और पुराने मन्दिर,न ही पर्यटन विभाग ने अभी तक कल्पा के अंदर पर्यटकों के लिए कोई विशेष काम हुआ है आज भी कल्पा में पर्यटन के कई अन्य अपार सम्भावनाए है लेकिन प्रशासन व सरकार ने अभी तक इस पर ध्यान नही दिया है। जिससे कल्पा की खूबसूरती पर कही न कही ग्रहण भी लग रहा है। बता दे कि देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी का पैतृक गांव भी पर्यटन स्थल कल्पा है।



बाइट--------------बाईट----1------सीएम नेगी टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन गाइड किन्नौर।

बाइट------2------पर्यटक ---जितेंद्र राणा चंडीगढ़


बाइट----------टाशि नेगी कल्पा-- (लेखक)
Last Updated : Oct 2, 2019, 8:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.